पांच साल में रोपे करोड़ों पौधे लापता हो गए देखते-देखते
मेरठ (ब्यूरो)। पेड़ कट रहे, जंगल घट रहा हैं। जीवन पर खतरा मंडराने लगा है। इसकी मुख्य वजह दिनों दिन पेड़ों की घटती संख्या है, जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। इसी संतुलन को बनाए रखने के लिए हर साल शासन के आदेश पर जुलाई से सितंबर के बीच वन महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान वन विभाग द्वारा लाखों की तादाद में पौधे लगाए जाते हैं। वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो मेरठ में पिछले पांच साल में एक करोड़ से अधिक पौधे रोपे गए थे। विभाग दावा कर रहा है कि 80 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। जबकि हकीकत में मॉनिटरिंग और जियो टैंगिंग के बावजूद 40 फीसदी पौधे भी नहीं बचे हैं। अगर इन पौधों में से 50 फीसदी का भी सही से रख-रखाव किया गया होता तो आज मेरठ में हवा की सेहत इतनी खराब नहीं होती।
32 लाख का टारगेट
जनपद में हरा-भरा रखने और पॉल्यूशन स्तर पर लगाम कसने के लिए वन विभाग हर साल की तरह इस साल भी जुलाई माह में वन महोत्सव के जनपद में पौधरोपण करेगा। इसके लिए वन विभाग को 32.58 लाख अधिक पौधे रोपने का टारगेट भी दिया गया है। इसके लिए विभाग ने तैयारी भी शुरू कर दी है। लेकिन खास बात है कि पिछले साल लगाए गए 29 लाख पौधों में से करीब 70 फीसदी पौधे लापरवाही की भेंट चढ़ गए। मात्र 30 प्रतिशत करीब पौधे ही हवा को शुद्ध करने का काम कर रहे हैं।
गत वर्ष की बात करें तो जनपद के अधिकारियों की सजगता के चलते साल 2021 में वन महोत्सव के दौरान टारगेट से अधिक पौधारोपण कर रिकार्ड बनाया गया था। गत वर्ष जुलाई का लक्ष्य 25,85,700 था। जिसके सापेक्ष 5500 स्थानों पर 25,90,095 पौधे रोपे गए थे। तब पौधारोपण के दौरान ली गई फोटो को रियल टाइम में वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। मगर वेबसाइट पर आज की रियल टाइम फोटो मौजूद नहीं है। सात फीसदी वन क्षेत्र
पौधरोपण के लिए इस साल वन विभाग के पास केवल सात फीसदी भूमि है जबकि 93 फीसद भूमि निजी है। राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 फीसदी भू-भाग पर वन क्षेत्र होना आदर्श मानक है। ऐसे में साल दर साल बढ़ रहा पौधरोपण महज खानापूर्ति साबित हो रहा है।
नहीं बढ़ रही हरियाली
नगर निगम द्वारा पिछले साल 84,960 पौधे लगाए गए थे लेकिन शहर की ग्रीन बेल्ट और पार्कों में लगाए गए अधिकतर पौधे सूख गए हैं या पशु खा चुके हैं। वहीं आवास विकास द्वारा जागृति विहार एक्सटेंशन 7,920 पौधों का रोपण किया गया था। इनमें से आज की तारीख में 30 प्रतिशत पौधे भी नहीं बचे हैं। कुछ ऐसा ही हाल शिक्षा विभाग, रोडवेज, रेलवे द्वारा किए गए पौधरोपण का भी है।
साल 2022- 32.58 लाख पौधे
साल 2021- 29.24 लाख पौधे
साल 2020- 24.66 लाख पौधे
साल 2019- 19.32 लाख पोधे
साल 2018 - 9.50 लाख पौधे मेरठ में वन क्षेत्र
2559 वर्ग किमी - कुल भू-भाग
00 वर्ग किमी - अति घना वन क्षेत्र
34 वर्ग किमी - मध्यम घना वन क्षेत्र
34.4 वर्ग किमी - खुला वन क्षेत्र
68.4 वर्ग किमी - कुल वन क्षेत्र
2.66 फीसद - कुल क्षेत्रफल पर वन
पौधरोपण का विभागवार आंकड़ा
वन एवं वन्य जीव -7,63,560
पर्यावरण- 84,840
ग्राम्य विकास विभाग - 11,22,000
औद्योगिक विकास - 6,360
नगर विकास - 84,960
आवास विकास - 7,920
जल शक्ति - 13,920
ऊर्जा - 8,640
गृह - 7,920
लोक निर्माण विभाग - 13,920
रेशम - 30,009
कृषि - 2,15,604
पशुपालन - 10,800
सहकारिता - 51,060
उद्योग- 9,600
माध्यमिक शिक्षा- 2,556
बेसिक शिक्षा - 2,556
उच्च शिक्षा -24,000
प्रावधिक शिक्षा - 7,200
श्रम विभाग - 2,520
स्वास्थ्य -16,440
परिवहन - 2,520
रेलवे - 34,440
रक्षा - 7,800
उद्यान - 1,40,282
राजस्व - 1,26,480
पंचायती राज - 1,26,480
कुल - 29,24,387
पौधों की मॉनिटरिंग के लिए उनकी जियो टैंगिंग की जाती है, जिसका सत्यापन समय-समय पर सभी विभाग करते हैं। पौधों का रख-रखाव पूरे साल तक बेहतर रहे इसका प्रयास किया जा रहा है। इस साल और अधिक गंभीरता से इस पर काम किया जाएगा।
राजेश कुमार, डीएफओ