फाइनेंस मिनिस्टर कृपया ध्यान दें...ये है मेरठ की डिमांड लिस्ट
मेरठ (ब्यूरो)। आगामी एक फरवरी को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। इस बजट से समाज के सभी वर्गों को काफी उम्मीदें हैं। एक ओर उद्यमी राहत की मांग कर रहे हैं। वहीं, पीएनजी पर अनुदान प्रदान करने के साथ नए उद्योगों के लिए जमीन उपलब्ध कराने की उम्मीद है। इसके साथ ही विकास को लेकर शहरवासी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। चिकित्सा, शिक्षा, व्यापारी वर्ग भी अपनी कुछ खास समस्याओं के निदान के लिए बजट से आस लगाए बैठा है। आइए जानते हैं कि आम बजट को लेकर शहरवासियों को क्या हैं उम्मीदें
शहर के उद्यमियों की मांगेंउद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था जिले में हो। एक्सप्रेस-वे के साथ नवनिर्मित हाईवे के किनारे उद्योग लगाने के लिए जमीन आवंटित की जाए। औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार के लिए जमीन की जरूरत को पूरा किया जाए।
खेल इंडस्ट्रीज के लिए यहां टेस्टिंग लैब की स्थापना की जाए।
उद्योगों में प्रयोग होने वाली पीएनजी पर अनुदान प्रदान किया जाए। एमएसएमई के लिए प्रोत्साहन योजनाओं के साथ जीएसटी दरों के सरलीकरण और आयकर की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके साथ ही इंडस्ट्रीज के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट में घोषणा होनी चाहिए।अनुराग अग्रवाल, डिवीजनल चेयरमैन आईआईए
इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट पर एचएसएन कोड खत्म किया जाना चाहिए। जीएसटी की दरों को 5 व 18 प्रतिशत की बजाए कोई बीच का प्रतिशत निर्धारित किया जाना चाहिए। बैंक के रेट ऑफ इंट्रेस्ट में कमी के संबंध में घोषणा होनी चाहिए।
सुमनेश अग्रवाल, अध्यक्ष आईआईए
अनुज सिंघल, अध्यक्ष, स्पोट्र्स गुड्स व्यापार संघ कैंची उद्योग के विकास के लिए चाइना से आयात होने वाली कैंची पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जानी चाहिए ताकि देसी कारीगरों का कारोबार खत्म न हो।
शरीफ अहमद, वाइस प्रेसीडेंट, कैंची क्लस्टर रियल एस्टेट को यह है अपेक्षा भवन निर्माण की वस्तु सरिया, सीमेंट, डस्ट सहित हर वस्तुओं के भाव कम किए जाएं। शहर के रियल एस्टेट को अतिरिक्त छूट मिले, जिससे लागत कम आए। हाउसिंग लोन में ब्याज में और छूट होनी चाहिए। प्रोजेक्ट सही समय पर तैयार हो, इसके लिए बिल्डर्स के लिए नियमों में सरलीकरण किया जाए। हाउसिंग प्रोजेक्ट में सरकारी जमीन आने पर सर्किल रेट के अनुसार समायोजन किया जाए।
एक्सप्रेस वे, रैपिड रेल के आने से मेरठ में विकास की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इससे मेरठ के प्रॉपर्टी सेक्टर में इजाफा होगा। ऐसे में जरुरी है कि प्रोजेक्ट में जो सरकारी जमीन आती हैं उन्हें सर्किल रेट के अनुसार समायोजन करने की प्रक्रिया आसान की जानी चाहिए।
कमल ठाकुर, विश्वकर्मा इंडस्ट्रीयल रियल एस्टेट
अमन अग्रवाल, जेपी बिल्डर्स स्वास्थ्य क्षेत्र में आम लोगों की उम्मीदें
मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी-पीएचसी तक 40 प्रतिशत चिकित्सक व स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे, जिला अस्पताल में सिटी स्कैन समेत अन्य जांच की अत्याधुनिक मशीनों की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों के विस्तार और चिकित्सकों के आवास बनाने की आवश्यकता है। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की दशा सुधारने की जरूरत है।
हेल्थ चिकित्सा शिक्षा के सेक्टर में बजट बढ़े। मेडिकल कालेज में एम्स जैसे उपचार की सुविधाओं में इजाफा किया जाना चाहिए। ताकि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मरीज को दिल्ली न जाना पड़े।
डॉ। सुशील गुप्ता, अध्यक्ष आईएमए
डॉ। अलोक अग्रवाल, सचिव, आईएमए बजट से कुछ प्रमुख उम्मीदें पीएनजी पर मिले सब्सिडी उद्योगों के विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर
में सुधार हो एमएसएमई के लिए प्रोत्साहन पैकेज पर्सनल इंकम टैक्स में कमी से संबंधित घोषणा माल वाहन ट्रेनों के लिए विशेष गलियारा जीएसटी का सरलीकरण कराया जाए इंसेटिव और सब्सिडी का समय पर भुगतान एयर कनेक्टिीविटी और रेल माध्यमों का विस्तार प्रयागराज के लिए नई ट्रेन फूड प्रोसेसिंग यूनिट मेरठ में लगाई जाए स्पोर्ट्स गु्ड्स को एक ही टैक्स स्लैब में शामिल करें आयकर में छूट ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए विकल्पों का विस्तार इंडस्ट्री लोन के लिए बैंक का रेट ऑफ इंट्रेस्ट कम हो ई-मार्केटिंग पर नियमावली बने ब्याज की दर को रेपो रेट से जोड़ा जाए
ऑनलाइन व्यापार करने वाली कंपनियों पर लगाम लगे। ऐसा प्रावधान हो, कि ऐसी कंपनियों की जांच की जाए। मोबाइल पर जीएसटी दर 18 प्रतिशत है, जबकि इसे न्यूनतम दर यानी पांच प्रतिशत पर लाना चाहिए।
राजवीर सिंह, जोनल वाइस प्रेसीडेंट, आल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन
रामदेव शर्मा, डायरेक्टर जीके फर्टिलाइजर आगामी बजट में चिर प्रतीक्षित आयकर छूट बढाने की अत्यधिक आवश्यकता है। वस्तु एवं सेवाकर के लागू होने के बाद आज देश का प्रत्येक वर्ग कर चुका रहा है। ऐसे में टैक्स में अप्रत्याशित वृद्धि पर लगाम लगाई जाए। खाद्यान्न और दूध उत्पादों पर लगाया गया जी एस टी वापसी लिया जाए।
विनेश कुमार जैन, अध्यक्ष, डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन जीएसटी की दरों में इजाफा होने से कपड़ा महंगा होता जा रहा है। 5 से 12 प्रतिशत तक जीएसटी देना पड़ता है। इसलिए सीधा और स्पष्ट स्लैब होना चाहिए। कपड़े पर छूट या कोई पैकेज देकर रोजगार को बढ़ाया जाना चाहिए।
अमित बंसल, महामंत्री, सदर व्यापार मंडल टेंट व मंडप व्यवसायियों पर लगने वाले जीएसटी को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत किए जाने की उम्मीद है। जिस प्रकार रेस्टोरेंट व कैटरिंग से 5 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है।
विपुल सिंघल, महामंत्री, रेस्टोरेंट एवं मंडप एसोसिएशन इनकम टैक्स के स्लैब को बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। खेल उत्पादकों पर एक ही जीएसटी लगाया जाए। खेल एक्सरसाइज व अन्य प्रकार के सभी खेल उत्पादन पर एक जीएसटी स्लैब तय किया जाए।
अजित शर्मा, केडी स्पोटर्स बजट में जीएसटी में संशोधन अगर हो जाएगा तो व्यापारियों को राहत मिलेगी व महंगाई जो चरम सीमा पर है उसको भी काम किया जाए। जिससे आमजन व व्यापारी समाज को भी राहत की सांस मिल सके।
अकरम गाजी (जिला महामंत्री), उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल