हेलमेट सिर का बोझ नहीं, सुरक्षा कवच है
मेरठ (ब्यूरो)। सड़क दुर्घटना के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर साल इसमें दो से तीन प्रतिशत का इजाफा हो रहा है। दुर्घटना की चपेट में आने वाले 78 फीसद लोग 20-44 आयु वर्ग के हैं। दो पहिया वाहन चलाने वाले सैकड़ों युवा हर साल सिर की गंभीर चोटों के कारण जान से हाथ धो बैठते हैं। मगर फिर भी लोग हेलमेट पहनने से परहेज करते हैैं। एक्पट्र्स का कहना है कि अगर आपने अच्छी कंपनी का हेलमेट पहना है तो दुर्घटना के वक्त आप सीरियस हेड इंजरी से बच सकते हैैं। हेलमेट आपके सिर की सुरक्षा के साथ ही आपकी स्किन, आंख, बाल, कान आदि को भी सुरक्षा प्रदान करता है।
दुर्घटना के समय संजीवनी हेलमेट
दुर्घटना के समय बाइक सवार के लिए हेलमेट किसी संजीवनी बूटी से कम साबित नहीं होता है। दरअसल, हेलमेट का खोल इंजेक्शन मोल्डेड थर्मोप्लास्टिक या प्रेशर मोल्डेड थेरमोस्टेट होता है। इसे ग्लास फाइबर से मजबूती दी जाती है या फाइबरग्लास से बना होता है। दुर्घटना के वक्त लगी पत्थर सा सड़क की रगड़ या अन्य सख्त वस्तुओं की टक्कर सिर की हड्डी को तोड़ सकती है लेकिन हेलमेट का खोल ऐसी टक्कर के फोर्स को बांट देता है। जिससे सिर का बचाव हो जाता है।
हेलमेट पहनने के फायदे
दोपहिया चलाते समय यदि हेलमेट पहना है तो ये आंखों के लिए भी ठीक है। यह हवा, धूल-मिट्टी, कीटाणु प्रदूषण से भी आंखों की रक्षा करता है।
एक्पट्र्स की मानें तो टू व्हीलर चलाते समय यदि आपने हेलमेट लगाया हुआ है, तो यह आपकी आंखों की सेहत के लिए भी रामबाण है। हेलमेट आपकी आंखों को तेज हवा, धूल-मिट्टी, कीटाणु, वायु प्रदूषण से तो बचाता ही है। आपकी आंखों को तरोताजा भी रखता है। दरअसल, धूल आदि जाने से आंखों में संक्रमण हो सकता है। मगर हेलमेट का शीशा इससे आपका बचाव करता है।
कानों को मिलता है सुकून
एक्सपट्र्स का कहना है कि हेलमेट पहनने से वाहनों का तेज शोर भी कानों को परेशान नहीं करता है। हेलमेट पहनने के कारण धूल-मिट्टी से भी कानों का बचाव होता है। लगातार तेज शोर और धूल-मिट्टी के बीच रहने से बहरेपन की शिकायत हो सकती है।
एक्सपट्र्स का मानना है कि हेलमेट पहनने से आपकी राइड सुरक्षित होती है। वाहन चलाते समय हेलमेट पहना हुआ व्यक्ति आसपास के बजाए अपने सामने के मार्ग पर अधिक फोकस करता है। साथ ही बिना हेलमेट इधर-उधर से आने वाला शोर वाहन चालक को परेशान करता रहता है। आंकड़े एक नजर में
साल 2021 में जिले में 820 सड़क दुर्घटनाओं में 380 लोगों की मौत हुई, जबकि 577 घायल हुए। इस वर्ष 30 सितंबर तक जिले में 702 सड़क दुर्घटना हुई हैं, जिनमें 266 लोगों की मौत हुई, जबकि 620 लोग घायल हुए। दोनों वर्ष के आंकड़ों के अनुसार इस साल सड़क हादसों में करीब 2.083 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं पिछले साल यातायात के नियमों का पालन ना करने वालों के 1,89,482 चालान किए गए इस दौरान पूरे साल करीब 1671 वाहन सीज हुए, जिनसे करीब 5.04 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया
इस वर्ष अभी तक 1,19,481 चालान हुए हैं और 1869 वाहन सीज किए गए हैं, जिनसें करीब 2.55 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला है।
पिछले चार सालों में हुए सड़क हादसेसाल हादसे मृत्यु घायल
2017 290 99 130
2018 198 103 126
2019 184 81 128
2020 207 94 158 अधिकतर हादसों के कारण
सड़कों पर बने गड्ढे
ओवर स्पीड
चालक का मोबाइल इस्तेमाल करना
नशे में गाड़ी चलाना
सर्दियों में कोहरा
रॉग साइड गाड़ी चलाना
हाईवे पर अवैध कट
हाईवे या एक्सप्रेस वे के किनारे गाड़ी खड़ी करना
चालक को झपकी आना
हेलमेट पहनने से दुर्घटना में हाई रिस्क इंजरी या जान का खतरा 70 से 80 प्रतिशत तक कम हो जाता है। लेकिन इसके लिए जरुरी है कि हेलमेट की क्वालिटी और स्पीड लिमिट को ध्यान में जरूर रखा जाए। सड़क पर बाइक सवार सुरक्षा की दृष्टि से कम, चालान से बचने के लिए सस्ता हेलमेट लगा लेते हैं। लेकिन यह सस्ते हेलमेट सिर को प्रोटेक्ट नहीं करते हैं। इससे आपको चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। ये जरा से दबाव से ही टूट जाते हैं। आईएसआई मार्का वाले हेलमेट मजबूत होते हैं, जो दुर्घटना के समय सिर की सुरक्षा करते हैैं। इसलिए हेलमेट जरुर पहनें।
डॉ। रोहित कांबोज, न्यूरोलोजिस्ट