सावन : पहला सोमवार आज, सज-धजकर तैयार शिवालय
4 सोमवार पड़ रहे हैं इस बार सावन में
औघड़नाथ मंदिर में शाम 7:30 बजे से होगी महाआरती MEERUT : सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को है, ऐसे में शहर के शिवालय सज-धजकर तैयार हो गए हैं। मंदिरों में बैरीकेडिंग लग चुके है, तो वहीं कृत्रिम लाइटों से सजाया गया है, वहीं जल चढ़ाने के लिए विशेषकर लोटे व विशाल भंडारे का इंतजाम किया गया है। फूल बंगले का दीदार श्री बाबा औघड़नाथ मंदिर कमेटी के महामंत्री सतीश सिंघल ने बताया कि मंदिर में पहले सोमवार पर विशेष विशाल भंडारे की तैयारी की गई है। इसके साथ ही मंदिर को कृत्रिम लाइटों के साथ व फूलों के साथ सजाया गया है। मंदिर में स्थित राधा कृष्ण मंदिर में फूल बंगले की सजावट की गई जो आकर्षण का केंद्र है। इसके साथ ही रात को 7:30 बजे महाआरती का आयोजन होगी।
एक हजार लोटे
मंदिर में जल चढ़ाने के लिए एक हजार से अधिक लोटे की व्यवस्था की गई है। बिल्वेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी हरिशंकर जोशी ने बताया कि मंदिर में विशेष सजावट हुई है, लाइटों से सजाया गया है। इसके साथ ही भंडारा होगा, जल चढ़ाने के लिए लोटे का इंतजाम भी किया जा रहा है, मंदिर में विशेष आरती का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही वाटर सेविंग सिस्टम का भी इंतजाम किया गया है, जिससे जल बचाया जा सकें।
सावन के सोमवार पहला - 22 जुलाईदूसरा - 29जुलाईतीसरा- 5 अगस्तचौथा- 12 अगस्त ऐसे करें पूजा-अर्चना सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें पूजा स्थान की सफाई करें आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रच्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं। पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें सावन के पहले सोमवार को श्रावण कृष्ण पंचमी, दूसरे में त्रयोदशी प्रदोष व्रत व सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी है। तीसरे सोमवार को नागपंचमी व अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग बन रहा है। चिंतामणि जोशी, पुजारी, बिल्वेश्वर नाथ मंदिरपुराणों में बताया गया है सच्चे मन से जो भी सावन सोमवार में शिवजी की पूजा करता है, उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
श्रीधर त्रिपाठी, पुजारी औघड़नाथ मंदिर