'फेसलेस' तो ठीक है, पर चेहरे के पीछे क्या है...ये कैसे पता चलेगा
मेरठ (ब्यूरो). घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए जनवरी माह में आवेदकों के लिए शुरू की गई फेसलेेस व्यवस्था भले ही लोगों के लिए सुविधाजनक साबित हो रही है लेकिन विभाग के लिए परेशानी का सबब बन गई है। फेसलेस व्यवस्था के तहत आवेदक कार्यालय में आए बिना अपने लैपटॉप से आवेदन की प्रक्रिया को पूरा तो कर रहे हैं लेकिन उनके फिजीकल वैरीफिकेशन समेत टेस्ट प्रक्रिया में धांधली की संभावना बढ़ गई है। जिसके चलते परिवहन ने लखनऊ मुख्यालय को व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ सुझाव भेजे हैं।
ये है फेसलेस सुविधा
अब तक ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुक कराने के बाद विभाग में ऑनलाइन टेस्ट व फोटो के लिए आना पड़ता था। मगर अब फेसलेस प्रक्रिया के तहत आवेदक घर बैठे ऑनलाइन आवेदन से लेकर टेस्ट तक दे सकता है।
- इसके लिए आवेदनकर्ता को आवेदन करते समय अपना आधार नंबर दर्ज कराना होता है।
- आधार का वैरीफिकेशन होने के बाद आधार कार्ड से आवेदनकर्ता का नाम, पिता का नाम, एड्रेस, फोटो, डेट ऑफ बर्थ ऑटोमेटिक फार्म में फिल हो जाता है।
- यह पूरी प्रक्रिया सारथी पोर्टल पर फीस जमा करने के साथ ही अपने आप पूरी हो जाती है।
- इसके बाद आधार कार्ड में अटैच नंबर पर आवेदकों को मैसेज किया जाता है
विभागीय अधिकारियों की मानें तो डॉक्यूमेंट वेरीफाई होने के बाद आवेदनकर्ता के मोबाइल पर लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन टेस्ट का ओटीपी भेजा जाता है। इसके बाद आवेदक को सड़क सुरक्षा के नियमों संबंधित ट्यूटोरियल क्लॉस अटेंड करनी होती है। इसके बाद ऑनलाइन टेस्ट होता है। समस्या यह है कि टेस्ट शुरू होते समय ऑनलाइन लाइव कैमरा केवल एक बार आवेदक के फेस का ऑथेंटिकेशन करता और ओके कर देता है। इसके बाद आवेदक अपने स्थान पर किसी अन्य को भी टेस्ट के लिए बैठाकर टेस्ट पूरा करा सकता है। फिजीकल वैरीफिकेशन नहीं
ऑनलाइन टेस्ट के बाद इस व्यवस्था में दूसरी सबसे बड़ी खामी ये है कि इस प्रक्रिया के दौरान आवेदक के फिजीकल वैरीफिकेशन की व्यवस्था नहीं है। यानि आवेदक अगर दिव्यांग है या नेत्रहीन है तो उसकी पहचान कैमरा नहीं कर पाएगा। हालांकि मेडिकल सर्टिफिकेट जमा होता है लेकिन लाइव वैरीफिकेशन नहीं होने का फायदा दलाल या फर्जी लाइसेंस बनाने वाले उठा सकते हैं।
50 प्रतिशत लोड कम
फेसलेस व्यवस्था को लागू हुए एक माह से अधिक समय हो चुका है। इससे विभाग में आने वाले आवेदकों की संख्या 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। फेसलेस के बाद विभाग ने ऑनलाइन स्लॉट की संख्या भी 250 से कम कर के 150 के करीब कर दी है।
फेसलेस सुविधा काफी बेहतर है लेकिन इसमें कुछ कमियां हैं जिनका आवेदक फायदा उठा सकते हैं। इसमें फिजीकल वैरीफिकेशन की सुविधा भी नहीं है। ऑनलाइन टेस्ट में भी आवेदक खुद टेस्ट देने से बच सकते हैं। इसमें सुधार के लिए मुख्यालय को कुछ सुझाव भेजे गए हैं।
राहुल शर्मा, आरआई