सरकारी अस्पतालों में डॉग बाइट के मरीजों को नहीं मिल रही एंटी सीरम की सुविधा
मेरठ ब्यूरो। अगर आपको कुत्ते ने काट लिया है और आपकी स्थिति गंभीर है तो सावधान हो जाएं, ये मैैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यदि आपका घाव गहरा है तो केवल एंटी रैबीज वैक्सीन से आपको राहत नहीं मिलने वाली। इस स्थिति से आपको केवल एंटी सीरम ही बचा पाएगा लेकिन अफसोस की बात यह है कि आपके शहर के सरकारी अस्पतालों में एंटी सीरम की सुविधा ही मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों के मरीजों को सीधा दिल्ली रेफर किया जा रहा है। जबकि मेरठ में हर रोज डॉग बाइट के दर्जनों मामलें सामने आ रहे हैैं।
गंभीर मामलों में सीरम
गौरतलब है कि शहर में बेकाबू कुत्तों के कारण रोजाना डॉग बाइट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर रोज 100 से अधिक डॉग बाइट के केस सरकारी अस्पतालों में आ रहे हैं और सबको केवल एंटी रैबीज वैक्सीन डोज दी जाती है। लेकिन कुछ गंभीर केस ऐसे होते हैं, जिनमें एंटी रैबीज के इंजेक्शन से स्थिति काबू में नहीं आती। ऐसे मरीजों को तुरंत एंटी सीरम इंजेक्शन दिया जाता है। क्योंकि एंटी रैबीज इंजेक्शन एक एंटीजेन होता है और शरीर के भीतर जाते ही रैबीज वायरस से लडऩे के लिए एंटी बॉडी बनाने लगता है। इस प्रक्रिया में तीन से चार दिन का समय लग जाता है। वहीं, सीरम एक एंटी बॉडी होता है। यह सीधे शरीर में जाकर रैबीज के वायरस को खत्म करना शुरू कर देता है। इसमें ज्यादा टाइम नहीं लगता है।
प्राइवेट अस्पताल में एंटी सीरम को लगवाने में करीब चार से पांच हजार रुपये का खर्च आता है। इसलिए गरीब व मध्यमवर्गीय मरीजों के लिए यह इंजेक्शन लगवाना आसान नही है और स्थिति यह है कि जिला अस्पताल व मेडिकल कालेज में ये इजेंक्शन मिलता भी नहीं है। इसलिए हर माह 60 से 90 मरीज इस इजेंक्शन के लिए दिल्ली रेफर कर दिए जाते हैैं। दिमाग तक पहुंचा तो नही होगा काबू
चिकित्सकों की मानें तो कुत्ता काटने के बाद बिना देरी किए वैक्सीन या सीरम लगवाना चाहिए। क्योंकि यदि एक बार रैबीज का वायरस दिमाग तक पहुंचा गया तो न तो वैक्सीन काम करेगी और न सीरम। वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद उसका असर शरीर पर होना शुरू हो जाता है। शरीर में वायरस फैलने के बाद इसका इलाज मुश्किल है।
फैक्ट्स पर एक नजर।
कुत्ता, बंदर, बिल्ली के काटने पर बड़ा घाव हो और खून बंद न हो तो लगता है एंटी सीरम इंजेक्शन।
एंटी सीरम की कुल चार डोज लेनी होती है।
कुत्ते के काटने के 24 घंटे के अंदर इस इंजेक्शन की पहली डोज लग जानी चाहिए।
जिला अस्पताल में हर दिन दो से तीन केस एंटी सीरम इंजेक्शन वाले आते हैं।
जनपद में प्रति दिन 300 से अधिक डॉग बाइट के केस हो रहे हैैं दर्ज।
300 में से एवरेज 40 से 50 केस में जरूरी होता है एंटी सीरम।
कुत्ते के काटने से हुए घाव को 15 मिनट तक साफ पानी की धार से धोएं।
घाव को कास्टिक सोडा वाले साबुन से भी धोएं, साथ ही बीटाडिन व डिटॉल से भी धो सकते हैं।
रैबीज का वायरस लार छोड़ता है, धोने से 80 प्रतिशत तक रैबीज से बचाव हो जाता है।
घाव पर न तो कोई पट्टी बांधे और न ही कपड़ा।
तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और 24 घंटे के भीतर पहली एंटी रैबीज की डोज लगवा लें।
इसके बाद फिर तीसरे, 7वें, 14वें और 28वें दिन एंटी रैबीज का डोज लगवाना होगा।
एंटी सीरम इंजेक्शन के लिए शासन स्तर पर प्रशिक्षिण दिया जा चुका है। जल्द इसकी आपूर्ति होने के बाद यह सुविधा मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी।
डॉ। अशोक कटारिया, सीएमओ
केस 1
गत माह न्यू सर्वोदय नगर निवासी संजीत सिंह के पैर को एक आवारा कुत्ते ने नोंच डाला। पैर की स्थिति अत्याधिक खराब होने पर उनको एंटी सीरम इंजेक्शन लगवाने के लिए दिल्ली रेफर कर दिया गया था। केस 2
तीन माह पहले फत्तलेहपुर की 7 साल की बच्ची को कुत्ते ने काट लिया था। बच्ची की हालत खराब होने पर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे एंटी सीरम लगवाने के लिए निजी अस्पताल में भेज दिया गया।