अनजान लोगों से फ्रेंडशिप मत करना, महंगी पड़ सकती है
मेरठ (ब्यूरो)। आजकल मोबाइल एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है। यह ऐसा हो गया है जैसे रोटी, कपड़ा और मकान यानि इसके बिना काम चल पाना नामुमकिन हो गया है। लेकिन इसका एक बेहद दुखद पहलू यह है कि टीनएजर्स को जो मोबाइल की लत लग गई है, वह इस लत के चक्कर में गलत रास्ते पर चल पड़ते हैैं। आजकल टीनएजर्स ही सबसे ज्यादा साइबर क्राइम की चपेट में आ रहे हैैं। यह बेहद नुकसानदायक साबित हो रहा है। इसलिए जरूरी है कि साइबर क्राइम जैसी चीजों से बचने के लिए हम अवेयर हों साथ ही हमें पता होना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं। ये बातें एसपी (रूरल) कमलेश बहादुर सिंह ने सिटी वोकेशनल स्कूल में आयोजित दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के साइबर क्राइम को लेकर एक अवेयरनेस सेशन में स्टूडेंट्स को अवेयर करते हुए कहीं।
रोजाना होने वाला क्राइम
अवेयरनेस सेशन में एसपी देहात ने मोबाइल एडिक्शन और उसके नेगेटिव इफेक्ट्स को लेकर स्टूडेंट्स को जागरूक किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कहा कि मैं आपको बता दूं साइबर क्राइम आज की डेट का लगभग रोजाना होने वाला क्राइम बन गया है। इसको लेकर हमारे विभाग द्वारा भी स्कूल और कॉलेजों में अभियान चलाए जा रहे हैं। जिनमें बच्चों को साइबर क्राइम से कैसे बचें, इस बारे में जागरूक किया जाता है। मैैं दैनिक जागरण परिवार के इस तरह के प्रयास की सराहना करता हूं।
एसपी रूरल कमलेश बहादुर सिंह ने आगे कहा कि जहां तक साइबर क्राइम की बात है। उसमें कई तरह के साइबर क्राइम आजकल हो रहे हैं। जैसे सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर क्राइम हो रहे हैं। दूसरा सबसे ज्यादा फाइनेंशियल फॉल्ट हो रहे हैं, जो डेली बेस पर हम लोगों की नॉलेज में आ रहे हैं। इस पर लगाम कसने के लिए हम लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैैं। मैैं आपको बताना चाहता हूं कि ये जो मोबाइल फोन आपके पास है अगर आपको इसका सही उपयोग आता है तो यह बहुत उपयोगी है। मगर आपको इसके सही उपयोग की जानकारी नहीं है तो यह आपके लिए बेहत खतरनाक साबित हो सकता है। इतना खतरनाक कि यह आपके फ्यूचर को प्रभावित कर सकता है। आपको दूसरी दिशा में ले जा सकता है।
तमाम तरह के चैलेंजेस हैैं
आजकल जहां देखों साइबर क्राइम करने वाले फ्रॉड एक्टिव हैैं। इनमें बड़ी संख्या में आईटी प्रोफेशनल्स शामिल हैैं, जो जॉब न मिल पाने के कारण गलत रास्ते पर चल पड़े हैैं। यह हमारे लिए चैलेंज हैैं। आज एक तरफ जहां नए इनोवेशन हो रहे हैैं, वहीं दूसरी तरफ उतने हमारे लिए चैलेंज बढ़ते जा रहे हैैं। तरह-तरह के साइबर क्राइम हो रहे हैैं, जिनके लिए हमें कई बार ऐसे संसाधनों की आवश्यकता पड़ जाती है, जो हमारे पास होते ही नहीं हैैं।
उन्होंने आगे कहा कि मैं ये भी बताना चाहूंगा कि आजकल सबसे ज्यादा साइबर क्राइम उनके साथ हो रहे हैैं, जो सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव हैैं। पहले केवल व्हाट्सएप था लेकिन अब इंस्टाग्राम भी आ गया है। यंग जनरेशन बस इन प्लेटफॉम्र्स का इस्तेमाल करती है लेकिन ज्यादातर यह नहीं जानते कि हमें सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर क्या नहीं करना है। किसी भी प्लेटफार्म क कुछ नियम होते हैैं, उन्हें जानना बेहद जरूरी है। वरना बड़ा नुकसान हो सकता है। किसी भी प्लेटफॉर्म पर अनजान व्यक्ति से दोस्ती आपको भारी पड़ सकती है।
आजकल वायरल का जमाना है
आजकल चीजों को वायरल करने में लोगों को अलग ही खुशी मिल रही है। चाहे वो उनके मतलब की है या नहीं। इसलिए मैैं आप सभी को वॉर्न करना चाहता हूूं कि जिस फील्ड से मैैं हूं वहां रोजाना ऐसी चीजें आती हैैं, जिनमें बस बिना सोचे-समझे वायरल की गई पोस्ट, फोटो और वीडियोज टीनएजर्स को अपराधी बना रहे हैैं। इसे ऐसे समझ लीजिए, जैसे आपके व्हाट्सएप, इंस्टग्राम या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई फोटो, वीडियो या मैसेज आता है तो उसको बिना पढ़े या बिना जरूरत के अपने पेज या किसी अन्य के साथ कभी भी शेयर न करें। क्योंकि आप आपत्तिजनक फोटो, मैसेज या वीडियो शेयर करके अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं, बुरे फंस सकते हैं। इसलिए कुछ भी शेयर करने से पहले उसके डूज और डोंट्स जान लें। अगर आपको लगता है जो आपके पास आया है, वह थोड़ा-सा भी गलत है तो उसे तुरंत डिलीट कर देें। वहीं, अगर आपको कोई परेशान कर रहा है या आपके साथ कुछ गलत हुआ है तो उसे इग्नोर न करें, तुरंत उसकी शिकायत 1930 पर शिकायत करें।
लिंक पर क्लिक न करें
अवेयरनेस सेशन में साइबर सेल के जिला प्रभारी राघवेंद्र कुमार ने स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम व सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स के बारे में अहम जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि आपका फेसबुक, व्हॉट्सएप या इंस्टाग्राम पर कोई भी फेंक लिंक आता है तो उससे क्लिक नहीं करना है, वरना आपके साथ फ्रॉड हो सकता है। यदि फिर भी आप किसी लिंक पर क्लिक कर बैठे हैैं तो तुरंत 1903 पर कॉल करें। इसके बाद अपराधी को पकडऩा आसान हो जाता है। जितनी देर आप करेंगे, अपराधी को चेज करना उतना ही मुश्किल हो जाएगा।
राघवेंद्र कुमार ने बताया कि बहुत से लोग इंस्ट्राग्राम व फेसबुक पर दूसरे के नाम पर फर्जी एकाउंट बना रहे हैं। यह भी साइबर क्राइम की श्रेणी में आता है। मगर लोगों को लगता है कि वह पकड़ नहीं जाएंगे। यह गलत अवधारणा है। अपने सोशल मीडिया प्लेटफाम्र्स को टू स्टेप वैरिफिकेशन या सिक्योरिटी फीचर के साथ लॉक रखें। अनजान लोगों से अपना सिक्योरिटी फीचर ओपन न रखें। जहां तक हो सकें सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से फ्रेंडशिप मत कीजिए। क्योंकि आपको नहीं पता वो कौन है और उसका आपसे दोस्ती करने का क्या मकसद है। आपके नाम, डाटा, फोटो, वीडियो, का मिसयूज हो सकता है। ये हो भी रहा है, बस इससे बचने का तरीका है जागरूक रहना। बदले तीन माह में पासवर्ड
आप अपने किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को एक्सेस करने के लिए आपनी जिस ई-मेल आईडी का इस्तेमाल करते हैैं उसका पासवर्ड अपना फोन नंबर, डेट ऑफ बर्थ या अपने व्हीकल नंबर कभी मत रखिए। ऐसा पासवर्ड कोई भी साइबर क्रिमिनल आसानी से हैक कर सकता है। अलग-अलग याद रहने वाली चीजों को मिक्स करके पासवर्ड तैयार करें और हो सके हर तीन महीने में पासवर्ड बदल दें। पासवर्ड-ओटीपी शेयर न करें
अपने फोन में लैपटॉप सिस्टम जो भी आपके पास है, जैसे एनी डेस्क, टीम व्यूजरउनके पासवर्ड किसी को न बताएं, क्योंकि इससे आपका डाटा हैक कर सकता है। साथ ही सबसे जरूरी और अहम यह है कि कभी भी कोई ओटीपी किसी के साथ शेयर न करें। वाकई ही कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा। बच्चों ने बहुत कुछ जाना और सीखा। उनको पता लगा कैसे साइबर क्राइम हो रहे हैं और उनसे कैसे बचा जाए। इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
अनीता त्रिपाठी, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल वाकई ही ये कार्यक्रम बेहद सराहनीय रहा। बच्चों के लिहाज से कहूं तो उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला, इस तरह के अवेयरनेस सेशन स्टूडेंट्स के हित में आयोजित होते रहने चाहिए।
डॉ। ओपी अग्रवाल, चेयरमेन, सिटी वोकेशनल पब्लिक स्कूल