यहां तो हर कदम पर बच्चों को खतरा
मेरठ ब्यूरो। स्कूली बच्चों के सुरक्षित परिवहन व्यवस्थाओं को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अभियान चलाया है। सेफ्टी का मीटर डाउन कैंपेन के जरिए खटारा स्कूली वाहन, टैंपो, ऑटो से जाने वाले बच्चों की हकीकत दिखाई गई। हालत यह है कि जान को जोखिम में रखकर बच्चे स्कूल तक का सफर तय करते हैं। ऐसे में अब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के अभियान को शहरवासियों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है।
पब्लिक ने उठाए सवाल
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोशल मीडिया पर सर्वे कर शहरवासियों से स्कूली वाहनों के सुरक्षा मानकों पर उनकी राय जानी। इसमें 80 प्रतिशत अभिभावकों ने ऑटो रिक्शा में बच्चों को स्कूल भेजना सबसे अधिक असुरक्षित माना, वहीं पुलिस की कार्रवाई से भी 90 प्रतिशत अभिभावक संतुष्ट नही दिखे।
सुरक्षित नहीं है ऑटो रिक्शा
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सर्वे में लोगों से सवाल पूछा कि वह बच्चों को स्कूल भेजने के लिए आटो रिक्शा को कितना सुरक्षित मानते हैं। करीब 90 प्रतिश अभिभावकों ने आटो रिक्शा को स्कूली बच्चों के लिए असुरक्षित बताया। कुल 10 प्रतिशत अभिभावक आटो, रिक्शा, ई रिक्शा को स्कूली वाहन के तौर पर प्रयोग करने के पक्ष में रहे।
सुरक्षा के मानकों से संतुष्ट नहीं
वहीं सर्वे में अभिभावकों ने बताया कि वह बच्चों की स्कूल बसों और वैन में सुरक्षा के मानकों से असंतुष्ट हैं। अधिकतर अभिभावकों को ई रिक्शा या ऑटो, टेम्पो में बच्चों को स्कूल भेजना बहुत ही असुरक्षित माना। अभिभावकों ने माना कि स्कूली बस में चालक के अलावा एक स्टॉफ और शिक्षक भी मौजूद रहते है जिससे बच्चों की सुरक्षा कुछ हद तक बढ़ जाती है जबकि ई रिक्शा या ऑटो में बच्चे बिल्कुल भी सुरक्षित नही होते।
ट्रैफिक पुलिस नहीं सक्रिय
वहीं, शहर में संचालित अवैध स्कूली वाहन, मानकों का उल्लंघन कर रहे स्कूली वाहनों पर पुलिस या परिवहन विभाग की कार्रवाई से लोग संतुष्ट नहीं दिखे। तकरीबन पेरेंट्स ने कहाकि यदि पुलिस अमान्य स्कूली वाहनों पर सही कार्रवाई करती तो अवैध रूप से बच्चों को ढो रहे स्कूली वाहनों की संख्या इतनी अधिक ना होती।
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ई रिक्शा और आटो रिक्शा में कितना सुरक्षित है बच्चों का सफर
- 80 प्रतिशत - नही
- 10 प्रतिशत- हां
- 10 फीसदी- पता नहीं
- 75 प्रतिशत- नही
- 15 प्रतिशत- हां
- 10 प्रतिशत- पता नहीं
आप स्कूली वाहनों के सुरक्षा मानकों से कितने संतुष्ट हैं
- 70 प्रतिशत- नही
- 12 प्रतिशत- हां
- 18 प्रतिशत- पता नहीं
स्कूली वाहनों के सुरक्षा मानकों की जिम्मेदारी स्कूलों की होती है लेकिन अभिभावकों को भी जागरुक होना जरुरी है। तभी यह व्यवस्था सही होगी।
- अरूण जिस वाहन से बच्चे को भेज रहे हैं कम से कम उसमें बेसिक सुरक्षा मानकों की जांच करना अभिभावकों की जिम्मेदारी है। कम से कम चालक का अनुभव बहुत मायने रखता है।
- मितेंद्र परिवहन विभाग को ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि यह बच्चों की सुरक्षा का सवाल है। कार्रवाई होनी शुरु हो जाए तो ऐसे वाहनों की संख्या सड़कों पर कम दिखेगी।
- मोना
हम तो अपने बच्चों को स्कूल बसों में ही भेजते हैं क्योंकि उनके अधिकतर मानक पूरे होते हैं और स्कूल प्रबंधन की भी जिम्मेदारी होती है।
- अंजलि