सीसीएसयू में 2018 में एमबीबीएस में कॉपियों की अदला बदली के मामले में एक बड़ी कार्रवाई एसआईटी ने की है। एसआईटी ने इस मामले में पाया है कि कॉपी बदलने के खुलासे और आरोपी स्टूडेंट का रिजल्ट रोकने के बावजूद उन्हें एग्जाम में बैठाकर फिर से रिजल्ट जारी किया गया है। जो पूर्व रजिस्ट्रार ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने किया है जांच के घेरे में वो फंस गए है।

मेरठ (ब्यूरो)। एसआईटी की जांच के आधार पर 13 जनवरी 2018 से 17 फरवरी 2019 तक कार्यरत रहे।रजिस्ट्रार ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव को पहली दृष्टि में दोषी माना गया है।पूर्व रजिस्टार पर विभागीय अनुशासनिक कार्यवाई के लिए कमिश्नर मेरठ को जांच अधिकारी बनाया गया है। अब आगे की कार्रवाई कमिश्नर मेरठ करेंगी।
उस समय में कार्यरत थे रजिस्ट्रार
एसआईटी ने पाया कि यूनिवर्सिटी ने एमबीबीएस भाग दो मुख्य एवं सप्लीमेंट्री परीक्षा 2018 से 17 फरवरी 2019 तक कार्यरत रहे। रजिस्ट्रार ज्ञान प्रकाश को पहली दोषी माना गया है। पूर्व रजिस्टर पर विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई के लिए कमिश्नर मेरठ के जांच अधिकारी बनाया गया है। अब आगे की कार्यवाई कमिश्नर मेरठ करेंगी। एसआईटी ने पाया कि यूनिवर्सिटी ने एमबीबीएस भाग दो मुख्य एवं सप्लीमेंट्री परीक्षा 2018 के स्टूडेंट स्वर्णजीत सिंह एवं आयुष सोफत का रिजल्ट यूएफएम श्रेणी में रोका था।

एसआईटी ने यूनिवर्सिटी से इन दोनों स्टूडेंट के रिजल्ट की जानकारी मांगी तो यूनिवर्सिटी ने 24 जुलाई 2020 में परीक्षा समिति की आपात बैठक कर दोनों स्टूडेंट्स के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया। इसके बावजूद उन्हें एग्जाम में शामिल किया गया और फिर रिजल्ट जारी करना। इन सभी गतिविधियों को अनुचित मानते हुए इसे निरस्त कर दिया। इसकी सूचना एसआईटी को भेज गई।

आदेशों के अनुसार ज्ञान प्रकाश उस अवधि में कार्यरत रहे और उन्होनें इस दौरान अपने कत्र्तव्यों व दायित्वों को ठीक ढंग से नहीं निभाया, इसलिए पहली दृष्टि में उनको दोषी माना जाएगा। तत्कालीन वीसी प्रो। एनके तनेजा ने इस मामले में चार कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया था। हालांकि चार साल बाद भी एमबीबीएस कांड में मामले की तह तक जाने से दूर है। रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा का इस बारे में कहना है कि मामले में एसआईटी की जांच चल रही हैं, जो भी कार्रवाई है वो प्रशासनिक स्तर से की जाएगी।

Posted By: Inextlive