फर्जी छात्रसंघ अध्यक्ष को दिखाया बाहर का रास्ता
- सीसीएसयू में छात्रसंघ अध्यक्ष का फर्जी दस्तावेजों पर हुआ था प्रवेश
- जांच के बाद इंटरमीडिएट का प्रमाणपत्र को यूनीवर्सिटी की समिति ने पाया था फर्जी -अब छात्रसंघ उपाध्यक्ष संभालेंगे अध्यक्ष पद की कमान - सामने आ सकते हैं फर्जी एडमिशन के कई मामले Meerut : सीसीएस यूनीवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष सचिन चौधरी को फर्जी एडमिशन का दोषी पाया गया। सचिन ने इंटरमीडिएट की फर्जी मार्कशीट के आधार पर एलएलबी में प्रवेश लिया था। प्रमाणपत्रों की जांच को गठित कमेटी की संस्तुति के बाद यूनीवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने अध्यक्ष के प्रवेश को निरस्त कर दिया। अध्यक्ष को पद से हटाते हुए उपाध्यक्ष को पदेन अध्यक्ष बना दिया गया है। बोर्ड और स्कूल दोनों हैं अमान्यसीसीएसयू की प्रवेश समिति ने प्रवेश कक्ष में आयोजित बैठक में सोमवार को फर्जी छात्रसंघ अध्यक्ष सचिन चौधरी को बाहर कर दिया है। प्रवेश समिति के अनुसार सचिन के स्कूल और बोर्ड की मार्कशिट के अमान्य होने के कारण उसके प्रवेश को रद कर दिया गया है। सचिन के फर्जी प्रवेश होने की शिकायत सपा छात्र सभा द्वारा की गई थी। सचिन चौधरी पर लॉ डिपार्टमेंट में फर्जी एडमिशन का आरोप था। सोमवार को प्रोवीसी प्रो। एचएस सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में उसका प्रवेश निरस्त करने का फैसला लिया गया। प्रवेश समिति ने यह भी निर्णय लिया है कि प्रकरण में विभागीय प्रवेश समिति द्वारा समुचित कार्रवाही नहीं की गई है और न ही उसके स्कूल व बोर्ड का सत्यापन किया है। इसलिए विभागीय प्रवेश समिति को भी चेतावनी दी गई है।
अब उपाध्यक्ष संभालेंगे नकमान सीसीएसयू में अध्यक्ष का निर्वाचन कैंसल होने के बाद नियमों के अनुसार चुनाव अधिकारी को निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र किया है। उधर चुनाव अधिकारी डॉ। अतवीर सिंह के अनुसार छात्रसंघ चुनाव नियमों के अनुसार अगर दो माह के अंदर अध्यक्ष पद किसी कारण से कैंसल होता है तो नियमानुसार उपाध्यक्ष को उसका कार्य सौंपा जाता है। इसलिए अभी नियमों को देखने के बाद उपाध्यक्ष पद को कार्यभार सौंपा जाएगा। अभी और कितने हैं फर्जी प्रवेशगौर करने की बात यह है कि अध्यक्ष पद का मामला होने के कारण यह मामला गरमाया और कार्रवाई की गई, लेकिन अगर हम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तैंतीस सौ छात्रों और संबंधित कॉलेजों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों के प्रवेश की बात करें तो ऐसे में तो उनमें से सैकड़ो के प्रवेश पर भी प्रश्नचिह्न है। अगर उन प्रवेश की भी जांच हो तो उनमें से भी कई फर्जी प्रवेश सामने आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो अब यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के कागजों की भी जांच होने की संभावना है।
समिति ने भी उठाया है सवाल प्रवेश समिति ने जहां फर्जी एडमिशन लेने वाले छात्र सचिन का प्रवेश निरस्त कर दिया है। वहीं समिति ने फर्जी एडमिशन के मुद्दे को उठाते हुए इस बिंदु पर भी विचार किया है कि अगर कोई और भी इस तरह के मामले सामने आते हैं। तो उसके लिए यूनिवर्सिटी को एक ऐसी समिति बनाने की आवश्यकता है, जो जल्द से जल्द फैसला लेकर इस तरह के फर्जी एडमिशन पर रोक लगा सके। पहली बार हुआ ऐसा आंकड़ों पर जाए तो इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि एनएसयूआई का कोई कैंडिडेट अध्यक्ष बना और वो अध्यक्ष पद की कुर्सी पर नहीं बैठ पाया। प्रवेश देने वाला भी बाहर जहां यूनिवर्सिटी ने फर्जी प्रवेश लेने वाले छात्र के प्रवेश को निरस्त करने का फैसला लिया है। वहीं समिति ने फर्जी प्रवेश देने की लापरवाही करने वाले को भी आरोपी माना है। समिति के फैसले में विधि अध्ययन संस्थान विभाग के समन्वयक डॉ। केके मित्तल को भी तत्काल कार्यमुक्त कर दिया है।यह प्रकरण समिति के सामने था, इसलिए इस पर प्राथमिकता से सभी बिंदुओं को जांचते हुए फैसला लिया है। इसके साथ ही प्रवेश समिति के सदस्यों ने एक आग्रह भी किया है कि इस संबंध में एक समिति बनाया जाए ताकि इस तरह का कोई मामला आता है तो उसमें जल्दी निर्णय लिया जा सके।
-प्रो। एचएस सिंह, प्रो। वीसी, सीसीएसयू आईनेक्स्ट ने किया था खुलासा सीसीएसयू में छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर सचिन चौधरी के फर्जी प्रवेश की शिकायत के सही होने का खुलासा पहले ही हो गया था। आई नेक्स्ट ने यह खुलासा पांच दिन पहले ही कर दिया था। खबर में साफ लिखा गया था कि छात्रसंघ अध्यक्ष फर्जी प्रवेश है और गुपचुप तरीके से उसका प्रवेश निरस्त होने के आदेश हो चुके है। इसके साथ ही यह भी लिखा गया था कि अब अध्यक्ष पद की कमान कार्यकारिणी अध्यक्ष यानि उपाध्यक्ष या महामंत्री संभालने वाले है।