सिख समाज ने बैसाखी पर्व को खालसा पंथ के सर्जना दिवस के रुप में मनाया। विभिन्न गुरुद्वारों में पाठ और लंगर का किया गया आयोजन।

मेरठ (ब्यूरो)। शुक्रवार को सिख समाज द्वारा बैसाखी पर्व खालसा पंथ के सर्जना दिवस के रूप में मनाया। इस दौरान शहर के विभिन्न गुरुद्वारों में पाठ का व लंगर का आयोजन किया गया। वहीं कहीं शबद कीर्तन हुआ तो कहीं पर खालसा पंथ के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर थापरनगर स्थित श्री गुरु सभा गुरुद्वारा, सदर गुरुद्वारा, लेखानगर गुरुद्वारा, गुरुनानक नगर स्थित सचखंड गुरुद्वारा आदि विभिन्न गुरुद्वारों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कीर्तन दरबार सजाया गया, बाहर से रागी जत्था ने अपने शबद की धुन से संगतों को निहाल किया। वहीं महिला सत्संग जत्थों द्वारा भी शबद कीर्तन किया गया। पंजाबी परिवारों में भी घर पर प्रसाद बनाया गया और एक दूसरे को बैसाखी पर्व की शुभकानाएं दीं।

सजाया गया गुरुद्वारा
थापर नगर स्थित गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा में खालसा पंथ का सर्जना दिवस धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा रही है। गुरुद्वारा के मुख्यग्रंथी चरणप्रीत सिंह ने बताया कि तीनों दिन प्रसिद्ध रागी जत्थे शबद गायन करने आते थे। लोग बड़ी संख्या में गुरुद्वारों में मत्था टेकने आते है। गुरुद्वारे के सेवक सरदार रणजीत सिंह जस्सल ने बताया कि बताया कि 1699 में आनंदपुर साहिब में सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पांच (पंज) प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया और उसके बाद उन पांच प्यारों के हाथों स्वयं भी अमृत चखा था। इस अवसर पर घरों में पाठ का आयोजन कराया जाएगा। सिख समाज के नवजात शिशु जिनकी पहली बैसाखी होती है, उनको गुरुद्वारा ले जाने की परंपरा है।

निशान साहिब की सेवा
कंकरखेड़ा स्थित गुरुद्वारे से बैसाखी के पर्व कीर्तन दरबार सजाया गया। मंजीत सिंह कोछड़ ने बताया कि गुरुद्वारे में कीर्तन दरबार सजाया गया है और लंगर का आयेाजन किया गया। लेखा नगर स्थित कीर्तन गढ़ गुरुद्वारे में निशान साहिब की सेवा की गई। गुरुद्वारा प्रबंधक गुरुविंदर सिंह ने बताया कि बैसाखी के पहले हर गुरुद्वारे में निशान साहिब चढ़ाया जाता है। गुरुद्वारे में पाठ का आयोजन किया गया और लंगर का आयोजन किया गया।

Posted By: Inextlive