मैैं बस ये बताना चाहता हूं कि नदियां बचेंगी तभी बचेंगे हम
मेरठ ब्यूरो। गंगा-यमुना दोआब क्षेत्र के पूठी गांव में जन्मे रमन कांत नदियों से प्रेम के चलते आज नदी पुत्र के नाम से जाने जाते हैं। वे 20 साल की उम्र से दोआब की नदियों की स्थिति को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस प्रयास के चलते गंगा-यमुना के बीच कई छोटी-छोटी नदियों की स्थिति आज काफी सुधर चुकी है। इसका ताजा उदाहरण है मेरठ की प्रमुख काली नदी। इस नदी की सूरत किसी समय नाले की तरह थी, जो आज वापस नदी के स्वरूप में आ चुकी है। नदियों के लिए पिछले 20 वर्षों में किए गए प्रयासों के आधार पर समाज नेचुरल एनवायरमेंटल एजुकेशन एंड रिसर्च (नीर) फाउंडेशन के संस्थापक रमन कांत को 'नदीपुत्रÓ के रूप में जानता है।नदी पुनर्जीवन मॉडल बनाया
मैैंने नदियों की समस्याओं को समझने की कोशिश की और खूब पैदल यात्राएं की। इस दौरान नदियों के किनारे बसे समुदायों की पीड़ा को भी समझा और फिर समाधान की ओर बढ़ा। सबसे पहले मैने यमुना नदी की मुख्य सहायक नदी हिंडन का तकनीकी अध्ययन किया। जिसके बाद शिवालिक की पहाडिय़ों में इसकी वास्तविक उत्पत्ति का पता लगाया। मैने अपनी पद यात्राओं के आधार पर हिंडन और उसकी सहायक नदियों पश्चिमी काली और कृष्णा नदियों का एक मानचित्र तैयार किया। आज इस मानचित्र का उपयोग उत्तर प्रदेश और भारत सरकार द्वारा भी किया जाता है। मैैंने मृतप्राय छोटी व बड़ी नदियों को प्रदूषण मुक्त कराकर फिर से कल-कल बहते देखने के लिए रमन नदी पुनर्जीवन मॉडल तैयार किया है। पुनर्जीवन मॉडल के पांच भी मंत्र तय किए हैैं। पहला तरल-ठोस कचरा प्रबंधन, दूसरा जन-जागरुकता, तीसरा सघन वृक्षारोपण, चौथा तालाब संरक्षण और पांचवां मंत्र रसायनमुक्त कृषि है।मेरी नदी, मेरी पहल मेरी नदी-मेरी पहल की थीम लेकर एक सामाजिक पहल शुरू की। इसका उद्देश्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों के साथ नदी किनारे के समाज को जोडऩा व उसमें सहयोग करना है। इससे नदियों के संरक्षण से आम आदमी को जोड़कर कार्य कराया जा रहा है। इसके लिए एक केंद्रीय कमेटी का गठन किया जाता है। फिर नदी बहाव क्षेत्र के किनारे बसे गांव में समिति बनाई जाती है। केंद्रीय, जनपदीय व गांव समिति में 05 सदस्य होते हैं। नदी किनारे बसे गांवों में स्वयंसेवक तैनात किए जाते हैं। ये स्वयंसेवक ही नदी के वास्तविक रक्षक होते हैं। नदी के पानी के नमूनों का परीक्षण कराया जाता है। एक नमूनी उद्गम स्थल से और दूसरा नमूनों अंतिम बिंदु से लिया जाता है।उद्गम स्थल की खोज
मैैंने मृतप्राय हो चुकी नदियों के उद्गम स्थलों को खोजने का बीड़ा उठाया है। क्योंकि अब अधिकांश नदियों का प्रवाह अपने उद्गम स्थल से नहीं, बल्कि उद्योगों व शहरों के सीवरेज से शुरू होता है। उद्गम स्थल खोजने से लिए प्राचीन ग्रंथों का सहारा लिया गया। हिंडन नदी का उद्गम स्थल सहारनपुर जनपद में शिवालिक पहाडिय़ों में कालूवाला राय गांव में है। वर्तमान में हिंडन नदी की शुरुआत वहां से नहीं, बल्कि सहारनपुर में स्टार पेपर मिल के गंदे पानी से होती है। काली नदी पूर्वी का उद्गम स्थल मुजफ्फरनगर के अंतवाड़ा गांव में है। यहां पर भी नीर फाउंडेशन ने खुदाई कराकर नदी को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया। इसी तरह से नीम नदी का उद्गम स्थल हापुड़ जनपद के दतियाना गांव में खोजकर उसकी खुदाई कराई जा रही है। हिंडन की सहायक कृष्णी नदी का उद्गम स्थल सहारनपुर का दरारी गांव है। धमोला नदी की शुरुआत सहारनपुर के संसारपुर गांव से, काली नदी पश्चिमी का मूल बिंदु सहारनपुर का गंगाली गांव है। शीला नदी का मूल बिंदु हरिद्वार का भगवानपुर गांव है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल
गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी का तकनीकी अध्ययन पूरा करने के बाद मुजफ्फरनगर जिले के अंतवाड़ा गांव में इसकी उत्पत्ति का पता लगा। मैैंने समाज की मदद से नदी की 15 हेक्टेयर भूमि खाली कराकर नदी के उद्गम को पुनर्जीवित किया। आज पूर्वी काली नदी अपने उद्गम स्थल से मेरठ जिले तक लगभग 40 किमी बहने लगी है। अथक प्रयासों के बाद पूर्वी काली और हिंडन नदी को नमामि गंगे योजना में शामिल किया गया। नदियों से ऑक्सीजन गायबमुझे हिंडन व उसकी सहायक नदियों के तकनीकी अध्ययन में दो महीने का समय लगा। नदियों के पानी के नमूनों का पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून में परीक्षण कराया गया। परिणामों से पता चला कि नदी किनारे बसे लाखों किसानों, खेती जमीन व शहरी लोगों के लिए ये जहरीला पानी अभिशाप बन चुका है। नदी के जल में भारी धातुओं व खतरनाक कीटनाशकों की मात्रा सामान्य स्तर से कई सौ गुना अधिक तक पहुंच गई है। नदियों के जहरीली होने से भूजल में भी भारी धातुएं व कीटनाशक आने से लोगों पर बुरा असर पड़ रहा है।पहला ग्रामीण वर्षा केंद्र मैैंने मेरठ के गांव पूठी में देश का पहला ग्रामीण वर्षा केंद्र स्थापित कराया है। इसमें पानी पर किताबें, सीडी और वीडियो फिल्मों के साथ एक छोटा पुस्तकालय भी है। इस ग्रामीण वर्षा केंद्र में रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग का लाइव मॉडल भी है।
इन पुरस्कारों से हुए सम्मानितउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य जल पुरस्कार 2022राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्र गौरव पुरस्कार 2019 महामना मदन मोहन मालवीय शोध संस्थान, मेरठ द्वारा प्रतिष्ठित ग्राम गौरव पुरस्कार 2016 भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पर्यावरण और जल संरक्षण में योगदान के लिए प्रतिष्ठित कृषि कुंभ पुरस्कार 2016 परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा प्रतिष्ठित गंगा पुरस्कार 2022 से सम्मानित। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय जल योद्धा पुरस्कार 2019-20