साल 2017 से लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में शामिल नगर निगम अपने भरपूर प्रयास के बावजूद शहर की सूरत बदलने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।

मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण का असर केवल शहर के कुछ वीआइ्रपी वार्ड या क्षेत्रों तक ही सीमित है। मगर शहर का असल चेहरा देखना है तो पुराने शहर की सैर करें। जाम पड़ी नालियां, कूड़े से अटी पड़ी गलियां, जगह-जगह फैली गंदगी, नालों में गंदे पानी का जमाव, जलभराव से जूझते इलाके, चोक पड़ी सीवर लाइन, खराब स्ट्रीट लाइट और जर्जर सड़केंबस यही नजर आता है। ऐसा आखिर क्यों है यही जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट सात दिन का एक अभियान शुरू कर रहा है। अभियान का उद्देश्य नगर निगम की उन कमियों को उजागर करने का है, जिनके चलते शहर की करीब 60 प्रतिशत आबादी स्वच्छता सर्वेक्षण से दूर है।

नहीं सुधर रहे हालात
स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में मेरठ ने 12 नंबर की छलांग लगाई है। 2021 में मेरठ देश के दस लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों की सूची में 27वें स्थान पर था। जबकि इस बार 15वें स्थान पर रहा। वहीं इस रैंकिंग सूची में 10 लाख से अधिक आबादी वाले प्रदेश के सात शहरों में मेरठ नगर निगम को दूसरा स्थान मिला है। लेकिन शहर के अधिकतर इलाकों में गंदगी और नालों की हालत जस की तस है।

एक नजर में
नगर निगम को इस साल जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) वन स्टार और ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) प्लस प्लस प्रमाण पत्र मिला है लेकिन शौचालयों पर लगा ताला और जगह-जगह कूड़ा इस प्रमाण पत्र पर सवाल उठाता है।

निगम क्षेत्र में 146 अस्थायी खत्तों को खत्म करना है मगर अभी तक केवल 56 खत्ते समाप्त किए गए हैं।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन को शत-प्रतिशत करना होगा। अभी तक केवल 45 वार्डों में कलेक्शन किया जा रहा है।

डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन यूजर चार्ज की वसूली भी बहुत जरूरी है, लेकिन अभी तक यूजर चार्ज शुरु नहीं हुआ है।

220 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होने के बाद भी शहर में सीवेज निस्तारण और जलभराव की समस्या को दूर करना।

लोहियानगर डंपिंग ग्राउंड होने के बाद भी मेरठ शहर में प्रतिदिन 900 मीट्रिक टन कचरे का शत प्रतिशत निस्तारण नहीं।

मंगतपुरम, लोहियानगर, मार्शल पिच, नंगलाताशी आदि इलाकों के डंपिंग ग्राउंड पर लीगेसी कूड़ा जमा है। इसका निस्तारण बेहद जरूरी है।

शहर में जलनिकासी की समस्या है। 300 से अधिक छोटे-बड़े खुले नाले हैं। जिनमें कूड़ा, गोबर बहाया जा रहा है।

लोहियानगर और मंगतपुरम में लगे कूड़े के पहाड़ को कम करने की कवायद अधूरी पड़ी है।

इनका है कहना
स्वच्छता सर्वेक्षण महज खानापूर्ति तक सीमित रहता है। शहर में कहीं स्वच्छता सर्वेक्षण का असर पूरे साल नहीं दिखाई देता है।
रविन्द्र

सर्वेक्षण की टीम जब आती है। केवल तभी शहर में सफाई का अभियान गंभीरता से चलाया जाता है। इसके अलावा केवल खानापूर्ति की जा रही है।
सुभाष

सर्वेक्षण में हर साल शहर की रैंकिंग सुधर रही है। यह शहर के लिए अच्छी बात है लेकिन धरातल पर भी इसका कुछ असर दिखाई देना चाहिए।
घनश्याम

शहर के नाले गंदगी से अटे हुए हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। आवारा पशु सड़कों पर मंडरा रहे हैं। कैसे कह सकते हैं कि हम अच्छी स्थिति में हैं।
विनोद शर्मा

स्वच्छता सर्वेक्षण के अलावा भी पूरे साल शहर में लगातार सफाई अभियान नियमित रूप से चलाया जाता है। शहर की आबादी के हिसाब से कुछ वार्डों में सफाई कर्मचारी की संख्या कम है। जिस कारण से रेगुलर सफाई नहीं हो पाती है। लेकिन नियमित रूप से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन समेत सफाई की जा रही है। जहां कमी है वहां संरक्षण कर गंदगी को दूर किया जाएगा।
हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive