रहम करो कुत्तों! अब तो वैक्सीन की भी शॉर्टेज है
मेरठ (ब्यूरो)। शहर में तेजी से बढ़ते आवारा आतंक के कारण आज शहर की सड़कों पर चलना और घरों की छतों पर टहलना तक दूभर हो गया है। हालत यह है कि हर रोज 100 से अधिक लोगों को गलियों के आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं, दिनभर बंदरों ने भी घरों की छतों पर अपना आतंक मचा रखा है। नगर निगम ने कुत्ता पकडऩे का अभियान चलाकर लगाम लगाने की कवायद तो शुरू की है। लेकिन, इससे भी राहत नहीं मिल पा रही है। मात्र दो टीम रोजाना शहर के मोहल्लों से कुत्ते पकडऩे का काम कर रही हैं जबकि कुत्तों की संख्या हजारों में है। वहीं, बंदरों के लिए तो अभी तक निगम ने किसी टीम से संपर्क तक नहीं किया है।
वैक्सीन का टोटा
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक फैला हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद में हर रोज 107 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। इससे भी बदत्तर स्थिति यह है कि शहर में रैबीज की एआरवी वैक्सीन का टोटा चल रहा है। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में रोजाना 250 से अधिक लोग एंटी रैबीज लगवाने आते हैं। लेकिन, 100 को भी रैबीज का इंजेक्शन नहीं मिल पाता है। ऐसे में प्राइवेट में मरीज अपनी जेब ढीली कर रहे हैं।
जनवरी- 914
फरवरी- 1173
मार्च- 1120 नसबंदी का अधूरा प्रयास
कुत्तों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने इस माह आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए शंकर आश्रम में कुत्तों की नसबंदी के लिए ओटी चालू हो चुकी है। नगर निगम की टीम शहर के विभिन्न मोहल्लों में जाकर कुत्तों को पकड़कर शंकर आश्रम ले जाती है। इसके लिए मात्र दो टीमें शहर में सक्रिय हैं। एक टीम में 7 से 8 लोग कुत्तों को पकडऩे का काम कर रहे हैं। पिछले 15 दिन में करीब 574 कुत्तों को नसबंदी के लिए पकड़ा जा चुका है। लेकिन, यह संख्या शहर में फैले आवारा कुत्तों की संख्या के सामने न के बराबर है। इससे भी अलग यह बात है कि अभी तक अभियान शहर के केवल रिहायशी या वीआईपी इलाकों में चलाया जा रहा है। जबकि मलिन बस्तियों में यह संख्या कहीं अधिक है।
बंदरों पर निगम की चुप्पी
बंदर शहर के लोगों के साथ साथ खुद नगर निगम की परेशानी का सबब बने हुए हैं। लगातार पिछले तीन साल से मथुरा की बंदर पकडऩे वाली टीम को टेंडर देने के बाद भी नाम मात्र बंदर ही निगम के हाथ लग रहे हैं। इस साल भी कुछ दिन के लिए बुलाई गई टीम भी खाली हाथ रही। वहीं नगर निगम ने अब बंदर पकडऩे का मामला वन विभाग की अनुमति पर टाल दिया है। वन विभाग से अनुमति नही मिलने के कारण टेंडर नहीं हो पा रहा है।
-12480 लोग एक साल में बने डॉग बाइट का शिकार
- 3207 लोग पिछले तीन माह में बने कुत्तों का शिकार
-574 कुत्तों की 15 दिन में हुई नसबंदी
-02 टीम कुत्ते पकडऩे के लिए शहर में सक्रिय
-16 से 18 लोग दोनों टीमों में हैं शामिल
-02 साल में पकड़े गए बंदरों का रिकॉर्ड नहीं है नगर निगम के पास
-गत वर्ष एक दर्जन के करीब पकड़े गए थे बंदर वर्जन
कुत्तों की नसबंदी का काम शुरू किया जा चुका है। बंदर पकडऩे के लिए हमें वन विभाग के मानक और संख्या के अनुसार काम करना पड़ता है। अभी तक वन विभाग से अनुमति नहीं मिली है। इसके लिए नए सिरे से प्रयास किया जाएगा।
- हरपाल सिंह, पशु चिकित्सक एवं कल्याण अधिकारी