यहां भी बाउंसर हो सकती है जानलेवा
- रणजी और जूनियर क्रिकेट के दौरान नहीं होती मेडिकल की बेहतर व्यवस्था
- कोचिंग सेंटर्स में कोचिंग लेते या प्रैक्टिस करने वाले प्लेयर्स पर भी जान का जोखिम sharma.saurabh@inext.co.in Meerut : ऑस्ट्रेलिया की प्रतिष्ठित शेफील्ड शील्ड ट्रॉफी के मैच के दौरान दिग्गज बल्लेबाज फिलिप ह्ययूग्स की मौत के बाद अब कई सवाल खड़े हो गए हैं। अगर बात मेरठ की करें तो सिटी में हर साल रणजी और कूच बिहार और दलीप ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट्स के मैच होते हैं। साथ ही सुबह और शाम कोचिंग सेंटर्स में प्रैक्टिस के दौरान कई प्लेयर्स बाउंसर्स झेलते हैं। क्या बाउंसर लगने के बाद कहीं भी प्रॉपर मेडिकल की व्यवस्था होती है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस हादसे के बाद भी कोई एकेडमी और क्रिकेट से जुड़े लोग ध्यान नहीं दे रहा है। अब खड़े हुए सवालऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज के बाउंसर लगने से मौत के बाद कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। खासकर इंडिया की स्पोर्ट्स सिटी मेरठ में, जिसने अभी तक तीन इंटरनेशनल प्लेयर क्रिकेट को दे चुकी है। आखिर मेरठ की क्रिकेट एकेडमीज और मेरठ डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन अपने खिलाडि़यों के लिए मेडिकल की कितनी और कैसी व्यवस्थाएं की गई है? क्योंकि इस तरह के बाउंसर्स लोकल मैच और प्रैक्टिस के दौरान हर खिलाड़ी फेस कर रहा है। ऐसे में उन पेरेंट्स के लिए ये बात और भी चिंता का विषय बन गई है जो अपने बच्चों को क्रिकेट सीखने के लिए इन एकेडमीज में और प्रैक्टिस के लिए मैदानों में भेजते हैं।
एंबुलेंस तक नहीं अगर बात रुटीन की करें तो रोज सैंकड़ों बच्चे सिटी में प्रमुख क्रिकेट ग्राउंड पर प्रैक्टिस करने को आते हैं। फिर चाहे वो गांधी मैदान हों, या फिर विक्टोरिया पार्क, कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम या करन पब्लिक स्कूल। सुबह और शाम चलने वाली प्रैक्टिस के दौरान ये जूनियर क्रिकेटर कई बाउंसर का सामना करते हैं। ऐसे में अगर कोई एक बाउंसर किसी के शरीर पड़ जाए तो कोई मेडिकल की व्यवस्था नहीं होती है। टूर्नामेंट में भी कुछ खास नहींबीते महीने विक्टोरिया मैदान में कूच बिहार टूर्नामेंट के तहत यूपी और गोवा के बीच मैच हुआ। लेकिन मेडिकल के नाम पर कुछ खास नहीं था। ताज्जुब की बात तो ये थी कि वहां अगर किसी को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरुरत होती तो एंबुलेंस के लिए वेट करना पड़ता। वहीं लोकल टूर्नामेंट की बात करें तो एकेडमी इस बात का दावा कर रही है उस दौरान उनके मैदान के अंदर और बाहर मेडिकल की पूरी सुविधा होती है। अफसोस की बात तो ये है कि दिखाई नहीं देती है।
ये बात पूरी तरह से सही है कि हर एकेडमी के पास मेडिकल हेल्प होना चाहिए, क्योंकि बॉल सिर ही नहीं शरीर के किसी के नाजुक हिस्से में लग सकती है। इस पर सभी एकेडमी से बात की जाएगी। साथ कैलाश प्रकाश स्टेडियम में मेडिको फैसिलिटी की जाएगी। - पंकज यादव, डीएम ऐसा नहीं है सभी के पास फर्स्ट एड की व्यवस्था तो होती है। वहीं मैं विक्टोरिया पार्क की बात करूं तो वहां बीसीसीआई के डॉमेस्टिक टूर्नामेंट भी होते हैं। जहां एंबुलेंस भी होती है। जो नहीं रखते हैं उन्हें रखना चाहिए। साथ कोचेस को बताया जाता है कि ध्यान रखे कि अगर बच्चा स्पिन को भी खेल रहा है तो हेल्मेट पहनकर खेले। - युद्धवीर सिंह, सचिव, एमडीसीए जब कोई टूर्नामेंट होता है तो उस वक्त मेडिकल की सुविधा होती है लेकिन रुटीन में आत तक कहीं नहीं देखी। वैसे मैं बच्चों को एडवाइज करना चाहूंगा कि वो मैच हो या प्रैक्टिस हो ब्रांडेड और मानकों के हिसाब से ही हेलमेट पहनकर खेले। - संजीव रस्तोगी, क्रिकेट कोच, एमडीसीएहम काफी टूर्नामेंट कराते हैं। सभी टूर्नामेंट में मेडिको फैसिलिटी होती है। वहीं प्रैक्टिस के दौरान हर बच्चे पर ध्यान दिया जाता है कि वो वेल पैडअप है या नहीं। अगर किसी को चोट लगती भी है तो तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है।
- अतहर अली, कोच, करन क्रिकेट एकेडमी कौन हुए बॉल के शिकार क्। फिल ह्यूज : ऑस्ट्रेलिया की शेफील्ड शील्ड ट्रॉफी के मैच के दौरान तेज गेंदबाज सीन एबॉट की एक बाउंसर फिल ह्यूज को लगी। चोट इतनी गहरी थी कि उन्हें बचाया नहीं जा सका। ख्। रमन लांबा : वर्ष क्998 में बांग्लादेश प्रीमियर क्रिकेट लीग के एक मैच में मिडऑन पर फील्डिंग करते हुए भारतीय क्रिकेटर रमन लांबा के सिर पर गेंद लगी। इलाज के दौरान मौत हो गई। फ्। सबा करीम : भारत के पूर्व विकेटकीपर सबा करीम वर्ष ख्000 में एशिया कप के दौरान कीपिंग करते हुए आंखों में लग गई थी जो काफी गंभीर थी। ब्। नारी कांट्रेक्टर : क्9म्0 में नारी कांट्रेक्टर को वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज चार्ली िर्ग्रफिथ की एक गेंद उनके सिर पर लगी। छह दिन तक बेहोशी में रहे। ऑपरेशन भी किया गया। कांट्रेक्टर बचे लेकिन क्रिकेट नहीं खेल सके।भ्। माइक गैटिंग : माइक गैटिंग को मैल्कम मार्शल की एक गेंद नाक से जा टकराई और उनकी नाक टूट गई।
म्। अनिल कुंबले : वर्ष ख्00ख् में टेस्ट सीरीज के दौरान मार्वन डिल्लन की गेंद अनिल कुंबले के जबड़े पर लगने से जबड़ा टूट गया। घायल होने पर भी उन्होंने उस टेस्ट मैच में गेंदबाजी की। 7. गैरी कर्सटन : वर्ष ख्00फ् में टेस्ट मैच के दौरान शोएब अख्तर की गेंद गैरी कर्सटन के चेहरे पर लगी। जिससे उनकी नाक टूट गई और आंखों से पास क्0 टांके लगे। 8. मार्क वाउचर : साउथ अफ्रीका के पूर्व विकेट कीपर मार्क वाउचर वर्ष ख्0क्ख् में समरसेट के लिए खेलते हुए विकेट कीपिंग के दौरान स्पिनर इमरान ताहिर की गेंद उनकी बांई आंख से टकरा गई। जिसके बाद उन्होंने अपने क्रिकेट से संयास ले लिया।