कलाकार बोले, रामायण सिखाती है संस्कारों को संभालकर रखना
मेरठ (ब्यूरो)। बिहार निवासी राहुल झा ने बताया कि उनके घर में भजनों की एलबम अक्सर चलती रहती थी। 10वीं पास करने के बाद मेरे दिमाग में लखबीर सिंह की भजन एलबम देखकर विचार आया कि मैं भी इस लाइन में अपना करियर बना सकता हूं। मेरे कुछ दोस्त थे, जिनकी कुछ जान पहचान थी, वो मुझे टी सीरिज के कार्यालय ले गए, वहां से मैंने छोटे-छोटे रोल शुुरू किए। 12वीं के बाद डांस ग्रुप ज्वाइन कर किया। 2017 में एक दिन मुझे मेरे एक दोस्त के जरिए अयोध्या में रामलीला में छोटे रोल का मौका मिला। मैं जब पहले दिन रोल के लिए गया तो मुझे लगा मुझे वानर या कोई रोल मिलेगा। मगर लक्ष्मण का रोल निभाने वाला कलाकार किसी कारण से नहीं आ पाया तो अचानक से सभी के लिए समस्या बन गई कि लक्ष्मण कौन बनेगा। अचानक से प्रीतम सर ने कहा राहुल का चेहरा लक्ष्मण के रोल को सूट करता हैं, एक बार मौका देकर देखते हैं। मैंने जैसे-तैसे रोल किया, लेकिन वो रोल सभी को बहुत पसंद आया और दसों दिन मुझसे लक्ष्मण का रोल करवाने की फरमाइश कमेटी ने की। तबसे अब तक मैं ही लक्ष्मण का रोल करता आ रहा हूं। उस एक दिन के रोल ने मेरा करियर बना दिया।
नेगेटिव रोल ज्यादा सिखाता हैकेकई का रोल निभाने वाली कंचन एक बहुत अच्छी वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं। वो अक्सर रामलीला में किरदारों की वाइस निकालती हैं। इसके अलावा भी वो विभिन्न शोज के लिए मिमिक्री करती हैं। वैसे तो कंचन कई रोल निभा चुकी हंै, लेकिन उनको नेगेटिव रोल करने में अधिक मजा आता है। कंचन का कहना है कि नेगेटिव रोल में अधिक सीखने को मिलता है। जैसे चोर बनना आसान है लेकिन पर्दे पर चोर दिखना बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने कहा कि केकई के किरदार को अक्सर नेगेटिव के रुप में देखा जाता है। मगर वहां से हमें एक सीख मिलती है। समाज को एक मैसेज भी जाता है कि कभी किसी की बातों में आकर अपना और घर का नाश नहीं करना चाहिए। इसलिए जीवन में संयम बेहद जरूरी है। केकई के करेक्टर में मैंने जाना कि संयम खो देने से परिवार बिखर जाते हैं।
अरूण गोविल जैसा बनूं
कैंट रामलीला में राम का किरदार निभाने वाले चीनू, उत्तराखंड के पौढ़ी-गढ़वाल से हैं। वो 2009 से रामलीला में किरदार निभा रहे हैं। उनके अनुसार अब रामलीला का क्रेज लोगों में खत्म हो गया है। अब लोग हाईटेक हो गए हैं। चीनू ने बताया कि वो 16 साल की उम्र से एक्टिंग कर रहे हैैं। बकौल चीनू, सबसे पहले मैंने दिल्ली में राम का रोल किया था। मैंने अनुभव किया है कि जो किरदार आप निभाते हैं, उसी किरदार का भाव आपके अंदर आ जाता है। मुझमें भी वहीं भाव आने लगा है, निजी जीवन में भी मुझे शांत रहना पसंद है। वैसे मैं जहां से हूं, वहां का आदमी शांत स्वभाव का ही होता है। मैंने बीए तक पढ़ाई की है। इसके साथ ही मैंने थिएटर कोर्स भी किया है। मुझे मौका मिला तो मैं भी अरुण गोविल की तरह खुद को आगे देखना चाहूंगा। मेरा सपना है कि मैं उन जैसा बन सकूं। चीनू ने बताया कि उनका परिवार धार्मिक है। मैैं शुरू से ही धार्मिक कार्यक्रमों को देखते हुए बड़ा हुआ हूं। मूवी और फिल्मी गानों को मैैं शुरू से ही इग्नोर करता हूं।
करूंगा लक्ष्मण का रोल
कैंट रामलीला में दशरथ का रोल करने वाले पवन पाठक आयोध्या के अंबेडकर नगर के निवासी है। रामलीला से हटकर वो थिएटर व वेब सीरिज और सीरियल भी करते हैं। इसके अलावा उन्होनें भोजपुरी फिल्में भी की हैं। वो तीन साल से रामलीला कर रहे हैं। उनका कहना है कि दशरथ का रोल करते हुए जब आज के समाज को देखता हूं तो बस एक ही बात मेरे दिमाग में आती है कि आज के समय में राम जैसा बेटा व दशरथ जैसा पिता मिलना बहुत ही मुश्किल है। बकौल पवन, मैं जब भी स्टेज पर जाता हूं तो पहले गायत्री मंत्र का जाप करता हूं और अपने गुरु जी का नाम लेकर प्रार्थना करता हूं। उन्होंने बताया कि दशरथ के किरदार में मैं समाज को यही मैसेज देना चाहूंगा कि जो बुजुर्गों के दिए संस्कार हैैं, उनको सहेजना हमारा फर्ज है। उन्होंनेे बताया कि अगर उनको कभी मौका मिला तो वो दशरथ के अलावा लक्ष्मण का रोल करना चाहेंगे।
मेरे जीजा हैं दशरथ
कैंट रामलीला में उत्तराखंड निवासी सरिता सीता का रोल निभाती हैं। सीता का रोल निभाने वाली सरिता व दशरथ को रोल निभाने वाले पवन भले ही रामलीला में ससुर और बहू का रोल निभाते हैं लेकिन असल जीवन में दोनों के बीच जीजा-साली का रिश्ता हैं। सरिता ने बताया भले उनके जीजा सीरियल में दशरथ का गंभीर किरदार निभाते हैं, मगर असल जीवन में वो जीजा के रुप में बहुत ही नटखट मजाकिया हैं। सेट पर मैं उनके ससुर वाले सीरियस रोल को देखती हूं तो कभी-कभी मुझे सेट पर ही उन पर हंसी आ जाती है कि ये इतना सीरियस भी हो सकते हैं। पहली बार जब मैंंने दशरथ के रोल में उन्हें देखा तो मैं हैरान रह गई थी। सीता का रोल करने वाली सरिता ने बताया कि उनका जन्म ही मेरठ के शास्त्रीनगर में बुआ के घर हुआ था। वो यहां पांच से छह तक रहीं, इसलिए मेरठ से उनका गहरा नाता है।