साल 2015 में शहर की सीवर व्यवस्था सुधारने के लिए शुरू हुआ नगर निगम का अभियान छह साल बाद भी अधर में है. इस सीवर लाइन से शहर की जल निकासी की व्यवस्था तो दुरुस्त हो जाएगी लेकिन इस कवायद की धीमी गति शहर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

मेरठ (ब्यूरो). साल 2015 में शहर की सीवर व्यवस्था सुधारने के लिए शुरू हुआ नगर निगम का अभियान छह साल बाद भी अधर में है। इस सीवर लाइन से शहर की जल निकासी की व्यवस्था तो दुरुस्त हो जाएगी, लेकिन इस कवायद की धीमी गति शहर के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। सीवर लाइन के नाम पर पिछले चार साल से शहर की अधिकतर सभी प्रमुख सड़कों पर खुदाई चल रही है। खुदाई के कारण शहर की सड़कों पर चलना दूभर है और कुछ सड़कें तो ऐसी भी हैं जिन पर चार साल से लगातार खुदाई जारी है।

अमृत योजना के तहत खुदी सड़कें
गौरतलब है कि अमृत योजना के तहत जल निगम शहर में सीवर लाइन का काम करा रहा है। योजना के तहत अब तक 86.56 किमी सीवर लाइन डाली जा चुकी है। पुरानी सीवर लाइन मिलाकर अब शहर में करीब 753 किमी का सीवर नेटवर्क तैयार हो चुका है। इससे शहर का करीब 45 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइन नेटवर्क से कवर हो चुका है। इसके लिए शहर में अधिकतर जलभराव की समस्या से ग्रस्त होने वाले क्षेत्रों की सड़कों को खोदा जा रहा है।

अब अमृत 2.0 से खुद रही सड़कें
अब अमृत 2.0 योजना के दूसरे चरण में शहर के बाकी बचे करीब 55 प्रतिशत हिस्से को कवर करने की कवायद में नगर निगम, जलकल और जलनिगम संयुक्त रूप से जुट गया है। इस के तहत शहर के अधिकतर सभी वार्डों को सीवर लाइन से कवर करने के लिए दूसरे चरण में करीब 11 सौ किमी की सीवर लाइन शहर में डाली जाएगी। इससे सीवर का पानी सीधा ट्रीटमेंट के लिए पहुंचेगा और बरसात का पानी नालियों के रास्ते सीधा नाले में। इस योजना के तहत जल निगम अफसरों ने 1034 किमी सीवर लाइन डालने और फिर हाउस कनेक्शन करने के खर्च का अनुमान करीब 2200 करोड़ लगाया है।

दो साल से खुदी ओडियन नाला रोड
स्थिति यह है कि शहर के ओडियन नाला रोड जैसी अति व्यस्ततम सड़क पिछले दो साल से लगातार खुद रही है। गलियों से निकलने वाले पानी को निकालने के लिए नाले से कनेक्टिंग पाइप भी डाले जा रहे हैं। इससे पिछले दो साल से इस रोड पर लोगों का चलना दूभर है। साल भर से लोगों को आएदिन खुदी सड़कों से गुजरना पड़ रहा है।

कहां कहां समस्या
- जिला अस्पताल से लेकर छतरी वाला पीर के बीच पिछले सप्ताह शुरू हुए सीवर के कारण यहां रोजाना जाम की स्थित बन रही है।
- कमेला पुलिया के पास लाइन के काम के कारण अब रोड को खोदना शुरू किया गया है। इस कारण से यहां अगले कुछ माह तक लोगों को परेशानी झेलनी होगी।
- मेवला फ्लाई ओवर के नीचे से नूर नगर तक नाले के निर्माण के चलते पिछले एक साल से पूरी सड़क पर चलना तक दूभर है। अभी तक काम जारी है। जिस कारण से लोग परेशान हैं।
- कुछ ऐसा ही हाल भूमिया पुल से गोला कुआं तक लिसाड़ी गेट रोड का है। पिछले साल यहां सीवर लाइन का काम पूरा भी हो गया, लेकिन आज तक यहां सड़क नहीं बनी है। जगह-जगह टूटी सड़क और दिनभर उड़ती धूल से स्थानीय लोग परेशान हैं।
- कुछ ऐसा ही हाल कबाड़ी बाजार से लेकर वैली बाजार चौराहे तक बना हुआ है। यहां सीवर लाइन तो डाल दी गई, लेकिन सड़क जगह-जगह जर्जर हालत में है।

इन इलाकों ने साल भर झेला दंश
-पिछले साल तक शास्त्रीनगर एल ब्लॉक से लेकर काजीपुर चौक तक पूरी सड़क सीवर लाइन के कारण खुदी हुई थी। लगातार दो साल तक यहां के लोगों ने इस सीवर लाइन के कारण जलभराव से लेकर गारे कीचड़ तक की समस्या झेली। लेकिन अब राहत मिल चुकी है।
- इंदिरा चौक से बुढ़ाना गेट तक के बाजार की मुख्य सड़क करीब डेढ़ साल तक खुदी रही। इससे इस रोड के फर्नीचर करोबारियों से लेकर आम जनता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। अब जाकर यहां राहत मिली है।
- बुढ़ाना गेट से स्टेशनरी बाजार के अंदर तक पूरी गली सीवर लाइन के कारण साल भर तक खुदी रही। व्यापारियों ने हंगामा किया। तब जाकर करीब सवा साल बाद स्टेशनरी बाजार की हालत सुधरी।
-सूरजकुंड स्पोट्र्स बाजार में दो साल से अधिक समय तक सीवर लाइन के कारण बुरी हालत बनी रही। एक साइड का कारोबार सीवर लाइन के कारण पूरी तरह ठप रहा। लोगों का चलना तक दूभर रहा और दुकानें कई माह तक बंद रहीं। व्यापारियों के दबाव के बाद अब जाकर राहत मिली है।

फैक्ट-
-अमृत योजना के तहत शहर में जारी सीवर लाइन का काम
- 2015 में शुरू हुआ था योजना का पहला चरण
- अब 2022 में शुरू किया जाएगा दूसरे चरण का काम
- अब तक इस योजना के पहले चरण में 86.56 किमी का काम हुआ पूरा
- 120 करोड़ में पूरा हुआ पहले चरण का काम
- पुरानी सीवर लाइन के साथ ही शहर में 753 किमी की सीवर लाइन हुई तैयार
- अब 1034 किमी सीवर लाइन डालने और फिर हाउस कनेक्शन करने का काम जारी
- इसके लिए खर्च का अनुमान करीब 2200 करोड़
- शहर में जल निगम का एक 72 एमएलडी एसटीपी
- एमडीए के 12 एसटीपी
- जल निगम व एमडीए को मिलाकर सीवेज शोधन क्षमता कुल 179 एमएलडी
- प्रतिदिन शहर में 338 एमएलडी सीवेज निकलता है
- करीब 159 एमएलडी सीवेज काली नदी में बिना ट्रीट किए बहाया जा रहा है
- नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत 220 एमएलडी का एक एसटीपी स्वीकृत हो चुका है
- कमालपुर में बनना है सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

इन मोहल्लों में अभी इंतजार
मलियाना, देवलोक कॉलोनी, सूर्या पैलेस, गगोल रोड से जुड़े मोहल्ले, पूर्वा इलाही बख्श, भगवतपुरा, जैन नगर, देवपुरी, शेरगढ़ी, कंकरखेड़ा, सोफीपुर, मोदीपुरम फेस दो, पल्हेड़ा, रोहटा रोड से जुड़े मोहल्ले, खड़ौली, हरिनगर, आदर्श नगर, सरधना रोड की कॉलोनियां, साईपुरम आदि कॉलोनियों में सीवर लाइन का इंतजार है।


कोट्स
शहर के बाहर सीवर लाइन डली हुई है, इसलिए वहां राहत है। लेकिन पुराने शहर की हालत खराब है। समय से काम पूरा हो तो कम परेशानी होगी।
- शशांक

शहर का विकास हो रहा है, इसलिए कुछ परेशानी तो झेलनी होगी। लेकिन काम पूरा होने के बाद भी लंबे समय तक सड़कें ना बनें तो परेशानी होती है।
- अरुण

ओडियन नाला रोड से दिल्ली रोड तक रोजाना जाना होता है। लेकिन पिछले दो साल से अधिक समय से इस सड़क पर बार बार सीवर लाइन कनेक्ट करने का काम हो रहा है। आएदिन रोड बंद रहती है। एक बार पूरी रोड बंद करके एक साथ काम पूरा हो जाए तो बेहतर होगा।
- सुमित शर्मा

सबसे बुरा हाल पुराने शहर के मोहल्लों का है। यहां तो सीवर लाइन तक नहीं है। इस कारण से हर बरसात में जलभराव होता है। सीवर लाइन डलने से कुछ राहत मिलने के आसार हैं।
- राकेश

वर्जन
शहर में जलभराव की समस्या को दूर करने और सीवरेज की व्यवस्था को सुधारने के लिए यह काम किया जा रहा है। जनता को जो परेशानी हो रही है। वह कुछ समय के लिए है। आने वाले समय में इन क्षेत्रों में जलभराव नहीं होगा। जहां-जहां काम पूरा हो चुका है। वहां तुरंत सड़क बनाई जा रही है।
- मनीष बंसल, नगरायुक्त
यूनिवर्सिटी ने बहुत ही अच्छा फैसला किया है। अब स्टूडेंट्स को पीएचडी के लिए किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में नहीं जाना पड़ेगा।
वसु गोयल

Posted By: Inextlive