गलत वीडियो या लिंक शेयर न करें...पासवर्ड भी बदलते रहें
मेरठ (ब्यूरो)। सोशल मीडिया की वर्चुअल दुनिया में आपको हर जानकारी मिल सकती है। इसके इतर दूसरा पहलू यह भी है कि सोशल मीडिया पर आपकी छोटी सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में भी फंसा सकती है। आप भी रोजाना रील्स और पोस्ट के जरिए सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहते होंगे। कई अनजान दोस्तों का एक फ्रेंड सर्किल भी बना रखा होगा, लेकिन सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के दौरान अवेयर रहने की जरूरत है। अनजान लिंक को न खोले, अनजान लोगों के बहकावे में भी न आएं। साथ ही मोबाइल फोन से थोड़ी दूरी भी बनाएं। यह बात जिला साइबर क्राइम सेल प्रभारी राघवेंद्र कुमार ने वर्कशॉप के दौरान बच्चों से कही।
कार्यक्रम में पहुंचे एक्सपर्ट
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से फेक फ्रेंड कैंपेन के तहत दीवान पब्लिक स्कूल में वर्कशॉप आयोजित की गई। इस दौरान जिला साइबर क्राइम सेल प्रभारी राघवेंद्र कुमार और मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम देवदत्त ने बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से बचने के उपाय बताए। कार्यक्रम की शुरूआत दीवान पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर एचएम राउत, वाइस प्रिंसिपल पीसी चौहान, सीनियर टीचर संजय शर्मा, दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रीजनल एडिटोरियल हेड मुकेश कुमार, जिला साइबर क्राइम सेल प्रभारी राघवेंद्र कुमार और मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम देवदत्त ने दीप प्रज्जवलित करके की। इसके बाद एक्सपर्ट ने बच्चों को साइबर क्राइम से बचने की टिप्स दीं।
जिला साइबर क्राइम सेल प्रभारी राघवेंद्र कुमार ने कहा कि आज टीनएजर्स के हाथों में सबसे ज्यादा मोबाइल है। स्मार्ट फोन के दौर में हर चीज स्मार्ट हो रही है। मोबाइल पर आपको दुनिया भर की नॉलेज मिल सकती है। जो आपके लिए फायदेमंद है। हालांकि, इसका एक दूसरा पहलू भी है। छोटी सी लापरवाही के कारण आप साइबर क्राइम की चपेट में भी आ सकते हैं। अक्सर सोशल मीडिया पर अनजाने में आपके अकाउंट से गलत चीजे शो होने लगती है। या गलत वीडियो आ जाता है। ऐसे में वीडियो को बिल्कुल शेयर न करें। उसे तुरंत ही डिलीट कर दें। क्योंकि शेयर करते ही आप क्रिमिनल्स की श्रेणी में आ जाते हैं। इसके अलावा साइबर क्राइम से जुड़ी परेशानी होने पर 1930 पर शिकायत करें। साइबर क्राइम के पोर्टल पर साइबर।जीओवी। इन पर भी शिकायत कर सकते हैं।
यूआरएल के साथ शिकायत करें
फेसबुक, वॉटसऐप या इंस्टाग्राम पर आने वाले फेक लिंक से आपके साथ फ्रॉड भी हो सकता है। ऐसे में अगर आप साइबर अपराधियों को पकड़वाना चाहते हैं तो फेक लिंक के पेज की यूआरएल कॉपी करके शिकायत करें। साइबर अपराधियों को पकडऩे के लिए यही यूआरएल आधार बनता है।
आज लाइफ स्टाइल बदल रही है तो क्राइम का पैटर्न भी बदल रहा है। क्रिमिनल्स साइबर क्राइम के नए-नए तरीके आजमा रहे हैं। हालांकि, टेक्नोलॉजी के युग में क्राइम का पैटर्न जैसे ही बदल रहा है। वैसे ही क्रिमिनल की भी धरपकड़ हो रही है। फेक आईडी से बचे
बहुत से लोग इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बना लेते हैं। उनको लगता है कि पकड़ में नहीं आएंगे, लेकिन वे जल्द ही पकड़ में आ जाते हैं। फेसबुक, इंस्टा में सिक्योरिटी फीचर लगाकर रखें। डू स्टेप वेरिफिकेशन ऑप्शन होता है। उसे करें। अनजान लोगों से अपना सिक्योरिटी फीचर ओपन न रखें। जहां तक हो सकता है हो सकें सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से फ्रेंडशिप मत कीजिए। आपको नहीं पता वो कौन है। इसका मिसयूज बहुत हो रहा है।
पासवर्ड भी बदलते रहेें
सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के दौरान सतर्क रहे। तीन महीने में पासवर्ड को बदलते रहें। साथ ही आसान पासवर्ड न बनाएं। एनी डेस्क, टीम व्यूजर आदि ऐप डाउनलोड न करें। ओटीपी को भी किसी के साथ शेयर न करे। इसके साथ ही ओटीपी किसी को शेयर न करें।
इसके साथ ही मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम देवदत्त ने बच्चों को मोबाइल एडिक्शन के बारे में अवेयर किया। उन्होंने कहा कि आज स्मार्टफोन हमारी जरूरत बन गया है, लेकिन इसका ज्यादा उपयोग गंभीर बीमारियों का कारण भी बन रहा है। घर बैठे आप कई जरूरी काम निपटा सकते हैं। वहीं, इसके कुछ नुकसान भी हैं। मोबाइल के ज्यादा यूज करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। आज के जमाने में लोग स्मार्टफोन के एडिक्ट होते जा रहे हैं।
हिंसा की भावना बढ़ रही है
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से आपको कई व्यावहारिक और मानसिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। फोन के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों का अपने व्यवहार पर कंट्रोल कम हो जाता है और सहिष्णुता की भावना में भी कमी देखने को मिलती है। आसान भाषा में कहें, तो इससे हिंसात्मक प्रवृत्ति बढ़ रही है। मेंटल प्रॉब्लम्स की बात करें तो फोन के ज्यादा इस्तेमाल से एंजाइटी, डिप्रेशन, इनसोम्निया, रिश्तों में दरार, पढ़ाई बाधित होना और वर्कप्लेस पर परफॉर्मेंस में गिरावट आ सकती है। ड्राइविंग के दौरान फोन का इस्तेमाल एक्सीडेंट्स की वजह बन सकता है।
अकेले होने पर बोर होकर स्मार्टफोन यूज करना
रात में फोन चेक करने के लिए कई बार उठना
फोन से दूर होने पर गुस्सा या परेशान होना
नौकरी या पढ़ाई के दौरान बार-बार फोन देखना
फोन यूज करने की टाइमिंग कंट्रोल न कर पाना मोबाइल एडिक्शन से पाएं छुटकारा
अपने फोन से समय खराब करने वाले ऐप डिलीट करें
नोटिफिकेशन और अन्य अलर्ट को बंद कर दें
रात के वक्त फोन को बेड से दूर रखें या ऑफ कर दें
बार-बार फोन देखने से बचने की कोशिश करें
सोशल मीडिया के बजाय रियल लाइफ में दोस्तों से मिलें
परिजनों के साथ कुछ समय बिताएं और फोन से दूरी बरतें हमारे बहुत सारे सवाल थे। वर्कशॉप के दौरान उनको सर ने क्लियर कर दिया। अब हम सतर्क रहेंगे।
शौर्या मन में कई तरह के सवाल थे, जिनको इस वर्कशॉप ने दूर कर दिया है। वाकई ही बहुत अच्छा लगा।
वेदांत वाकई ही ये बहुत ही अच्छा प्रोग्राम था, हमें बहुत सारी जानकारी मिली है, हमें बहुत अच्छा लगा।
शिवांश वर्कशॉप के दौरान सोशल मीडिया पर अब सतर्क रहेंगे। इस बार बहुत सही जानकारी मिली है।
उत्कर्ष मेरी कई सारी समस्याएं थी जिनको लेकर जानकारी मिली है, हमारे सवालों का जवाब मिला है।
पलक वाकई ही इस वर्कशॉप में हमें बहुत सारी बातें पता चली हैं। अब सोशल मीडिया पर एक्टिव रहेंगे।
अक्षिता वर्कशॉप में हमें बहुत कुछ बताया गया। हमें बहुत ही अच्छा लगा, हमें कुछ ऐसी चीजें पता लगी जो नहीं पता थी।
अशिका मुझे बहुत अच्छा लगा, इस तरह की वर्कशॉप से बहुत सारी जानकारी मिलती है।
अनवेशा वाकई ये कार्यक्रम सराहनीय रहा। बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिला, इस तरह के कार्यक्रमों को स्टूडेंट्स के हित में कराते रहना चाहिए।
एचएम राउत, डायरेक्टर, दीवान पब्लिक स्कूल बच्चों के लिए यह वर्कशॉप बहुत अच्छी रही। उन्हें साइबर क्राइम से बचने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दी गईं। उनको पता लगा है कि कैसे- कैसे साइबर क्राइम चल रहे हैं। उनसे कैसे बचा जाए। इस तरह की वर्कशॉप होते रहनी चाहिए।
एके दुबे, प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक स्कूल यह बहुत ही सराहनीय वर्कशॉप थी। इस तरह के कार्यक्रमों की आज के युवाओं को आवश्यकता है। उनको समय -समय पर जागरुक करना जरूरी होता है।
पीसी चौहान, वाइस प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक वर्कशॉप बहुत ही अच्छी थी, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का हमेशा से ही प्रयास रहा है कुछ ऐसा करने का। इससे स्टूडेंट्स कुछ सीख सकें, जो इस कार्यक्रम में देखने को मिला।
संजय शर्मा, सीनियर कोर्डिनेटर