Meerut News : दोस्तो! जरा आंख में भर लो पानी...ये है 'डेट ऑफ बर्थ' की कहानी
केस वन : करेक्शन कराना पहाड़ तोडऩे जैसा
मैं शिवम कुमार बीते पांच महीने से हर रोज बुलंदशहर से मेरठ आता हूं। बोर्ड ऑफिस के कर्मचारियों से गुहार लगाता हूं। हर रोज वो नई बात बताते हैं। फिर परेशान होकर लौट जाता हूं। अब स्कूल से एसआर रिकार्ड मांगा गया है। मेरी प्रॉब्लम यह है कि मेरी हाईस्कूल की मार्कशीट में डेट ऑफ बर्थ गलत है। उसे सही कराना तो अब पहाड़ तोडऩे जैसा मुश्किल हो गया है।
केस टू : छह महीने बीत गए
छह महीने बीत चुके हैं। मैं अब परेशान हो गई हूं। मेरा नाम श्वेता है। मेेरे लिए तो बोर्ड ऑफिस में आना तो जैसे कचहरी की तारीख करने जैसा हो गया है। रोज कर्मचारियों से मनुहार करती हूं, लेकिन कोई सॉल्यूशन नहीं होता है। छह महीने से रोज भैंसा गांव से बोर्ड ऑफिस आती हूं। मेरी मार्कशीट में डेट ऑफ बर्थ और सरनेम में गड़बड़ी है। उसे सही कराना है, लेकिन हालत यह है कि मैं हर दिन स्कूल और बोर्ड ऑफिस के बीच परिक्रमा करती हूं। मुझे बीएड में एडमिशन लेना है, लेकिन सर्टिफिकेट ही सही नहीं है।
मेरठ (ब्यूरो)। कहते हैं कि अगर आपके हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट में कोई गड़बड़ी है। तो मान लीजिए इसका करेक्शन कराने में आपकी एड़ी घिस जाएगी। हालांकि, यह काम न तो पहाड़ तोडऩे जैसा है और न ही कचहरी की तारीख जैसा, पर यहां इतने पेंच फंसेंगे कि आपको लगेगा कि सर्टिफिकेट में करेक्शन कराना ही दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। इन दिनों यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स डेट ऑफ बर्थ में करेक्शन कराने के लिए भटक रहे हैं। इन छात्रों की संख्या करीब 4 हजार है।
डीओबी में गड़बड़ीगौरतलब है कि कई छात्रों के सर्टिफिकेट में डेट ऑफ बर्थ में गड़बड़ी है। बोर्ड ऑफिस में बीते साल के करीब 4 हजार सर्टिफिकेट आए हैं जिनमें डेट ऑफ बर्थ और सरनेम में गड़बड़ी की शिकायतें हैं। मार्कशीट और सर्टिफिकेट में करेक्शन अब आसान नहीं है। करेक्शन की प्रक्रिया इतनी मुश्किल है कि पेरेंट्स और स्टूडेंट्स को बोर्ड ऑफिस के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। खासतौर पर जन्मतिथि में संशोधन कराना तो और भी मुश्किल है।
रजिस्ट्रेशन में गलती, अब मुसीबत
दरअसल, स्कूलों ने 9वीं और 11वीं के रजिस्ट्रेशन के समय डाटा भरने में लापरवाही हो गई है। सबसे अधिक गलती डेट ऑफ बर्थ की है। स्कूलों ने एसआर रिकॉर्ड चढ़ाने में गलती की है। ऐसे में अब बोर्ड कार्यालय पर स्कूलों से एसआर रिकॉर्ड सहित तमाम कागजात मांगे जा रहे हैं। ऐसे में स्कूल अब एसआर रिकार्ड उपलब्ध कराने में टाल मटोल कर रहे हैं। इससे छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, 10वीं में अंकित जन्म तिथि ही ताउम्र मान्य होती है। उससे पहले स्टूडेंट्स की जन्म तिथि बदलवाने का मौका सिर्फ यहीं पर होता है। जन्म तिथि सही कराने के लिए उस प्रत्येक स्कूल के प्रवेश फॉर्म और टीसी की कॉपी मांगी जा रही है, जहां बच्चा पढ़ चुका है। वहीं इंटर के स्टूडेंट्स को दसवीं से अलग जन्मतिथि हो तो उसमें भी उनको परेशानी होती है। 300 से अधिक स्कूलों को लेटर
करीब 300 से अधिक स्कूलों को विभिन्न जिलों में बोर्ड कार्यालय से इस संबंध में लेटर भेजा गया है। बार बार मांगने के बावजूद भी स्कूल डॉक्यूमेंट नहीं दे रहे हैं।
ये मांग रहे है दस्तावेज
स्कूल प्रिंसिपल का घोषणा अनुबंध पत्र और निर्धारित प्रारूप पर शपथ पत्र देना अनिवार्य होता है।
डीआईओएस द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित स्थानान्तरण प्रमाण पत्र।
उनमें प्राइमरी, मिडिल व हाई स्कूल के दाखिला रजिस्टर की मौके पर जांच कराना।
इस तीनों सेक्शन की काउंटर साइन टीसी।
संशोधन वाले प्रमाण पत्र की मूल प्रति।
इंटरमीडिएट की छायाप्रति।
कक्षा नौ या ग्यारह के पंजीकरण की प्रमाणित प्रति।
प्रवेश आवेदन फार्म की प्रमाणित छायाप्रति।
परिवार रजिस्टर की नकल और आधार कार्ड देना होता है।
डीआइओएस की आख्या।
नाम एवं जन्मतिथि आदि संशोधित कराये जाने की स्थिति में सही प्रविष्टियों से सम्बन्धित हलफनामा।
परिषद द्वारा जारी किए गए त्रुटिपूर्ण मूल प्रमाण पत्र को सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालय में लौटाने का सत्यापित प्रमाण।
स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित आवेदन पत्र।
डीआईओएस द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित स्थानान्तरण प्रमाण पत्र।
परीक्षाफल अपूर्ण रहने अथवा अनुपस्थित दर्शाये जाने की स्थिति में परीक्षा में उपस्थिति रहने का प्रमाण -उपस्थितिपत्रक का विवरण प्रिंसिपल द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित।
नाम आदि संशोधित कराए जाने की स्थिति में सही प्रविष्टियों से सम्बन्धित हलफनामा।
कक्षा 9वीं अथवा 11वीं के पंजीकरण कार्ड की प्रतिलिपि।
परीक्षार्थी का पहचान पत्र (आधार कार्ड अथवा मतदाता पहचान पत्र अथवा अन्य किसी पहचान पत्र की प्रतिलिपि)।
एसआर रिकॉर्ड है मुश्किल
स्कूलों द्वारा स्टूडेंट्स का तीनों सेक्शन का अटैंडंस रिकॉर्ड देना बहुत ही मुश्किल काम हो जाता है। यहां भी स्कूलों का खेल होता है। अधिकतर स्कूल ऐसे होते हैं जो आठवीं तक का स्कूल चला रहे होते है और अपने यहां हाईस्कूल व इंटर के एडमिशन ले लेते है। किसी दूसरे स्कूल से सांठ गांठ करके पढ़ाई करा देते हैं, लेकिन इसका पता तब लगता है जब मार्कशीट में दिक्कत आती है, क्योंकि बोर्ड कार्यालय को रिकॉर्ड चाहिए होता है जो स्कूल उपलब्ध करवाएंगे तो सारा मामला सामने आ जाएगा। इसलिए रिकॉर्ड मिल नहीं पाते हैं, ऐसे में स्कूल अपने को बचाने के चक्कर में रिकॉर्ड नही देते हैं। दूसरे केस ऐसे भी होते है जिनमें स्कूल किसी प्राइवेट व्यक्ति को एडोप्ट करके उनको यह काम कम पैसो में करने को दे दिया जाता है, जो लापरवाही के साथ रिकॉर्ड डालता है, लेकिन जब ऐसी समस्या स्टूडेंट को आती है तो रिकॉर्ड देना मुश्किल हो जाता है, जो स्कूलों की लापरवाही दर्शाता है।
हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के तीन साल के अंदर यदि जन्मतिथि में संशोधन के लिए आवेदन नहीं किया गया तो संशोधन नहीं होगा। यूपी क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय मेरठ के सचिव कमलेश ने बताया कि 11 बिंदुओं पर रिकॉर्ड मांगा जाता है। वो जमा करने होते हैं। तभी मामले का निस्तारण किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि स्कूलों को कई बार लेटर भेजा जाता है। अब स्कूलों एक फिर लेटर भेजा गया है, कि स्टूडेंट्स के सारे कागजात जमा करने में मदद करें ताकि उनके भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकें। मेरी मार्कशीट में दिक्कत है। अब आगे मुझे परेशानी हो रही है। स्कूल बोर्ड कार्यालय भेज देते हैं, बोर्ड का मांगा डाटा स्कूल भेज नहीं रहे हैं।
शिवानी मैं अब सातवीं बार बोर्ड कार्यालय आई हूं, स्कूल कहते हैं हमने कागजात भेज दिए यहां आकर पता लगता है स्कूलों ने कागज नहीं भेजे है। परेशान हो गई समझ नहीं आ रहा क्या करूं
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