Meerut: आने वाले दिनों में अगर आपको बच्चे चाइनीज बोलते मिल जाएं तो चौंकिएगा नहीं. ग्लोबलाइजेशन के दौर में चाइना का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. आने वाले टाइम में चाइनीज के जानकारों को अच्छे पैकेज मिलेंगे और करियर ग्रोथ भी बेहतरीन होगी.


सीबीएसई के स्टूडेंट्स को करियर में कोई परेशानी न हो, इसके लिए सीबीएसई ने स्कूलों में चाइनीज लैंग्वेज पढ़ाने का फैसला किया है.इसी session सेसीबीएसई में वैसे तो कुल मिलाकर 34 लैंग्वेज पढ़ाई जाती हैं, लेकिन चाइना का वल्र्ड लेवल पर बढ़ते प्रभाव और चाइना का वल्र्ड इकोनोमी में भी बड़े शेयर को देखते हुए इसी सेशन से सीबीएसई स्कूलों में चाइनीज लैंग्वेज इंट्रोड्यूस की जा रही है। क्योंकि दुनिया भर में चाइना का बाजार फैल रहा है और चाइनीज भाषा मंदारिन विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। लैंग्वेज क्लास सिक्स से ही शुरू हो जाएगी। इसके लिए सीबीएसई ने चाइनीज लैंग्वेज के जानकारों से किताबें भी तैयार करानी शुरू कर दी हैं।Teachers होंगे upgrade


टीचर्स को भी चाइनीज लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी जाएगी। ताकि वो चाइनीज पढ़ाने योग्य हो सकें। इसके लिए बोर्ड ने एक ऑनलाइन लर्निंग सोल्यूशन प्लेटफार्म शुरू करने का भी फैसला किया है। फिलहाल एनसीआर के कुछ स्कूलों में टयूटर सर्विस भी प्रोवाइड कराए जाएंगे। ये टयूटर पिनयिन चार्ट, टोन और ग्रीटिंग्स के बारे में बच्चों को बताएंगे.होगा assessment

इस प्रोजेक्ट को लेकर सीबीएसई काफी सीरियस है। इसलिए हर महीने हर स्कूल से प्रोग्राम का फीडबैक लिया जाएगा। ये फीडबैक स्कूल में अपने वाले टयूटर सीबीएसई को देंगे। छह सितंबर को बोर्ड ने उन प्रिंसीपल्स को दिल्ली ऑफिस में बुलाया है जो इस प्रोग्राम को अपने स्कूल में शुरू करना चाहते हैं।For Your Information- सीबीएसई का कहना है कि ये फैसला ऑफिशयल चाइनीज लैंग्वेज में स्टूडेंट्स के स्पीकिंग, राइटिंग, रीडिंग और लिसनिंग स्किल डवलप होंगे।- स्टूडेंट्स में कांफिडेंस बढ़ेगा और वो मंदारिन को यूज करने में हिचकेंगे नहीं।- स्टूडेंट्स को मंदारिन से वहां के कल्चर और ट्रेडिशन का भी पता चलेगा।- सेल्फ लर्निंग से स्टूडेंट इंडिपेंडेंट भी बनेंगे।School activityसीबीएसई ने सिलेबस में कुछ एक्टिविटी भी सजेस्ट की हैं, जिन्हें क्लास रुम में ही किया जाएगा।- छोटे-मोटे इवेंटस का ओरल डिस्क्रिप्शन देना।- वेदर रिपोर्ट, पब्लिक अनाउंसमेंट, एड, इंटरव्यू आदि को ट्रांसलेट करके सुनाना।- सोशल कंर्वसेशन करना।- पिक्चर या लिखित तरह से कुछ कहानियां लिखना।- कहा गया है कि पढ़ते समय वॉयस टोन और रिदम का ध्यान रखा जाए।" चाइनीज लैंग्वेज में बहुत स्कोप है। इसी को देखते हुए स्टूडेंट्स को चाइनीज पढ़ाने का फैसला लिया गया है."- डॉ। साधना पराशर, एकेडमिक डायरेक्टर, सीबीएसई

Posted By: Inextlive