क्योंकि पानी की हर बूंद बचाना जरूरी लगता है
मेरठ ब्यूरो । कहते हैं पानी को बचाया तो जा सकता है लेकिन बनाया नहीं जा सकता है। इसलिए पानी की हर बूंद को बचाना हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन हम यह जिम्मेदारी निभाते कहां है। वहीं, शहर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पानी की हर एक बूंद को बचाने के लिए जी जान से जुटे रहते हैं। उन्हीं में से एक नाम है अदिति चंद्रा का। वे रोज सडक़ों पर घूमने निकलती है, जहां भी टूटी पाइपलाइन से पानी का रिसाव देखती हैं तो खुद या अपनी संस्था की ओर मरम्मत कराती हैं। साथ ही लोगों को पानी बचाने के लिए जागरूक भी करती हैं। जल संरक्षण में बेहतरीन कार्य के लिए विश्व की नामी संस्था वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने भी उनका पुरस्कृत किया है। आइए सुनते हैं अदिति चंद्रा की कहानी, खुद उनकी ही जुबानी।
बर्बाद होते पानी को देखा
मेरा नाम अदिति चंद्रा है। जब मैं शहर में टहलने निकलती थी तो सडक़ों पर अनावश्यक रूप से बहते पानी को देखती थी। कहीं पाइप लाइन लीकेज होती थी, तो कहीं पाइप लाइन ही फट जाती थी। इससे कई लीटर पेयजल सडक़ों पर बर्बाद हो जाता था। यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था। मैं सोचती थी। लीकेज के कारण सडक़ों पर बेवजह बह रहे पानी से न जाने कितने लोगों की प्यास बुझ सकती थी। कई दिनों तक मैं इस बारे में सोचती रही। बस एक दिन ख्याल आया कि अब पानी को बचाने की जिम्मेदारी खुद को ही संभालनी होगी, तभी समाज में बदलाव देखने को मिलेगा।
सडक़ पर बहते पानी को देखा
यह साल 2019 था। मैंने ठान लिया था कि अब वाटर सप्लाई की पाइप लाइन से हो रहे लीकेज को दूर करना ही है। सडक़ों पर अब पेयजल को नहीं बहने देना है। इसके लिए मैंने दो-तीन लोगों की टीम तैयार की। संस्था का गठन किया और उसका नाम द ग्रोइंग पीपल रखा। मैं और मेरी टीम के सदस्य सडक़ों और गलियों में घूमते। पानी की पाइप लाइन को देखते। लीकेज होने पर उसे तुरंत ही ठीक करते, ताकि वहां पर जल रिसाव न हो सके। हां, ज्यादा समस्या होने पर विभागीय अधिकारियों के संज्ञान में पानी लीकेज की समस्या को बताते। और उसे ठीक कराते।
पानी के लीकेज ठीक किए
यानि अब करीब चार साल से ज्यादा का वक्त हो गया है। सडक़ों पर हमारी टीम जल संरक्षण के लिए जुटी रहती है। हम लोग करीब चार हजार से ज्यादा पानी के लीकेज को ठीक करा चुके हैं। हां, इसके लिए 2020 और 2022 में वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड (लंदन) द्वारा दो बार सम्मानित किया जा चुका है।
बच्चों को भी जोड़ा
मैं चाहती थी कि जल संरक्षण की मुहिम में बच्चे भी जुड़ें, ताकि नई पीढ़ी भी पानी बचाने के लिए आगे बढ़े। इसके अलावा मैंने स्कूलों में प्रोग्राम शुरू किए। इस समय मेरठ के करीब 20 स्वच्छता और जल संरक्षण के लिए जुटे हैं। वहीं, ग्रोइंग पीपल के जरिए भी 135 जल संरक्षण से जुड़े प्रोग्राम संचालित किए हैं, जो अभी भी चल रहे हैं। अब लोग मुझे जल योद्धा कहते हैं, यह मुझे अच्छा लगता है कि आपकी कोशिश रंग ला रही है। लोग पानी बचाने की गंभीरता को समझ रहे हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण में भी सहयोग
मेरी संस्था को 2019 में कैंट बोर्ड ने स्वच्छता एवं जल संरक्षण संबंधी कार्य करने के लिए अधिकृत किया था। तभी से कैंट बोर्ड के साथ मिलकर पानी बचाने के संकल्प में जुटी हूं।
नगर निगम के साथ ही जुटीं
कैंट बोर्ड के अलावा 2021 में द ग्रोइंग पीपल ने नगर निगम के साथ मिलकर जल संरक्षण, स्वच्छता और सिंगल यूज प्लास्टिक उन्मूलन के लिए कार्य करना शुरू किया। आम लोगों को जागरूक किया। मैं खुद लोगों के घर जाती हूं। उन्हें पानी बचाने के लिए कहती हूं। उन्हें पानी का मोल समझाने का प्रयास करती हूं। इसका असर भी देखने को मिलता है। मुझे मेरठ कैंट के साथ-साथ मेरठ नगर निगम का भी ब्रांड एंबेस्डर चुना गया है। यह सम्मान जितना महत्वपूर्ण है, उसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी है।
-वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन द्वारा 2020 तथा 2022 में दो बार सम्मानित
-मेरठ नगर निगम द्वारा 9 बार, मेरठ कैंट की ओर से 4 बार और जिला पंचायत की ओर से 2 दो बार सम्मानित
- 150 से ज्यादा स्कूलोंं, कॉलेजों तथा यूनिवर्सिटीज द्वारा सम्मानित।