Meerut News बिजली फॉल्ट बचाने के लिए हरे पेड़ काट डाले
मेरठ (ब्यूरो)। हर साल की तरह इस साल भी मानसून के आते ही बिजली विभाग की परेशानी भी बढ़ गई है। बरसात के साथ आने वाली आंधी और तेज हवाओं से हर साल बिजली की लाइनें टूटती है और शहर के लोगों को घंटों लंबा पावर कट झेलना पड़ता है। ऐसे में इस समस्या से निजात दिलाने के लिए बिजली विभाग ने बिजली की लाइनों के पास लगे पेड़ों की टहनियां काटनी शुुरू कर दी हैं। लेकिन शहर के कई इलाकों में टहनियों के नाम पर पूरे के पूरे हरे पेड़ पर ही आरी चलाई जा रही है। मानकों को ताक पर कटे जा रहे इन हरे पेड़ों के विरोध में बंूद फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एनजीटी को ट्वीट कर कार्रवाई की मांग की है।
छटनी के नाम काट रहे पेड़
गौरतलब है कि हर साल बरसात से पहले विद्युत विभाग अपनी एचटी व एलटी लाइनों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए लाइनों के आसपास पेड़ों की टहनियों की छंटनी का काम करता है। इसके तहत मेन रोड पर लगे ऊंचे पेड़ों की कमजोर टहनियों को काटने का काम किया जाता है। वो टहनियां जो कमजोर होने के कारण तेज आंधी या हवाओं से टूट सकती है। ताकि इनके टूटने से पास से गुजर रही बिजली की लाइन क्षतिग्रस्त ना हो। मानक टहनियों के काटने का है लेकिन मानकों को ताक पर रखकर बिजली विभाग के ठेकेदार हरे पेड़ों को काट कर तेजी से अपना कांट्रेक्ट पूरा करने में जुटे हुए हैं।
सिविल लाइन क्षेत्र में हर साल सबसे अधिक इस समस्या से पावर लाइन क्षतिग्रस्त होती है। ऐसे में सिविल लाइन, विक्टोरिया पार्क, शर्मा नगर, मोहनपुरी नाला पटरी, फूलबाग कालोनी के आसपास इस माह आरी चल रही है। लेकिन यहां टहनियों के नाम पर आधे से अधिक पेड़ ही काट दिए गए हैं। यही हालत मेडिकल कालेज के सामने गढ़ रोड देखने को मिल रही है, यहां भी जगह-जगह पूरे के पूरे हरे पेड़ काट दिए गए। जबकि ये पेड़ लाइन से दूर बने हुए थे। ये पेड़ मानकों के अनुसार नहीं काटे जा रहे हैं। बिजली की लाइनों के आसपास पेड़ तक नहीं है। टहनियों के नाम पर आधे से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
रवि कुमार, बूंद फाउंडेशन कमजोर टहनियों को काटने तक तो ठीक है लेकिन बीच से ही हरा पेड़ काट देना लापरवाही है। जल्दबाजी में किए गए इस कार्य के खिलाफ एक्शन जरूर होना चाहिए।
मुकुल रस्तोगी
कहीं सडक़ चौड़ी करने तो कहीं बिजली की लाइन को बचाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं। कम से कम जहां काम चल सकता है, वहां तो पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए।
रीनू भाटी
राजेश कुमार, डीएफओ