छावनी के बंगले 'बंकर' तो नहीं
आई नेक्स्ट उन बंगलों को खोजा है जो खंडहर हो चुके हैं और आसपास जंगल बन गया है। जहां असमाजिक तत्व और आपराधी आराम से किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं। यहां कई बंगले खंडहर हो चुके हैं, जो कैंट एरिया में दहशत पैदा कर रहे हैं। असल में ये वीरान बंगले बदमाशों के ‘बंकर’ का शक्ल ले चुके है। आइए, कैंट के कुछ वीरान बंगलों के दर्शन कराते हैं। Bunker - 1old sub area headquarter
जनरली देखने में आपको यहां सिर्फ जंगल के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देगा। न तो कोई बाउंड्रीवॉल न ही कोई सुरक्षा के इंतजाम रात के समय कोई भी आकर यहां किसी भी घटना को आराम से अंजाम दे सकता है। आपको बता दें कि इस बंगलों के कुछ ही दूरी पर कुलवंत सिंह स्टेडियम भी है। साथ ही गैरीसन इंजीनियर नॉर्थ और साउथ के दफ्तर के अलावा घनी आबादी भी काफी पास रहती है। जिसे ठीक करना काफी जरूरी है।Bunker - 3बेकरी लेन, लालकुर्ती
इस बंगले पर काफी विवाद रहा है। संबंधित वार्ड मेंबर इस बंगले के बारे में काफी बार आवाज उठा चुके हैं। यहां तक की एक माह पहले मौजूदा सब एरिया कमांडर अपनी टीम के साथ यहां का दौरा भी कर चुके हैं। उन्होंने यहां के खंडहर पड़े निर्माण को जल्द ढहाने की बात कही थी और यहां बच्चों के लिए स्टेडियम बनाने का ऐलान भी किया गया था। कुछ ही दिनों बाद ही पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कार्रवाई नहीं हुई। संबंधित वार्ड मेंबर की माने तो इस निर्माण में असामाजिक तत्व रहते हैं। काफी बड़ा रिहाइशी इलाका पास में है। जिन्हें इससे खतरा है।और भी हैं छावनी में ऐसे कई बंगला नुमा बंकर हैं, जो छावनी ही नहीं यहां रहने वाली पब्लिक को भी खतरा है। बंगला नंबर 71 टेलीफोन एक्सचेंज के पास, बंगला नंबर 205, 297, 298, 299, क्लीमेंट स्ट्रीट के पास हजारी का प्याऊ, बीआई लाइन स्थित बंगला नंबर 33, 34, 35 है, जो निकट भविष्य में काफी बड़ा खतरा बन सकते हैं। अगर इनकी दशा अगर ठीक नहीं की गई तो ये बंकर और भी खतरनाक रूप ले सकते हैं।'अभी मैं इस मामले में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं। कुछ बंगले डिस्प्यूट कैटेगरी में हैं, जिनका मामला कोर्ट में चल रहा है.'- कर्नल अरुण हरिहरन, जीएस, सब एरिया हेडक्वार्टर
'आर्मी अफसर हमेशा से ही सिविल एरिया के बंगलों में होने वाले अवैध निर्माण को हाईलाइट करते हैं। सबसे पहले अफसरों को प्योर आर्मी लैंड के बंगलों की दशा सुधारने में कदम उठाने चाहिए.'- सुनील वाधवा, पूर्व उपाध्यक्ष, कैंट बोर्ड