आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि आपके घर में आने वाला पानी जिसे आप खाने समेत पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं वह आपकी सेहत को बिगाड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहरभर में लोगों के घरों में पानी सप्लाई करने वाली नगर निगम की टंकियां यानि ओवरहेड टैंक कई वर्षों से साफ ही नहीं हुए है। दरअसल जब नगर निगम से इस टंकियों की सफाई का रिकॉर्ड मांगा गया तो पता चला कि उनके पास इस बाबत कोई जानकारी ही नहीं है। जबकि हर दो महीने में टंकियों की सफाई का प्रावधान है।

मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि शहर की करीब 18 लाख जनसंख्या की पेयजल की आपूर्ति का जिम्मा नगर निगम और जलकल विभाग के कंधों पर है। इसके लिए नगर निगम ने शहर में करीब 157 ओवरहैड टैंक बनाए हुए हैं। जिनसे शहर के अधिकतर इलाकों में पेयजल की आपूर्ति की जाती है। इन ओवरहेड टैंक के रख-रखाव और संचालन की जिम्मेदारी जलकल विभाग के पास है। जबकि जल निगम के जलकल विभाग ने निजी ठेकेदारों को ओवरहेड टैंक की साफ-सफाई और जलापूर्ति का जिम्मा दिया हुआ है। मगर ओवरहेड टैंक की सफाई के नाम पर लापरवाही बरत लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।

क्लोरीन तक सीमित सफाई
शहर में संचालित पानी की टंकियों की साफ-सफाई और संचालन का जिम्मा जल निगम के यांत्रिक विभाग के पास है। ट्यूबवेल के समय संचालन के लिए सभी ट्यूबवैल पर स्काडा सिस्टम भी लगा हुआ है। ऐसे में जल निगम बस नियमित रूप से ओवरहेड टैंक के पानी में क्लोरीन डालने का काम तो कर रहा है लेकिन पानी की टंकी की सफाई से दूरी बनाए हुए है।

सफाई का रिकॉर्ड नहीं
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो साल से अधिकतर पानी की टंकियों की साफ-सफाई नहीं हो सकी है। लॉकडाउन के दौरान कुछ ठेकेदारों का टेंडर खत्म होने के बाद रिवाइज भी नहीं किया गया। ऐसे में कई पानी की टंकियां सफाई से वंचित रहीं। वहीं नगर निगम के पास बीते कई वर्षों से टंकियों की सफाई से जुड़ा कोई रिकॉर्ड तक नहीं हैैं।

सैैंपल की जांच नहीं
वहीं, इन टंकियों को भरने के लिए ट्यूबवेल से भूगर्भ जल के सैंपल की जांच भी पिछले कई सालों से नहीं हुई है। ऐसे में किस क्वालिटी का पानी घरों मे सप्लाई हो रहा है इसका खुद निगम को पता नहीं है। बगैर नियमित जांच के ही पानी ओवरहेड टैंक और फिर घरों में सप्लाई हो रहा है। जबकि पानी की जांच की जिम्मेदारी भी यांत्रिक विभाग के पास है।

बीमारी का खतरा
अब गर्मी के मौसम में पानी की टंकियों की सफाई न होने से इस पानी से जनजनित बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। खराब पानी पीने से पेट में कीड़े, दर्द, डायरिया, पेचिस आदि बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में यह लापरवाही बीमारी का कारण बन सकती है।

पानी की टंकियों की सफाई शुरू की जा चुकी है। सभी ठेकेदारों को नोटिस भेजकर सफाई कराई जा रही है। पानी की जांच नियमित रूप से की जा रही है।
कुमार गौरव, जीएम जल

यह निगम की लापरवाही है। घरों सप्लाई होने वाले पेयजल की क्वालिटी लगातार बिगड़ रही है। इससे जलजनित रोग भी बढ़ रहे है। हमारी संस्था जल्द ही पेयजल की क्वालिटी की जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार करने वाली है।
रवि कुमार, बूंद फाउंडेशन

पानी की टंकी की सफाई का तो पता नहीं लेकिन हमारे क्षेत्र में घरों में आए दिन पानी में गंदगी, रेत तक आ रहा है। पानी में गंदी बदबू और खारापन रोजना ही आता है।
देव

घरों में सबमर्र्सिबल से आने वाले पानी का प्रयोग कर रहे हैं। डायरेक्ट टंकी से आने वाला पानी तो पीने के लायक है ही नहीं। पानी में गंदगी तो नहीं दिखती लेकिन स्मैल से क्वालिटी का अंदाजा लग जाता है।
नफीस

घरों में आने वाले पानी को बिना आरओ या फिल्टर किए पिया ही नहीं जा सकता है। पानी में महक आती हैै, उससे पता लग जाता है कि पानी बिल्कुल भी साफ नहीं है।
हरि किशन

Posted By: Inextlive