Meerut News : गार्बेज फ्री सिटी के लिए पहले तमगा मिला था, अब जुर्माना लगाया जा रहा है
मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण में गार्बेज फ्री सिटी, फास्टेस्ट मूवर सिटी, ओडीएफ प्लस प्लस जैसे महत्वपूर्ण तमगे मिलने के बाद भी शहर की सूरत में बदलाव नही है। हालत यह है कि दो साल पहले मिले गार्बेज फ्री सिटी के सम्मान को नगर निगम दोबारा हासिल तक नही पा रहा है जबकि दावा हर साल किया जा रहा है। यही नहीं, इस बार तो उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कूड़ा निस्तारण न होने पर नगर निगम पर 5 करोड़ा का जुर्माना लगाया है। हालत तो यह है कि कबाड़ से जुगाड़, सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट, मुख्य चौराहों के बाद सौंदर्यकरण के बाद भी पिछले साल निगम को टॉप फाइव में भी जगह नही मिल पाई और मेरठ को 17वीं रैंक से संतोष करना पड़ा। स्वच्छ भारत मिशन(एसबीएम) यूनिट भी शहर की रैंक सुधारने में विफल साबित रही। इसका मुख्य कारण केवल शहर में जगह जगह गंदगी और निगम की इस गंदगी को साफ करने में विफलता।
गार्बेज फ्री सिटी में कूड़े के पहाड़
गौरतलब है कि दो साल पहले स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में मेरठ नगर निगम को गार्बेज फ्री का प्रमाण पत्र मिला था। लेकिन 2023 में कूड़ा निस्तारण में विफल रहने और जगह जगह गंदगी पर निगम से यह तमगा छीन गया। पिछले साल फाइव स्टार का दावा करने वाले निगम को पिछले साल एक स्टार से संतोष करना पड़ा था। 2023 के बाद अपनी रैंक सुधारने के लिए एक बार फिर निगम ने दावा किया कि इस साल शहर को गार्बेज फ्री बनाया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस है। ना कूड़ा निस्तारण हो पा रहा है और ना ही शहर में सफाई दिखाई दे रही है। लोहियानगर और मंगतपुरम में लगे कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई भी लगातार बढ़ रही है। स्थिति यह है कि पुराने शहर की गलियों से लेकर मलिन बस्तियों में कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था अधूरी है। इसलिए शहर के अधिकतर मुस्लिम बहुल इलाकों और मलिन बस्तियों में कूड़े का ढेर अस्थाई खत्तों की संख्या बढृ़ रही है।
900 मीट्रिक टन कचरा हर दिन
शहर में 900 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन उत्सर्जित होता है, जिसको मंगतपुरम, गांवडी के बाद अब लोहियानगर में एकत्र किया जा रहा है। वहीं फ्रेश कूड़े के निस्तारण का प्लांट पिछले साल से दो कंपनियों के चयन के विवाद में अटका हुआ है। वहीं इस साल नगर निगम को 15 वें वित्त आयोग के मद से 72 करोड़ रुपये पहली किस्त में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मिले थे। इसके अलावा कूड़े के निस्तारण के नाम पर लोहिया नगर में 30 टन प्रति घंटे का कूड़ा निस्तारण प्लांट पहले से है। वहीं, शहर से रोजाना एकत्र होने वाले फ्रेश कूड़े के निस्तारण के लिए लंबे समय से गांवड़ी में प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का इंतजार खत्म नही हो रहा है।
पिछली बार भले ही प्रदेश स्तर पर 17वीं रैंक हो लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में मेरठ ने 12 स्थान की छलांग लगाते हुए 15वीं रैंक पाई थी। जबकि 2021 में मेरठ दस लाख से अधिक आबादी वाले देश के शहरों की सूची में 47 शहरों में मेरठ 27 वें स्थान पर था, लेकिन इसके बाद भी शहर के अधिकतर इलाकों पर गंदगी और अव्यवस्थाओं की हालत जस की तस रही। इस लापरवाही का खामियाजा इस साल निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में देखने को मिल गया। इसके चलते शहर में जगह जगह फैली गंदगी और अव्यवस्था के चलते मेरठ नगर निगम को गार्बेज फ्र ी सिटी का टैग नही मिला और मात्र 5850.40 अंक मिले थे।
ये हैं अधूरेे काम
मेरठ नगर निगम को पिछले साल जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) वन स्टार और ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) प्लस प्लस प्रमाणपत्र मिला है, लेकिन शौचालयों पर लगा ताला और जगह जगह कूड़ा कम नही हुआ।
निगम क्षेत्र में 146 अस्थायी खत्तो को खत्म करना, अभी तक अधिकतर खत्ते समाप्त नही हुए हैं
सफाई कर्मचारियों की भी कमी
नियमानुसार 10 हजार की आबादी पर 28 सफाई कर्मचारी होने चाहिए लेकिन मेरठ जिले करीब 24 लाख की आबादी के हिसाब से सफाई का जिम्मा मात्र 3100 करीब कर्मचारियों के कंधे पर है। जबकि नियमानुसार 90 वार्डों में सफाई के लिए करीब 6720 कर्मचारी निगम मेें तैनात होने चाहिए।
महताब निगम अपने कूड़ा कलेक्शन और सफाई की व्यवस्था सही कर ले तो शहर को कूड़े व गंदगी से निजात मिल जाएगी।
अंकित कूड़ा निस्तारण की बहुत जरुरत है। यहां कूड़े के पहाड़ बढ़ते ही जा रहे हैं लेकिन कूड़े का कोई इंतजाम नही हो रहा है।
दानिश इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में सफलता की पूरी उम्मीद है। कई नए प्रयास किए गए हैं लोहियानगर में भी कूड़ा निस्तारण प्लांट के प्रयास चल रहे हैं।
प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त