'मूर्ति और किताबों में अंबेडकर के किरदार को बांधा नहीं जा सकता'
मेरठ (ब्यूरो)। मूर्ति या किताबों में डॉ। भीमराव अंबेडकर के किरदार को बांधा नहीं जा सकता है। उनका कद इससे कहीं ऊंचा था। उस समय कम संसाधन और अभाव में उन्होंने इतना ज्ञान अर्जित किया कि वह संविधान निर्माता बन गए। उनको संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। आज देश ही नहीं विदेशों में इनको याद किया जाता है। यह बात डॉ। भीमराव अंबेडकर छात्रावास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीसीएसयू की वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने कही।
वह बड़े दूरदृष्टा थेउन्होंने कहा कि डॉ। भीमराव अंबेडकर के जीवन से सीखना चाहिए कि किस प्रकार से कम संसाधनों और अभाव में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित होगी। वह बड़े दूरदृष्टा थे, जो बात उन्होंने अपने जीवन में कही थी वह आज हम मान रहे है। वह हमेशा भेदभाव ऊंच-नीच को मिटाने की बात करते थे।
डिग्री की नहीं थी कमी
इस मौके पर प्रो। एसएस गौरव ने कहा कि डॉ। भीमराव अंबेडकर के पास ज्ञान या डिग्री की कमी नहीं थी। उनके पास उस समय में 32 डिग्रियां थी, जो गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज हैैं। समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रंथों में जाति और धर्म की कोई बात नहीं है। वर्ण व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा की व्यक्ति और कार्य के हिसाब से वर्ण व्यवस्था बनाई गई, जिसको परिवर्तित कर हमने जातियों में बांट दिया। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो भूपेंद्र सिंह ने कहा कि हमें अंबेडकर जी के जीवन से सीख लेने की आवश्यकता है, खासतौर से युवाओं को तो उनसे ये सीखना ही होगा कि किस तरह से अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों में बिना घबराए आगे बढ़ा जा सकता है। हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और स्वयं के हक की लड़ाई सही तरीके से स्वयं ही लडऩी चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य छात्रावास अधीक्षक प्रो रूपनारायण, कुलानुशासक प्रो। वीरपाल सिंह, कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा, प्रो। नीलू जैन, मितेंद्र गुप्ता, सहायक छात्रावास अधीक्षक डॉ। अजय कुमार व सभी वार्डन, असिस्टेंट वार्डन तथा आवासीय छात्रों की उपस्थिति में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।