पेरेंट्स के इंग्लिश न बोल पाने के कारण डिप्रेशन में जा रहे बच्चे
मेरठ ब्यूरो। हर पेरेंट्स का सपना होता है कि उनका बच्चा नामचीन स्कूल में पढ़े, हाई क्वालिटी की एजुकेशन ले, लेकिन अब यही ख्वाब बच्चों के लिए नई मुश्किलें पैदा कर रहा है। अब बच्चे अपने दोस्तों के पेरेंट्स के साथ तुलना करते हैं। अगर मां-बाप इंग्लिश नहीं बोल पाते हैं जो बच्चों को संकोच होता है। ऐसे में इन दिनों मनोवैज्ञानिकों के पास कई अजीबोगरीब केस आ रहे हैं, जिनमें बच्चा हाई स्टेटस के चक्कर में परेशान हो रहा है। डिपे्रशन में जा रहे बच्चे आज के दौर में बच्चे अपने दोस्तों के घर के स्टेट्स से खुद का आंकलन करते हैं। पेरेंट्स के साथ तुलना करते हैं। वो चाहते है उनके पेरेंट्स भी दोस्तों के पेरेंट्स की तरह इंग्लिश में बात करें। ऐसे में काफी बच्चे काउंसलर्स के पास आ रहे है, जो हाई स्टेटस के चक्कर में डिप्रेशन में जा रहे हैं।
छह महीने में आए इतने केस
बीते छह माह में सीबीएसई काउंलर्स के पास इस तरह के 93 केस सामने आए है। एक दिन में करीब तीन से चार केस आ रहे हैं। इनमें काउंसलर्स उनको काउंसिलिंग करके समझाते हैं कि वो अपने पेरेंट्स का दूसरों से कम्पैरिजन न करें। हाई स्टेटस केवल इंग्लिश बोलना नहीं है बल्कि उनके पेरेंट्स उनकी क्या केयर करते हैं इसपर ध्यान देना चाहिए। ऐसे केस में करीब दो से तीन दिन काउंसिलिंग की जाती है। इस तरह की के भी है केस मम्मी को स्कूल नहीं ले जाती है बच्ची पब्लिक स्कूल में पढऩे वाली एक बच्ची की मदर को इंग्लिश नहीं आती है, इसलिए वो अपनी मम्मी को स्कूल जाने से मना करती है। इस केस में टीचर्स ने जब पेरेंट्स को कॉल करके पूछा तो जानकारी मिली बच्ची बोलती है मम्मी की जगह ट्यूशन वाली मैडम को भेज दो क्योंकि मम्मी को इंग्लिश नहीं आती है। पेरेंट्स इंग्लिश में बात नहीं करते कैंट स्थित एक पब्लिक स्कूल में क्लास फाइव में पढऩे वाला बच्चा क्लास में गुमसुम रहता था। जब टीचर ने काउंसिलिंग की तो पता लगा कि पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में सबके पेरेंट्स इंग्लिश बोलते है उसको छोड़कर, इसलिए वो गुमसुम है। इंग्लिश बोलना सीखें मम्मी
शास्त्रीनगर के एक स्कूल की क्लास थर्ड की बच्ची के पेरेंट्स इंग्लिश नहीं बोल पाते। इसलिए उसने अपनी टीचर से कहा वो उनकी मम्मी को कहे इंग्लिश सीख ले, मामले में टीचर ने समझाया कि हिंदी भाषा बहुत अच्छी है। केस-वन : मम्मी-पापा का हाई स्टेट्स नहीं शास्त्रीनगर की एक नौ साल की बच्ची शहर के नामचीन स्कूल में पढ़ती है। वह कई दिनों से गुमसुम रहती है। लिहाजा उसके पेरेंट्स कांउसलर के पास लेकर गए। उसने बताया कि मम्मी पापा हाई स्टेट्स के अनुसार नहीं हैं। इसलिए अजीब लगता है। केस -2 रजबन निवासी एक बच्ची क्लास आठ में पढ़ती है। उसकी मम्मी को इंग्लिश नहीं आती है। काउंसलर के पास पहुंची तो उनको बताया कि दोस्तों की मम्मी इंग्लिश बोलती है लेकिन उसकी मम्मी नहीं बोल पाती इसलिए वो परेशान है। दरअसल दोस्तों से उनके पेरेंट्स से अपना कम्पैरिजन करने लग जाता है, हम लोगों में शुरू से ही एक दूसरे की तुलना करने की भावना होती है। इस भावना के चलते ऐसा होता है। हम ऐसी स्थिति में बच्चों को समझाते हैं कि पेरेंट्स हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं। हमें केवल यह देखना चाहिए वो हमारा कितना ख्याल रखते हैं। डॉ पूनम देवदत्त, सीबीएसई काउंसलर
हाई स्टेटस मेंनेटेन करने के कारण बच्चे डिप्रेशन में जा रहे है, लेकिन उनको काउंसिलिंग कर समझाया जाता है कि दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए। खुद में ही खुश रहना चाहिए। उनको बताया जाता है कि पेरेंट्स की कभी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए, वो हमारे लिए बहुत कुछ करते है। डॉ अनीता मोरल, मनौवैज्ञानिक।