यौन शोषण को लेकर आई एक जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा काउंसलिंग के दौरान सामने आ रहा डराने वाला सच 90 फीसदी यौन शोषण के केसेस में इसी तरह हो रहा खुलासा।

मेरठ (ब्यूरो)। जिले में यौन शोषण का शिकार सिर्फ छोटी बच्चियां ही नहीं बल्कि छोटे बच्चे भी बराबर हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार शोषण के आने वाले मामलों में 30 फीसदी ऐसे हैं, जिसमें लड़के कुकर्म का शिकार हुए हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि शोषण करने वालों में आरोपी परिवार या परिवार के करीबी ही निकल रहे हैैं।

लालच बना रहा शिकार
कुकर्म के शिकार होने वाले लड़कों की उम्र अमूमन 8 से 15 साल तक मिल रही है। जांच के दौरान पता चल रहा है कि बच्चों को शिकार बनाने से पहले उन्हें अलग-अलग तरह का लालच देकर फंसाया जाता है। कई बार लड़कों को टॉफी-चॉकलेट दिलाने का बहाना बनाकर आरोपी किसी सुनसान जगह पर ले जाकर कुकर्म करते हैं। जबकि कुछ मामलों में घरों में ही कुकर्म को अंजाम दिया गया।

कुंठा से उजागर हो रहा सच
विशेषज्ञ बताते हैं यौन उत्पीडऩ के शिकार बच्चों में धीरे-धीरे कुंठा घर करने लगती है। यह बच्चे सामान्य जीवन नहीं जी पाते। अक्सर स्कूल में या घर पर ही खोए-खोए रहते हैं। कई मामलों में बच्चे माता-पिता को फेस करने से भी घबराते हैं। इन्हीं लक्षणों को देखते हुए जब माता-पिता बच्चों को काउंसलिंग के लिए लाते हैं, तब यह डराने वाला सच सामने आता है। लगभग 90 फीसदी यौन शोषण के केसेस में इसी तरह से खुलासे हो रहे हैैं। कई मामलों में देखा गया है कि ऐसे बच्चे समाज से कट जाते हैं और उनके भीतर अपराधिक प्रवृत्ति घर करने लगती है।

आज के समय में लड़कों के साथ भी कुकर्म के जिस तरह के मामले सामने आ रहे हैं उनमें कहीं ना कहीं माता-पिता की लापरवाही भी उजागर हो रही है। माता-पिता को चाहिए वह अपने बच्चों की सुरक्षा का पूरी तरह से ध्यान रखें। उन्हें किसी भी व्यक्ति के साथ अकेले बाहर ना भेजें। बच्चों में यदि जरा भी बदलाव दिखे तो उसे अनदेखा न करें। बच्चों से बात करें और यदि कुछ भी गलत होने की आशंका हो तो बच्चे को भरोसा दिलाकर मामले की जानकारी लें।
पूनम शर्मा, सदस्य, बाल कल्याण समिति

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया ने समाज को गुमराह करने का काम किया है। जिस तरह का कंटेंट वेब सीरीज में दिखाया जाता है वह समाज पर गलत प्रभाव छोड़ता हैं। दुष्कर्म और कुकर्म के मामले लगातार तेजी से बढऩे की ये मुख्य वजह हैं।
डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट

यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों के मन पर बहुत गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। लड़के भी अब सुरक्षित नहीं है। माता-पिता को चाहिए कि वह लड़कों को लेकर जरा भी लापरवाही ना बरतें। अपने बच्चों को सुरक्षित वातावरण दें।
प्रीति त्यागी, फांउडर, काव्यांजलि

Posted By: Inextlive