Meerut News : खानपान में गड़बड़ी के चलते यहां हर तीसरा आदमी बीमार है
मेरठ (ब्यूरो)। शहर की 75 फीसदी आबादी बीमार हैं। इनमें एनीमिया, ओस्टोपोरोसिस, थायराइड, स्ट्रेस, हाइपरटेंशन, मोटापा, डिप्रेशन पनप रहा है। खराब खानपान और बैलेंस्ड डाइट न लेने की वजह से शहरवासियों की क्वालिटी ऑफ लाइफ बिगड़ गई है। केंद्रीय परिवार मंत्रालय की सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक लोगों में न्यूट्रिशिनल वैल्यू का रेश्यो सही नहीं हैं। लोग पौष्टिक खाने की बजाय स्वाद को प्राथमिकता दे रहे हैं। खाने की थाली से आयरन, विटामिन-डी, काब्र्स, प्रोटीन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व गायब मिल रहे हैं।
53 प्रतिशत में बढ़ा हार्ट अटैक का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक महिला और पुरुषों की 53 प्रतिशत आबादी में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है। जबकि सिर्फ महिलाओं की 36 फीसदी आबादी मोटापे से ग्रस्त पाई गई हैं। जिसकी बड़ी वजह खराब खानपान बन रहा है। डॉक्टर्स बताते हैं कि पहले लोग सुबह उठने के आधे घंटे के अंदर हेल्दी और साधारण नाश्ता करते थे। उनकी ऑफिस, स्कूल जाने के लिए पैदल या साइकिल पर निर्भरता रहती थी। महिलाएं भी घरेलू कामकाज के लिए मशीनों पर भी निर्भर हैं। खाना सुपाच्य होता था। काम करते हुए आसानी से पच जाता था। अब ऐसा नहीं हैं। काम मशीनें करती हैं। खाना केमिकल बेस्ड रहता है। पच नहीं पाता जिससे बीमारियां पनप रही हैं।
65 फीसदी में मधुमेह और तनाव
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जिले में डायबिटीज और तनाव के शिकार लोगों की संख्या भी कम नहीं हैं। 65 फीसदी आबादी को मधुमेह और तनाव की समस्या पाई गई। डॉक्टर्स बताते हैं रिफाइंड शुगर, ऑयल और मैदा से बनी चीजें शरीर को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती हैं। शारीरिक व्यायाम और योग लोगों की दिनचर्या से गायब हैं। महिलाएं अपनी सेहत को लेकर उदासीनता बरतती हैं। स्वस्थ जीवनशैली का अभाव बढ़ रहा है। खासतौर से मिडिल क्लास में ये समस्या काफी गंभीर हैं। उनका डेली रूटिन डाइट पैटर्न बिगड़ा हुआ पाया जा रहा है।
रोजाना फल और सब्जियां खाएं ताकि विटामिन, मिनरल्स, और फाइबर मिल सके। मीट, फिश, एग, दालें, बीन्स और नट्स मसल्स निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक हैं साबुत अनाज जैसे रागी, मिलेट, कॉर्न, ब्राउन राइस, क्विनोआ आदि ऊर्जा प्रदान करते हैं और फाइबर से भरपूर होते हैं। लो-फैट दूध, दही, चीज़ से कैल्शियम और प्रोटीन मिलता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। अत्यधिक नमक और शक्कर से परहेज करना चाहिए। प्राकृतिक मिठास (जैसे फल) का सेवन करें और नमक की मात्रा सीमित रखें।
इनका है कहना
सेहत के मामले में अधिकतर महिलाएं लापरवाह होती हैं। अपने खानपान का वह ख्याल नहीं रखती हैं। उनका परिवार भी इस पहलू की अनदेखी करता है। ये काफी गलत प्रैक्टिस है। दिन की हर मील बैलेंस्ड होनी चाहिए। इनमें सभी प्रमुख पोषक तत्व शामिल होने चाहिए। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट जरूरी होना चाहिए।
डॉ। भावना गांधी, क्लीनिकल न्यूट्रिशिनिस्ट
डॉ। संदीप जैन, आईएमए सचिव बैलेंस्ड डाइट और सही लाइफ स्टाइल ही स्वस्थ रहने का एकमात्र उपाय है। रिफाइंड फूड शरीर में टॉक्सिन बढ़ा देता है। अधिकांश लोग एसी में सिटिंग वर्क करते हैं। पसीना बाहर नहीं निकलता है जिससे हार्ट, किडनी, लिवर और मसल्स पर बुरा असर पड़ता है और शरीर में बीमारियां पनप जाती हैं।
डॉ। अनिल नौसरान, एमडी