आध्यात्मिक गुरु के साथ निर्भीक योद्धा थे गुरु गोविंद सिंह
मेरठ (ब्यूरो)। प्रिंसिपल डॉ मृदुला शर्मा ने कहा कि हमें जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। हमें हमेशा अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए काम करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में गुरु गोविंद सिंह के नियमों को मानना चाहिए, उन्होनें कहा था हमें सभी धर्मो का आदर करना चाहिए, जाति व धर्म का भेदभाव करें बिना सभी धर्मो को एक समान मानना चाहिए। इस मैसेज को पूरे जन जन को पहुंचाना आज बहुत ही जरूरी है। शौर्य और साहस के प्रतीक
वहीं अनुपम निधि ने बताया शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ। उनके बचपन का नाम गोङ्क्षवद राय था और वह दसवें सिख गुरु थे। एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ वह निर्भयी योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। उनके इन गुणों को हमें भी अपने जीवन में उतारना चाहिए, हमें भी उनकी तरह निर्भीक होने की आज जरूरत है, अपने लिए स्वयं आवाज उठानी चाहिए और समाज को एकता का संदेश भी देना चाहिए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अर्चना भास्कर, वंदना ङ्क्षसह, प्रमिला और कंचन भी मौजूद रही।