Meerut News : एकात्म मानवदर्शन से बनेगा विकसित भारत
मेरठ (ब्यूरो)। पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानवदर्शन का सिद्धांत भारतीय दर्शन और जीवन दृष्टि पर आधारित एक समग्र विचारधारा है, जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग का समग्र विकास करना है। यह दर्शन केवल भौतिक प्रगति पर ही जोर नहीं देता, बल्कि मनुष्य के नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास को भी महत्व देता है। यदि इस दर्शन के सिद्धांतों को सही ढंग से लागू किया जाए, तो यह भारत को एक सशक्त, आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक हो सकता है। यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में आयोजित वीकेंड अभिव्यक्ति के दौरान मुख्य वक्ता यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य डॉ। मुनेश कुमार ने कही।
छात्र-छात्राओं ने विचार रखे
तिलक पत्रकारित एवं जनंसचार स्कूल में आयोजित वीकेंड अभिव्यक्ति में शहीद भगत सिंह का आजादी के आंदोलन में योगदान, समाज सुधारक के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का योगदान राष्ट्रीय चेतना जगाने में राष्ट्र्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का योगदान विषयों में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसमें छात्र व छात्राओं ने अपने विचार रखे।
पंडित दीनदयाल को किया याद
डॉ। मुनेश कुमार ने कहा कि एकात्म मानववाद का सिद्धांत पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने 1965 में भारतीय जनसंघ के सम्मेलन में प्रस्तुत किया। इसका मूल विचार यह है कि व्यक्ति, समाज और प्रकृति का आपसी संबंध संतुलित और समग्र होना चाहिए।इसमें किसी भी एक पहलू को प्राथमिकता देकर बाकी पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जाता। यह दर्शन भारतीय समाज की पारंपरिक सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के आधार पर जीवन के हर पहलू का विकास करने का मार्ग दिखाता है। एकात्म मानववाद का उद्देश्य न केवल भौतिक संसाधनों का सही उपयोग करना है, बल्कि एक समाज की आत्मा, उसके संस्कार और परंपराओं को ध्यान में रखकर विकास करना भी है।
अजय मित्तल ने कहा कि शहीद भगत सिंह क्रांतिकारी विचारधारा के समर्थक थे और उन्हें अहिंसात्मक तरीकों के बजाए सशस्त्र क्रांति में विश्वास था। भगत सिंह का मानना था कि स्वतंत्रता केवल प्रार्थना या निवदेन से नहीं मिल सकती बल्कि इसके लिए संघर्ष और बलिदान की आवश्यकता है। उनके इसी दृढ संकल्प ने उन्हें असाधारण क्रांतिकारी बना दिया। इस अवसर पर डॉ। मनोज कुमार श्रीवास्तव, डॉ। दीपिका वर्मा, लव कुमार, डॉ। बीनम यादव, डॉ। मनु कौशिक आदि मौजू