5 से 7 हजार लीटर पानी धूल को बैठाने के लिए किया जा रहा है बर्बाद
मेरठ, (ब्यूरो)। सहायक नगरायुक्त ब्रजपाल सिंह ने बताया कि सड़कों पर छिड़काव के लिए एसटीपी से ट्रीट पानी का ही छिड़काव किया जा रहा है। इसके लिए पेयजल का प्रयोग नही हो रहा है।
बर्बाद कर रहे पानीगौरतलब है कि इन दिनों साफ -सफाई के लिए गंग नहर बंद होने से शहर में पेयजल की समस्या बढ़ गई है। ऐसे में वायु प्रदूषण कम करने के लिए टैंकरों के माध्यम से रोजाना हजारों लीटर पानी को बहाया जा रहा है। रोजाना 5 से 7 हजार लीटर पेयजल सिर्फ सड़कों पर उड़ती धूल को बैठाने के लिए बर्बाद किया जा रहा है।
नलकूपों के जल का प्रयोग
वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए शहर के प्रमुख मार्गों पर नगर निगम ने पानी का छिड़काव शुरू करा दिया है। छिड़काव में ओवर हेड टैंक से आने वाला पीने के पानी का इस्तेमाल हो रहा है। एनजीटी का निर्देश है कि सड़क पर छिड़काव के लिए एसटीपी से ट्रीट पानी का इस्तेमाल करना है। यह पानी टैंकर के माध्यम से सड़कों पर डाला जाता है। खास बात यह है कि छिड़काव के लिए साधारण पानी का प्रयोग ना होकर पेयजल का प्रयोग किया जा रहा है। निगम के पास वाटर टैंकर भरने के लिए 157 नलकूपों का पानी प्रयोग हो रहा है। इन नलकूपों से ही रोजाना वॉटर टैंकरों में पानी भरकर छिड़काव के लिए प्रयोग किया जाता है।
निगम के तीनों डिपो में करीब 12 से 13 वाटर टैंकर हैं। इन वॉटर टैंकरों को पेयजल की समस्या दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोरोना काल में इन टैंकरों से वार्ड में सेनेटाइजेशन कराया जाता है। प्रत्येक टैंंक की 500 से 600 लीटर पानी की क्षमता होती है। निगम द्वारा इन वॉटर टैंकरों को भरने के लिए एकमात्र नलकूप ही विकल्प हैं। उनसे ही पानी उपलब्ध कराया जाता है।