‘जन्म से लेकर अंत तक अपने को भारतीय समझें, बाकी कुछ नहीं’
मेरठ ब्यूरो। बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर तिलक पत्रकारिता और जनसंचार स्कूल में सामाजिक समरसता के तहत एक भोज आयोजित किया गया। इसमें सभी छात्र अपने घर से भोजन लेकर आए। इसके बाद मिश्रण करने के बाद सभी छात्रों ने एक साथ भोजन ग्रहण किया। विभाग के निदेशक प्रो। प्रशांत कुमार ने कहा कि यह सहभोज सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है तथा यह समरसता एवं भाईचारे का संदेश देता है।गोष्ठी में रखे विचार
इसके पहले डॉ।अंबेडकर का पत्रकारिता में योगदान विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य वक्ता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ।अंबेडकर ने कहा था कि सभी नागरिकों का प्रथम कर्तव्य है कि जन्म से लेकर अंत तक वह अपने आपको भारतीय ही समझे इसके अतिरिक्त कुछ और नहीं। अंबेडकर एक प्रतिभावान छात्र थे। अपनी प्रतिभा से वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलीटिकल साइंस जैसे प्रसिद्ध संस्थान में विद्यार्थी रहे। नई मिसाल पेश की
उन्होंने समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया। उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि भारतीय संविधान में दलितों वंचितों को ऊपर लाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई। डॉ।मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ।अबेडकर का कहना था कि सामाजिक विषमता भारत की समता में बाधक है। राष्ट्रीयता का भाव सामाजिक विभेद हुए जागरूक नहीं हो सकता। डॉ। अंबेडकर ने 1920 में मूक नायक पाक्षिक समाचार पत्र का संपादन शुरू किया। उसके बाद बहिष्कृत भारत, जनता और प्रबुद्ध भारत का प्रकाशन किया। डॉ। अबेडकर समाचार पत्र और पत्रिकाओं के लिए शुचिता और विश्वसनीयता पर बल देते थे। ये लोग रहे मौजूद कार्यक्रम का संचालन एमजेएमसी के विद्यार्थी सावन कुमार ने किया। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रो। प्रशांत कुमार ने सभी अतिथियों का परिचय और स्वागत किया ।इस अवसर पर डॉ।यशवेंद्र वर्मा, लव कुमार, नेहा कक्कड़, मितेंद्र कुमार गुप्ता, राकेश कुमार ,ज्योति वर्मा एवं समस्त स्टूडेंट मौजूद रहे।