स्वस्थ्य जीवनशैली के मद्देनजर लोग छोड़ रहे स्टील और एल्युमिनियम के बर्तन शहर में 30 प्रतिशत लोगों के घरों में यूज हो रहे मिट्टी की कढ़ाई तवा और बॉटल।

मेरठ (ब्यूरो)। शहरवासी अब बीते दौर में लौट रहे हैं। पुरानी परंपराएं फिर से घरों में दिखाई देने लगी हैं। किसी दौर में प्रयोग होने वाले मिट्टी के बर्तनों ने एक बार फिर लोगों की रसोई में जगह बना ली है। मिलावटी खानपान और खराब होती आबोहवा सेपरेशान लोग हेल्दी लाइफस्टाइल ढूंढ रहे हैं। इसी का नतीजा है कि शहर में तीस प्रतिशत लोगों के घरों में अब मिट्टी के बर्तन लौट आए हैं।

ये है स्थिति
ग्रामोउद्योग अधिकारी बताते हैं कि पहले के मुकाबले मिट़टी के बर्तनों की डिमांड अब तेजी से बढ़ी है। त्योहारों पर इनकी विशेष तौर पर मांग होती है। कुम्हारों में भी अब उत्साह दिखाई देने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक जिले में मिट्टी के आइटम की डिमांड बीते दो सालों में 60 प्रतिशत तक बढ़ी है। खासतौर पर गर्मियों में पानी ठंडा रखने के लिए कैंपर, मिट्टी की बोतल की सबसे अधिक मांग रहती है।

ऐसे बदला ट्रेंड
सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली भारतीय मिट्टी की बनावट और डिजाइन में कई प्रयोग कर कुम्हारों ने इन्हें आधुनिक रूप प्रदान किया है। जिसके बाद ये एक बार फिर ट्रेंड में दिखाई देने लगे हैं। वॉटर बॉटल से लेकर प्लेट, जग तक में कारीगरी की जा रही है। रोटी बनाने के लिए तवा और कुकर तक मिट्टी के तैयार किए जा रहे हैं।

यह होता है फायदा
एक्सपर्ट बताते हैंं कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से कई तरह के पोषक तत्व बने रहते हैं। खाने में आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, विटामिन नष्ट नहीं होते। जिससे सेहत और स्वास्थय को फायदा होता है। इनमें खाना स्वादिष्ट और गुणकारी भी होता है। इनमें खाना कम तेल और मसालों में तैयार हो जाता है। जो कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करता है।

ये है रेट्स
कढ़ाई- 300 रूपये तक
कटोरी सेट- 500 रूपये तक
प्लेट- 180 रूपये से शुरु
बॉटल- 300 रूपये तक
जग- 150 रूपये तक
तवा- 250 रूपये तक

यहां से खरीद सकते हैं उत्पाद
मेडिकल गढ़ रोड
थापर नगर
मोहनपुरी नाला रोड
खैरनगर
सदर मार्केट
लाल कुर्ती
सेंट्रल मार्केट
भगत सिंह मार्केट

स्टील और एल्युमिनियम के बर्तनों के नुकसान
एक्सपर्ट बताते हैं कि स्टील और एल्युमिनियम के बर्तनों को बीमारियों की जड़ माना जाता है। इन बर्तनों को ज्यादा देर तक गर्म करने पर इनमें मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स टूट जाता है। ये फ्री फैटी एसिड में बदल जाते हैं। इनके सेवन से पेट खराब हो सकता है। नमक और तेल इन बर्तनों की सतह खराब कर देते हैं। इससे रिएक्शन का खतरा रहता है।

ये हैं बाजार में उत्पाद उपलब्ध
बाजार में मिट्टी के कूकर, केतली, टी-सेट, चपाती बॉक्स, प्लेट, कटोरी, गिलास, वॉटर बोटल, चाय बनाने का पैन, मटका, सुराही, कैम्पहर, तवा, कढ़ाई आदि बाजार में उपलब्ध हैं।

मिट्टी के बर्तनों या अन्य उत्पादों की डिमांड बढ़ रही है। हम भी इसके लिए कई तरह की योजनाएं चला रहे हैं ताकि लोगों को अच्छे उत्पाद मिले और कुम्हारों का रोजगार भी बना रहे।
एसएल अग्रवाल, क्षेत्रीय परियोजना अधिकारी, ग्रामोउद्योग

Posted By: Inextlive