डॉक्टर्स ने बिना कट लगाए निकाला ब्रेन ट्यूमर
मेरठ ब्यूरो। मरीज के दिमाग की पिट्यूटरी ग्रंथि यानी पीयूष ग्रंथि में ट्यूमर की सर्जरी का सफल ऑपरेशन कर मैक्स हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी विभाग ने ट्यूमर पूरी तरह निकाल दिया। पीयूष ग्रंथि में ट्यूमर की बहुत ही एडवांस एंडोस्कोपिक ट्रांस नैसल ट्रांस-फेनॉयडल सर्जरी की गई जो नाक के रास्ते की जाती है।न्यूरोसर्जरी के सीनियर डायरेक्टर डॉ। अमिताभ गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। आंखों से दिखना हो गया था बंद
न्यूरोसर्जरी के सीनियर डायरेक्टर डॉ। अमिताभ गोयल ने बताया कि मरीज की आंखों की रोशनी कम हो रही थी। साथ ही पैरों में भी कमजोरी बढ़ रही थी। एमआरआई के साथ बहुत ही गहन जांच की गई, जिसमें ब्रेन ट्यूमर का पता चला। ये ट्यूमर दिमाग के निचले हिस्से में था, जिसे पिट्यूटरी ग्रंथि कहते हैं। ये एरिया आंखों के नजदीक होता है, जिस कारण आंखों की नसें ट्यूमर होने की वजह से दब गईं।
हार्मोनल असंतुलन का खतरा
पिट्यूटरी मैक्रो एडेनोमा एक तरह का वो ब्रेन ट्यूमर होता है जो पिट्यूटरी ग्रंथि से पनपता है। ये ग्रंथि दिमाग की परत के नीचे होता है। मरीज के अंदर किसी तरह के हार्मोनल असंतुलन का पता लगाने के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से भी जांच कराई गई। तमाम जांच पड़ताल के बाद ये तय किया गया कि मरीज को सर्जरी की आवश्यकता है, क्योंकि ये खतरा था कि कहीं ये ट्यूमर बढ़ न जाए और भविष्य में दोनों आंखों को पूरी तरह ही नुकसान न पहुंचा दे। महिला के अंदर हार्मोनल असंतुलन भी पाया गया, लिहाजा एंडोस्कोपिक ब्रेन सर्जरी से पहले उन्हें कुछ सप्लीमेंट्स भी दिए गए। सर्जरी पूरी तरफ सक्सेसफुल रही। &यनाक के रास्ते हुई सर्जरी
मरीज की सर्जरी के बारे में जानकारी देते हुए डॉ अमिताभ गोयल ने बताया कि मरीज की मिनिमली इनवेसिव एंडोस्कोपिक सर्जरी की गई जो नाक के रास्ते हुई। ये प्रक्रिया एंडोस्कोपिक ट्रांस नैसल ट्रांस-फेनॉयडल सर्जरी (टीएनटीएस) कहलाती है। इस केस में पूरा ट्यूमर निकाल दिया गया जिससे ऑप्टिक नसों का दबाव खत्म हो गया। इसके बाद मरीज की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे नॉर्मल होती गई, साथ ही हार्मोनल बैलेंस भी हो गया। एंडोस्कोपिक ट्रांस नैसल ट्रांस-फेनॉयडल सर्जरी इस तरह के ब्रेन ट्यूमर को हटाने के लिए एक बहुत ही शानदार तकनीक है। इसमें सिर के अंदर किसी तरह का कट भी नहीं लगाना पड़ता है। पतले ट्यूब वाले उपकरण एंडोस्कोप के साथ कैमरा अटैच होता है जिससे डॉक्टर्स को दिमाग के अंदर ही सही तस्वीरें मिलती रहती हैं और दिमाग के किसी भी हिस्से को नुकसान पहुंचाए बिना ट्यूमर को हटा दिया जाता है।