Meerut News : ग्लोबल वॉर्मिंग मेंस्ट्रुअल साइकिल को भी चेंज कर रहा है
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शाहीन की उम्र नौ साल है। उसे पहली बार पीरियड आए। इस बदलाव को देख वह डर गई। परिजनों ने उसे संभाला तो बात बनी। उसके बाद भी वह कई दिन तक तनाव में रही।
जाह्नवी को आठ वर्ष की उम्र में पहली बार पीरियड हुए। उसकी मां उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गई। जांच में पता चला की उसका रिप्रॉडक्शन सिस्टम मेच्योर हो गया है। केस 3
ऊषा को भी नौ साल की उम्र में ही पीरियड शुरू हो गए। वह इसके लिए तैयार नहीं थी। घर में भी उसकी मां को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला की उसके हार्मोंस की ग्रोथ प्रभावित हुई है।
मेरठ (ब्यूरो)। लड़कियों के पहले पीरियड की उम्र घट रही है। पहले पीरियड 12 या इससे अधिक उम्र में शुरू होते थे। अब आठ से दस वर्ष तक की उम्र में ही मासिक धर्म शुरू हो रहा है। ऊषा, शाहीन और जाह्नवी तो उदाहरण भर हैं। ऐसे कई मामले डॉक्टर्स के पास अब रोजाना पहुंच रहे हैं। इस बदलाव से जहां डॉक्टर्स हैरान हैं, वहीं पेरेंट्स की चिंताएं भी बढ़ गई है। इसे कई बीमारियों की दस्तक भी माना जा रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि एर्ली मिनार्की यानी पहला पीरियड कम उम्र में शुरू होने से शरीर की विकास दर तेज होगी और मेनोपॉज या ऐज पर भी इसका विपरीत असर पड़ेगा।
हार्मोंस के असंतुलन का असरडॉक्टर्स बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से कुछ रासायनिक प्रदूषक जैसे एंडोक्राइन डिसरप्टर्स मोस्ट एक्टिव फॉर्म में आ जाते हैं। ये बॉडी में हार्मोन के काम करने के तरीकों पर असर डालते हैं और उन्हें तेज या धीमा कर देते हैं। जिसकी वजह से बॉडी की ग्रोथ में बदलाव आने लगता है। खानपान में बदलाव के कारण
एक्सपट्र्स बताते हैं कि क्लाइमेंट चेंज का असर एग्रीकल्चर पर भी देखा जा रहा है। प्रॉडक्शन से लेकर खाने तक खाद्य उत्पादों में केमिकल का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है। इसकी वजह से पोषण संबंधी समस्याएं पैदा हो रही है। खराब पोषण लड़कियों के विकास और हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ देता है। जिसकी वजह से भी ये बदलाव देखने में आ रहा है।
तनाव-लाइफस्टाइल भी वजह
लाइफस्टाइल में फिजिकल एक्टिविटी कम होने की वजह से भी बॉडी की ग्रोथ में बदलाव आ रहा है। डॉक्टर्स बताते हैं कि कम शारीरिक गतिविधि हार्मोनल स्तरों को प्रभावित करती है। जिससे स्ट्रेस लेवल भी बढ़ता है। इसका असर लड़कियों के हार्मोंस पर पड़ रहा है और उनमें एर्ली मिनार्की देखी जा रही है।
डॉक्टर्स बताते हैं कि जल्दी मासिक धर्म आने की वजह से हार्मोन लेवल्स में परिवर्तन होता है। इसकी वजह से ब्रेस्ट और ओवरिएन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ सकता है। इसके अलावा किशोरियों में चिंता, अवसाद, डिप्रेशन भी बढ़ जाता है। उनमें सेल्फ कांफिडेंस कम होने लगता है। इससे मोटापा, डायबिटिज और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है। वहीं लांग टर्म में इंफर्टिलिटी, अनियमित पीरियड्स, फाइब्रोइड्स या अन्य गर्भाधान संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। इनका है कहना
लड़कियों में अब एर्ली मिनार्की काफी देखी जा रही है। इसका बड़ा कारण जलवायु में बदलाव और केमिकल युक्त खानपान है। पहले 12 से 13 साल की लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत होती थी। अब ये आठ साल की उम्र में भी शुरू हो जा रहे हैैं।
डॉ। अंशु जिंदल, सीनियर गायनी क्लाइमेट में होने वाला रह चेंज ह्यूमन बॉडी पर असर डालता है। इसकी वजह से हार्मोंस इंबैलेंस हो रहा है और अलग-अलग प्रभाव देखने में मिल रहे हैं। एर्ली मिनार्की या जल्दी पीरियड्स आना इसमें से एक है।
डॉ। मनीषा त्यागी, सीनियर गायनी
आजकल खाने में केमिकल बहुत यूज होता है। खाने के साथ ये शरीर में जाता है और कई तरह के नुकसान करता है। कम उम्र में मासिक धर्म होने की बड़ी वजह ये ही है। छोटे-छोटे बदलाव शरीर में बड़ा असर डाल रहे हैं।
डॉ। योगिता, एचओडी मेडिसिन डिपार्टमेंट, मेडिकल कॉलेज