24 लाख की आबादी वाले शहर में फॉगिंग का लक्ष्य रखा गया तीन गुना कम हो गई है दवा छिड़काव करने वालों की संख्या। 64 से सिर्फ 14 रह गई है दवा छिड़काव करने वालों की संख्या 11 साल से खाली चल रहा है कीट संग्रहकर्ता का पद।

मेरठ (ब्यूरो)। डेंगू से निपटने के लिए प्रशासन हर साल दावे करता है। बावजूद इसके, हर साल डेंगू के केसों में कमी के बजाए इजाफा हो जाता है। खासतौर पर सर्दियों में डेंगू का डंक और अधिक खतरनाक हो जाता है। हालत यह है कि जिम्मेदार विभागों की लापरवाही के चलते ना तो डेंगू का डंक दब पा रहा है और ना ही लोग जागरुक हो रहे हैं। इसके चलते हर साल डेंगू अपने बदलते रूप के साथ और अधिक विकराल हो जाता है। सिर्फ जागरुकता से ही इस डेंगू के डंक पर कंट्रोल संभव है।

लाखों का बजट, कागजों में फागिंग
शहर में फॉगिंग के लिए नगर निगम ने 90 वार्डों के लिए करीब 10 लाख रुपये के बजट का व्यय करता है। वहीं मलेरिया विभाग के पास करीब 500 लीटर फॉगिग की दवा और 300 लीटर एंटी लार्वा मुख्यालय स्तर से उपलब्ध कराई गई थी। दोनो विभाग मिलकर रोस्टर के अनुसार फागिंग करते हैं। इस बजट में फॉगिंग के लिए दवाई, तेल, मशीन की मरम्मत आदि सभी शामिल है।

स्टॉफ की कमी
मच्छर जनित बीमारियों से शहर के लोगों को निजात दिलाने के लिए जिम्मेदार मलेरिया विभाग खुद बीमार है। मलेरिया विभाग के पास न स्टाफ पूरा है और न ही गाडिय़ां हैं। स्टॉफ और गाडिय़ों की कमी के चलते एंटी लार्वा अभियान से लेकर दवा की छिड़काव तक में खानापूर्ति हो रही है। इससे से भी बुरी स्थिति यह है कि मलेरिया विभाग में दवा छिड़काव करने वालों की संख्या तीन गुना कम हो गई है। जहां विभाग में दवा छिडकाव करने वालों की संख्या शुरुआत में 64 थी मगर अब 14 रह गई है।

कीट संग्रहकर्ता के पद खाली
गौरतलब है कि मलेरिया विभाग के मुताबिक, शहर के अलग-अलग इलाकों में मच्छरों की अलग-अलग प्रजातियां हैं। ये कई तरह के वायरस और पैरासाइट के जरिए विभिन्न बीमारियां फैलाते हैं। इन मच्छरों के अध्ययन और बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की रोकथाम के लिए मलेरिया विभाग में कीट संग्रहकर्ता का पद करीब 11 साल से खाली चल रहा है। मलेरिया विभाग में कीट संग्रहकर्ता के 2 पद 80 के दशक में निर्धारित किए गए थे। अब कीट संग्रहकर्ता के पद पर नियुक्ति ना होने के कारण डेंगूू मलेरिया रोकथाम अभियान में महज खानापूर्ति रहती है।

बढ़ रही मरीजों की संख्या
वही पिछले छह साल के बीमारियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2016 में जहां डेंगू मरीजों की संख्या 195 तक सीमित थी वहीं साल 2020-21 में डेंगू के मरीजों की संख्या 1668 पहुंच गई थी। जबकि 2022-23 में यह संख्या 1348 पर थी। वहीं अभी नवंबर 2024 तक मरीजों का आंकडा 150 को पार कर चुका है।

मानिटरिंग और फीडबैक तक सीमित प्रयास
मच्छरों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन इसके बाद भी स्वस्थ्य विभाग के प्रयास केवल मानिटरिंग और फीडबैक तक सीमित हैं। नगर निगम मच्छरों को मारने के लिए केवल फागिंग पर ही निर्भर है और फागिंग भी केवल कुछ ही वार्ड में गिनी चुनी गलियों तक सीमित है। हालत यह है कि शहर की मलिन बस्तियों में तो फागिंग नाम मात्र तक सीमित है। राजेंद्रनगर, कैलाशपुरी, मदीना कालोनी, मेवगढ़ी, विकासपुरी, शेरगढ़ी, सरायकाजी, वेदव्यासपुरी, गौतमनगर, जाकिर कालोनी, मलियाना, कंकरखेड़ा जैसी सैकड़ों इलाकों में फागिंग ना के बराबर है या फिर हुई ही नही है। इन क्षेत्रो में लगातार डेंगू के केस मिल रहे हैं।

संचारी रोग नियंत्रण तक सीमित प्रयास
वहीं डेंगू पर लगाम के लिए रह साल प्रशासन द्वारा संचारी रोग नियंत्रण अभियान शुरु किया जाता है। इस साल भी 31 जुलाई तक यह अभियान चलाया गया था। इसमें इन सभी 11 विभागों को लगाया गया था। इनमें नगर निगम ने शहर में जलभराव, गंदगी से निजात दिलाने के साथ फागिंग कराने का प्रमुख काम किया। जिला मलेरिया विभाग फागिंग के साथ साथ सैैंपलिंग और जागरुकता का काम किया। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड रेस्पांस टीम बनाकर मरीजों को तुरंत उपचार समेत डेंगू स्पेशल वार्ड बनाकर रोकथाम का प्रयास किया। इन प्रमुख विभागों के अलावा सभ्ीा विभागों को जागरुकता का काम दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी डेंगू बेकाबू है।

पूरे शहर में लगातार फागिंग कराई जा रही है। जहां जरुरत है वहां एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जाता है। बाकि यदि किसी मोहल्ले में समस्या अधिक है तो स्थानीय लोग निगम से संपर्क कर सकते हैं1
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

जहां डेंगू के केस अधिक है उन क्षेत्रों को हॉट स्पॉट घोषित कर प्राथमिकता के स्तर पर फागिंग, एंटी लार्वा छिड़काव, जांच व उपचार आदि की व्यवस्था की जाती है। इस बार भी कई क्षेत्रों में स्वास्थ्य कैंप लगाकर सैंपलिंग कराई जा रही है ।
डॉ। अशोक तालियान, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी

Posted By: Inextlive