शहर की सडक़ों से गायब हो गया साइकिल ट्रैक
मेरठ ब्यूरो। शहर में साइकिल चलाना कितना मुश्किल है, इसकी हकीकत बताने ही जरूरत नहीं है। वल्र्ड बाइसिकल डे पर खास बात यह है कि साइकिल ट्रैक या तो टूट गए हैं या फिर उनमें कब्जे हो गए हैं। हां, साइक्लिंग के लिए जागरुकता तो खूब फैलाई जाती है, बावजूद इसके, साइकिल टै्रक की सुध लेने वाला कोई नहीं है। यही नहीं, रोडवेज की ओर से साइकिल ऑन रेट की सुविधा भी की गई थी, लेकिन अब ये दोनों की बदहाल है। अब न तो साइकिल ट्रैक है और न साइकिल को किराए पर लेने की सुविधा।
छह साल से साइकिल ट्रैक बदहाल
गौरतलब है कि छह साल पहले साल 2017 के सपा शासन में क्लीन यूपी ग्रीन यूपी योजना के तहत करीब छह करोड़ 14 लाख 37 हजार की लागत से साइकिल ट्रैक तैयार किया था। आज प्रशासन की अनदेखी के चलते साइकिल ट्रैक आज गुमशुदा है। ट्रैक जगह- जगह से टूटा है। हालत यह है कि सडक़ किनारे पैदल चलने की जगह तक खत्म हो गई है। साइकिल ट्रैक पर झाडिय़ों पर कब्जा हो गया है।
किराये की साइकिल भी गुमशुदा
गौरतलब है कि पांच साल पहले रोडवेज ने शहर में आने वाले बाहरी लोगों की सुविधा के लिए साइकिल ऑन रेंट की सुविधा शुरु की थी। भैंसाली बस डिपो पर किराये पर साइकिल देने की व्यवस्था थी, लेकिन यह योजना भी एक साल भी नहीं चल सकी। एक दर्जन से अधिक साइकिल भी गुमशुदा हो गईं।
साइकिल ट्रैक की बदहाल हालत
- 5.20 किमी लंबे ट्रैक की चौड़ाई दो मीटर है, यहां झाडिय़ां हो गई हैं
- महंगी एंटीक एलईडी स्ट्रीट लाइट तक चोरी हो गई हैं
- 2017 में साइकिल ट्रैक पर बिजली तार का घोटाला हुआ था।
- 12 इंजीनियर्स पर एफआईआर हुई थी इस घोटाले में
- 3 इंजीनियर गिरफ्तार हुए थे एमडीए के तहत
साइकिल ऑन रेंट की हालत
- पहचान पत्र और टिकट की कॉपी जमा करने पर किराये पर साइकिल देने की व्यवस्था
- अब रेंट ए साइकिल स्कीम के तहत कोई भी साइकिल को एक दिन या उससे भी अधिक समय के लिए किराये पर ले सकता था
- एक दिन के तब 20 रुपए किराया निर्धारित किया गया था
- शुरुआत में भैंसाली बस डिपो पर इसके लिए 12 साइकिल का स्टैंड बनाया गया था
- योजना के कुछ दिन बाद ही साइकिल गायब होना शुरु हो गई थी
- आज इस योजना के साइकिल स्टैंड कबाड़ स्थिति में बचे हुए हैं।
- तरुण चोपड़ा, अध्यक्ष, साइक्लोफिट साइकिल क्लब साइक्लिंग ट्रैक की सुविधा दोबारा शुरु होना चाहिए। शहर में माल रोड की तर्ज पर जगह साइक्लिंग के लिए उपलब्ध कराई जानी चाहिए। हमें साइक्लिंग के लिए भी कैंट जाना पड़ता है।
- अशोक वासन यह कहना गलत नही है कि अब शहर में साइक्लिंग करना तो दूर शहर की सडक़ों पर पैदल चलना भी दूभर है। शुद्ध हवा के लिए कैंट या शहर के बाहरी इलाकों में जाना पड़ता है।
- रविंद्र हांडा साइकिल ट्रैक भी घोटालों में सिमट गया है। पार्क के अंदर, विवि परिसर के अंदर, स्पोटर्स स्टेडियम तक में साइकल चलाना बैन है। बतौर एक्सरसाइज साइकिल चलाने की जगह बहुत कम बची है।
रोहित महाजन