पढ़ाने से जी चुरा रहे हैैं गुरूजी
मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू व उससे संबंद्धित कॉलेज के टीचर ऑनलाइन लेक्चर अपलोड करने से हाथ खींच रहे हैैं। ऐसे में यूनिवर्सिटी कॉलेजों व विभागों द्वारा अपलोड किए गए लेक्चर का रिकॉर्ड खंगालने में जुट गई है। यही नहीं, सीसीएसयू ऐसे टीचर्स जिन्होंने अपने लेक्चर ऑनलाइन अपलोड नहीं किए हैैं, उन्हें नोटिस भेजने की तैयारी भी कर रहा है।
197 को नोटिस
सीसीएसयू व उससे संबंद्धित करीब एक हजार कॉलेजों का बीते पांच वर्ष का रिकॉर्ड खंगालने के बाद 197 ऐसे टीचर्स का नाम सामने आया जो या तो ऑनलाइन क्लास के लिए अपने लेक्चर अपलोड नहीं कर रहे हैैं। वहीं कुछ टीचर ऐसे भी मिले हैैं जो कम लेक्चर अपलोड कर रहे हैैं। जांच में यह भी सामने आया है कि ऐसे अधिकतर टीचर ग्रामीण क्षेत्रों के ही बताए जा रहे हैं। इनका डाटा जुटाया जा रहा है। ऐसे सभी टीचर्स और उनसे संबंधित कॉलेजों को सीसीएसयू की ओर से कारण बताओ नोटिस भी भेजा जाएगा।
जारी किए थे निर्देश
सीसीएसयू व उससे जुड़े कॉलेजों में ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन क्लासेज भी चलाई जा रही हैं। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार ने बताया कि सभी कॉलेजों को कहा गया है कि वो अपने यहां पर चलने वाली क्लासेज को सीसीएसयू द्वारा दिए गए लिंक पर अपलोड करना होगा। कॉलेजों को ये डाटा हर महीने अपलोड करना होगा, अगर किसी दिन लेक्चर नहीं हुआ तो उसका भी कारण लिखना होगा।
दरअसल, वीसी द्वारा ये निर्देश जारी किया गया था कि टीचर्स अपने लेक्चर ऑनलाइन भी अपलोड करें ताकि स्टूडेंट्स उनको अपने समय अनुसार किसी भी टाइम पढ़ सकें। मगर लंबे समय से यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार कार्यालय व वीसी कार्यालय पर इस संबंध में काफी शिकायतें आ रही था कि कई कॉलेजों में ऑनलाइन क्लासेज के लिए लेक्चर अपलोड नहीं किए जा रहे हैैं। पहले भी भेजे थे नोटिस
इतना ही नहीं, सीसीएसयू और संबंद्धित कॉलेजों में क्लासेज न चलने की शिकायतों का संज्ञान में लेते हुए वीसी ने सभी कॉलेजों को व विभागों को नोटिस भेजा था कि वो अब हर महीने अपने यहां चलने वाली क्लासेज का टीचर्स व सब्जेक्ट वाइज डाटा भेजेंगे। जिससे ये पता लग सके कि क्लासेज चल रही हैं या नहीं।
सभी कॉलेजों को कहा गया है कि वो अपने यहां सभी टीचर्स को कह दें कि वो अपनी क्लासेज रेग्यूलर करें। अगर कोई क्लासेज नहीं लेगा तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। जो टीचर्स क्लासेज लेने में लापरवाई कर रहे हैं उनको नोटिस भेजे जा रहे हैं। जरूरत पड़ी तो उनका वेतन भी काटा जाएगा।
प्रो। संगीता शुक्ला, वीसी