ऑप्टिमाइजेशन एल्गोरिथम के बारे में दी जानकारी एआई से शिक्षा के क्षेत्र में होने वाली मदद पर भी दी गई जानकारी


मेरठ ब्यूरो। सीसीएस यूनिवर्सिटी के गणित विभाग और डीआरडीओ के द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के चौथे दिवस के प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता एनआईटी अगरतला के प्रोफेसर अपु कुमार साह ने प्रकृति प्रेरित एल्गोरिथम पार्टिकल स्वार्म ऑप्टिमाइजेशन, डिफरेंशियल इवोल्यूशन, सिंबायोटिक आर्गनिज्म सर्च और बटरफ्लाई ऑप्टिमाइजेशन एल्गोरिथम के बारे में विस्तार से बताया। रिमोट सेंसिंग के बारे में बताया कार्यक्रम के दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता डीआरडीओ नई दिल्ली के अपर निदेशक डॉ। युसफ अंसारी ने स्थानिक समय क्लस्टरिंग के अनुप्रयोग के बारे में बताया। इन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग, मोबाइल नेटवर्क, जीपीएस डिवाइस जैसी नई तकनीक ने हमें स्थानिक- समय डाटा एकत्र करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने आगे बताया कि स्थानिक समय क्लस्टरिंग इंजीनियरिंग, विज्ञान की विभिन्न शाखों आणविक जीव विज्ञान भूकंप विज्ञान अध्ययन आदि तथा आतंकवादी गतिविधियों की पहचान और निगरानी वहां काफिले की ट्रैकिंग आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्वार्म इंटेलिजेंस की दी जानकारी।
कार्यक्रम के तीसरे सत्र के मुख्य वक्ता दक्षिण एशियाई यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रो। डॉ। जगदीश चंद बंसल रहे। उन्होंने आगामी व्याख्यान में स्वार्म इंटेलिजेंस का उदय विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ। बंसल ने अपने व्याख्यान में स्वार्म इंटेलिजेंस की अवधारणा और इसके प्रमुख एल्गोरिदम जैसे पार्टिकल स्वार्म ऑप्टिमाइजेशन, आर्टिफिशियल बी कॉलोनी एल्गोरिदम और स्पाइडर मंकी ऑप्टिमाइजेशन की व्याख्या की। उन्होंने बताया स्वार्म इंटेलिजेंस की प्रेरणा प्रकृति से मिलती है, जैसे कि चींटियों के भोजन खोजने के व्यवहार, पक्षियों के झुंड, और बंदरों के सामाजिक ढांचे से। यह एल्गोरिदम उन समस्याओं को हल करने में सहायक हैं, जो पारंपरिक तकनीकों से हल नहीं हो पातीं।एआई की उपयोगिता बताई कार्यक्रम के चौथे सत्र के मुख्य वक्ता फुजैराह महिला यूनिवर्सिटी, यूएई के प्रो। डॉ। संजय कुमार त्यागी रहे। इन्होंने शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर अपने भाषण में कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में एक सहयोगी के रूप में उभरा है, न कि प्रतिस्पर्धी के रूप में। उनका मानना था कि एआई कक्षा में सीखने की यात्रा को व्यक्तिगत और प्रभावी बना सकता है। एआई की मदद से शिक्षार्थियों की जरूरतों के अनुसार सामग्री तैयार की जाती है और शिक्षक की प्रशासनिक जिम्मेदारियां कम होती हैं, जिससे उन्हें छात्रों के साथ बेहतर समय बिता सकें और शोध पर ध्यान केंद्रित कर सकें। एआई ने शोधकर्ताओं को नई खोजों के अवसर प्रदान किए है। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर जयमाला और प्रोफ़ेसर मुकेश शर्मा ने किया।

Posted By: Inextlive