स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में दूसरी रैंक पर आने वाला कैंट बोर्ड इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. एक तरफ रैवेन्यू का पैसा कलेक्ट नहीं हो पाने से दिक्कतें बढ़ी हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्र ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं. रक्षा मंत्रालय से हर साल सर्विस चार्ज और ग्रांट के रूप में मिलने वाले 25 करोड़ रुपये पर भी केंद्र ने रोक लगा दी है.

मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में दूसरी रैंक पर आने वाला कैंट बोर्ड इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। एक तरफ रैवेन्यू का पैसा कलेक्ट नहीं हो पाने से दिक्कतें बढ़ी हैं। वहीं, दूसरी तरफ केंद्र ने भी अपने हाथ खींच लिए हैं। रक्षा मंत्रालय से हर साल सर्विस चार्ज और ग्रांट के रूप में मिलने वाले 25 करोड़ रुपये पर भी केंद्र ने रोक लगा दी है। केंद्र ने अब बोर्ड को आमदनी से स्वयं खर्चा निकालने के निर्देश जारी किया है। ऐसे में कैंट बोर्ड पर आर्थिक संकट का पहाड़ टूट गया है। जबकि अभी बोर्ड को जनवरी-फरवरी के वेतन-पेंशन में ही कर्मचारियों को 4.25 करोड़ रुपए देने हैं। वहीं 2017 के बाद रिटायर्ड हुए कर्मचारियों की ग्रेच्युटी के 25 करोड़ रुपये भी चुकता करने हैं।

नौ प्वाइंट भी बंद
कैंट बोर्ड को हाउस टैक्स, पार्किंग, दुकानों के लाइसेंस आदि से हर साल पांच करोड़ 84 लाख की आय होती है। हर साल बोर्ड को औसत 25 करोड़ रुपए सर्विस चार्ज और ग्रांट के रूप में रक्षा मंत्रालय से मिलते हैं। बोर्ड करीब 1.65 करोड़ रुपए घर-घर से कूड़ा उठाने में खर्च करता है। कर्मचारियों के वेतन में ही हर महीने 4.25 करोड़ खर्च हो जाता है। इधर, इस साल बोर्ड को अभी तक कोई ग्रांट तक नहीं मिल पाया है। वहीं, टोल टैक्स के नौ प्वाइंट बंद होने से हर दिन का करीब पांच लाख रुपए का कलेक्शन भी खत्म हो चुका है। करीब छह करोड़ रुपए हाउस टैक्स के बकायेदारों के रुके हुए हैं। इसके अलावा बीते चार सालों से लगातार करीब दो करोड़ का टैक्स मिल नहीं पा रहा है। ऐसे में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है।

ये हैं आय के साधन
1100 हजार भवनों की संख्या
2 करोड़ हर साल सर्विस चार्ज से मिलता है, जो बीते छह साल से नहीं मिला है
6 करोड़ रुपए हर साल हाउस टैक्स का होता है, जबकि हर साल वसूली केवल चार करोड़ हो पाती है
64 लाख रुपये हर साल दुकानों का लाइसेंस शुल्क
60 लाख हर साल वाहन पार्किंग शुल्क4 लाख हर साल कूड़ा कलेक्शन यूजर चार्ज
5.84 करोड़ रुपये हर साल कैंट बोर्ड की हाउस टैक्स के साथ ही सभी मदों से आय होती है

टीचर्स को सैलरी नहीं
छावनी क्षेत्र के चल रहे संबंधित स्कूलों सहित प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के वेतन व अन्य खर्च के लिए 2011 से पहले यूपी सरकार हर साल चार करोड़ रुपए देती थी। शासन द्वारा यह फंड बंद करने के बाद से टीचर्स के वेतन पेंशन तक पर भी संकट खड़ा है।

पैचवर्क को चाहिए पैसा
कैंट में 63 किमी। सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने के लिए कम से कम कैंट को छह करोड़ रुपए की जरूरत है। जबकि मार्च तक चालू वित्तिय वर्ष की समाप्ति तक हाउस टैक्स व अन्य मदों से होने वाली आय के भरोसे ही सड़कों की मरम्मत का प्लान बनाया जा रहा है।

वर्जन
कैंट बोर्ड इस समय आर्थिक संकट में है, कर्मचारियों को समय पर वेतन तक देने में दिक्कतें आ रही हैं। सड़क बनवाने, नाले की सफाई कराने व अन्य सुविधाएं देने के लिए बजट की कमी है। लोगों से कहा है कि वो अपने पैसे चुकाएं। लोग ऑनलाइन भी पैसा जमा कर सकते हैं। उनको छूट दी जा रही है। इसके बाद भी कोई रैवेन्यू कलेक्ट नहीं हो पा रहा है।
नवेंद्र नाथ, सीईओ, कैंट बोर्ड

कैंट बोर्ड के पास रैवेन्यू कलेक्शन की समस्या सालों से चली आ रही है। पिछली बार रैवेन्यू के लिए प्लानिंग की थी, लेकिन उसके बाद सदस्यता समाप्त होने का समय आ गया था। लोगों को भी सहयोग देने की जरूरत है।
बीना वाधवा, पूर्व उपाध्यक्ष, कैंट बोर्ड

Posted By: Inextlive