पहले तो माता-पिता मोबाइल से दूरी बनाएं
मेरठ ब्यूरो। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पदक प्राप्त सरबजीत ङ्क्षसह कपूर, मुख्य वक्ता परी फाउंडेशन की निदेशक डॉ। सोना कौशल गुप्ता एवं प्रिंसिपल डॉ अनीता राठी ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। मनोरोग के बारे में बताया इस मौके पर डॉ। सोना कौशल गुप्ता ने विषय की जानकारी देते हुए कहा कि स्क्रीन एडिक्शन एक ऐसा मनोरोग है, जिसमें बच्चे युवा और बड़े सब ग्रसित हो जाते हैं। स्क्रीन एडिक्शन का मतलब टीवी, लैपटाप, मोबाइल फोन का एडिक्शन है। इसे इंटरनेट मीडिया एडिक्शन या इंटरनेट एडिक्शन भी कहते हैं। इसमें देखा गया है कि बच्चे अपने मोबाइल पर या लैपटाप पर घंटो स्वयं को व्यस्त रहते हैं। उन्होनें कहा कि इस पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है, यदि ऐसा नहीं किया गया तो मनोरोग, डिप्रेशन, इरिटेशन और फ्रस्ट्रेशन जैसी समस्या उत्पन्न होती है। माता-पिता करें पहल
इसलिए माता पिता को रोल माडल बनकर बच्चों की इस आदत को बढ़ने से पहले ही रोक देना चाहिए।इसके लिए सबसे पहले माता पिता को मोबाइल के प्रयोग पर स्वयं नियंत्रण करना होगा। सरबजीत ङ्क्षसह कपूर ने कहा कि मोबाइल का प्रयोग कम करके छात्राओं को व्यायाम, योग, पुस्तक पढ़ना और अन्य गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए।वहीं संस्कृत विभाग में अतिथि व्याख्यान में मुख्य वक्ता एनएएस कालेज की संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो। उमा शर्मा आधुनिक युग में संस्कृत की उपयोगिता विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान समय में सामाजिक, नैतिक, व्यवसायिक स्तर पर संस्कृत भाषा का महत्व बढ़ा है। इस अवसर पर डॉ। सपना शर्मा, डॉ।नीतू शर्मा और प्रो। दीपा त्यागी भी उपस्थित रहीं।