मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
मेरठ (ब्यूरो)। मंकी पॉक्स के खतरे को देखते हुए जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में पांच-पांंच बेड रिजर्व कर दिए गए हैं। इसके साथ ही अस्पतालों समेत सीएमओ के अधीन कार्यरत चिकित्सकों में से मास्टर ट्रेनरों का ऑनलाइन प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। इन मास्टर ट्रेनरों की ओर से मंडलीय, जनपदीय, ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों, नगरीय स्वास्थ्य इकाइयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों और पैरा मेडिकल कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा सर्विलांस के लिए कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स (एएनएम और आशा) को भी ब्लॉक स्तरीय चिकित्सालयों और नगरीय स्वास्थ्य इकाइयों के प्रशिक्षित चिकित्साधिकारियों की ओर से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
सावधानी है जरुरी
सीनियर फिजीशियन डॉ। विश्वजीत बैंबी के अनुसार मंकी पॉक्स पशु जनित बीमारी है और ये बीमारी दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाती है। ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग की जरूरत है। इनकी 21 दिन तक निगरानी की जाएगी। पॉक्स रोगी के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री जैसे बिस्तर आदि के संपर्क में आने से बचें। जिनमें मंकी पॉक्स के लक्षण दिखाई दे रहे हैं उन रोगियों को दूसरों से अलग आइसोलेट रखें। रोगियों की देखभाल करते समय पीपीई किट का उपयोग करें। दूसरों के साथ संपर्क के जोखिम को कम करने के लिए घावों को ज्यादा से ज्यादा ढका जाना चाहिए।
1. संक्रमित व्यक्ति के कपड़े से भी दूरी रखें
2. संक्रमित से शारीरिक संबंध न बनाएं।
3. संक्रमित से दूरी बरतें और मास्क लगाएं।
4. हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ रखें।
5. मरीज अपने घावों को ढककर रखें।
6. बुखार आने पर पैरासिटामॉल लें।
7. खूब पानी पीएं और पौष्टिक आहार लें। किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के विषय में तत्काल जिला, राज्य और केंद्रीय सर्विलांस इकाई को सूचित करें। रोगी को घर पर भी आइसोलेशन में रखा जा सकता है और जरूरत पडऩे पर अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है। लक्षण प्रतीत होने पर इनके संपर्क में आए लोगों के नमूने लेकर जांच भी कराएंगे। लक्षण नजर आने, केरल व अन्य प्रभावित देशों की यात्रा करके आने वालों की जांच कराई जा रही है।
डॉ। अशोक तालियान, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी