कांवड़ के दौरान रोडवेज यात्रियों की सुविधा के लिए रोडवेज बसों का नया रूट प्लान लागू किया गया है। हर साल की तरह भैंसाली डिपो से बसों का संचालन बंद कर सोहराबगेट डिपो से शुरु हो चुका है।

मेरठ (ब्यूरो)। दरअसल, रोडवेज का प्रयास है कि यात्रियों का सफर जारी रहे और परेशानी कम से कम हो, लेकिन इस प्रयास के बाद भी बसों का रूट बदलने और बस अडडे पर अव्यवस्थाओं के चलते यात्रियों की परेशानी बढऩे लगी है। इतना ही नही इस दौरान खुद रोडवेज को हर साल 7 से 8 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है।

ज्यादा कमाई नहीं होती
गौरतलब है कि कांवड़ के दिनों में दिल्ली रोड पूरी तरह से बंद हो जाता है। इस रोड से कोई भी हैवी ट्रैफिक नहीं होकर गुजरता है। ऐसे में दिल्ली रोड स्थित भैंसाली बस अड्डे को सोहराब गेट पर शिफ्ट कर दिया जाता है। इससे दिल्ली-देहरादून जाने वाले लोगों को कंकरखेड़ा से बस लेनी पड़ती है। इससे लोगों को परेशानियों का सामना पड़ता है, जिसके कारण पब्लिक बस की सेवा लेना बंद ही कर देती है, जिससे रोडवेज को ज्यादा कमाई नहीं होती है। इसका असर सोमवार से सोहराबगेट बस डिपो पर दिखना शुरु हो गया। कांवडियों की भीड़ बढऩे के साथ दैनिक यात्रियों की संख्या में कमी आना शुरु हो गई है।

ट्रेनों में बढ़ी संख्या
कांवड़ यात्रा से रोड ब्लॉक होने के कारण अधिकतर लोग शॉर्ट रूट के लिए ट्रेन की मदद ज्यादा लेने लगते हैं। अगर पब्लिक को मोदीनगर, मुजफ्फरनगर भी जाना होता है वो ट्रेन पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं। एक तो किराया बस के मुकाबले काफी सस्ता होता है और दूसरा ये है कि रूट डायवर्ट होने के कारण रोडवेज बसों में अधिक किराया नही देना पड़ता। यही वजह है के रोडवेज को इन दिनों में ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है।

ये है नुकसान का गणित
रोडवेज अधिकारियों की मानें तो रीजन के पांच डिपो में कुल 892 करीब बसें चलती हैं। जिनसे एक दिन की कमाई एवरेज 90 लाख से 1 करोड़ रुपए होती है। रोडवेज के गणित के अनुसार कांवड के दौरान सबसे अधिक 50 लाख रुपए तक आमदनी घट जाती है। यानि कमाई आधे से भी कम रह जाती है। यानि आखिरी के छह दिनों में 5 से 6 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। वहीं चार दिनों में यही घाटा बढ़कर 60 से 65 लाख रुपए का होता है। ऐसे में अगर दस दिनों का हिसाब किया जाए तो 7 से 8 करोड़ रुपए का घाटा होने का अंदाजा है।

एक नजर में
दिल्ली देहरादून गाजियाबाद के लिए घट गई बसों की संख्या

यात्रियों की संख्या में भी आने लगी कमी

892 करीब बसें चलती हैं रीजन के 3 डिपो में

90 लाख से 1 करोड़ रुपए होती है एक दिन की कमाई

50 लाख रुपए तक आमदनी घट जाती है कांवड़ के दिनों में

मेरठ रीजन में डिपो
भैंसाली, मेरठ, सोहराबगेट, गढ़मुक्तेश्वर, बड़ौत

648 के करीब कुल बसों की संख्या है निगम की

244 अनुबंधित बसों की संख्या है निगम के पास

यहां सबसे ज्यादा नुकसान
मेरठ- गाजियाबाद, भोला-सतवई-मेरठ,
मेरठ- मुजफ्फनगर, मेरठ-शामली, मेरठ- हरिद्वार

कांवड में हर बार दिल्ली रोड पूरी तरह से बंद हो जाता है। इस रूट पर संचालित बसों का रूट डायवर्ट होने के कारण पैसेंजर की संख्या कम हो जाती है। ऐसे में सामान्य दिनों के मुकाबले कमाई कम हो जाती है।
केके शर्मा, आरएम

Posted By: Inextlive