10 साल से नाला कवर करने की योजनाएं डीपीआर तक सीमित 257 नालों को कवर करने की योजना बनाता है निगम

मेरठ । वैसे तो शहर के नालों को कवर करने के लिए कई योजनाएं बनाईं गई, लेकिन हालत यह है कि शहर के नालों की सूरत कूड़ेदान से कम नही है, जबकि नालों की सफाई के दावे हर साल होते हैं। लाखों का बजट है, लेकिन हालत नहीं सुधरी। हकीकत यह है कि ना तो नाले साफ दिखते हैं और ना ही नालों को कूड़ेदान बनाने से रोकने के लिए नालों की ढकने की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है।

सिर्फ डीपीआर ही बना सके
इस लापरवाही का असर हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण पर पड़ता है। निगम की रैकिंग प्रभावित होती है। नालों में बाउंड्री या कवरिंग न होने के कारण आसपास के लोग ही नाले को कूड़ेदान बना देते हैं, जबकि नालों की कवरिंग और फेसिंग के लिए योजनाएं महज डीपीआर तक सीमित हो गईं।
खुले नाले पूछ रहे सवाल
गौरतलब है कि शहर के रिहायशी इलाकों में बने रोड साइड छोटे नाले और बड़े नालों की बाउंड्री या कवर ना होने के कारण बरसात में जलभराव आम सी समस्या है। नाले की बाउंड़ी ना होने के कारण आसपास के बाजार और मोहल्लों के लिए नाले कूड़ेदान बने हुए हैं। हालांकि, नगर निगम हर साल शहर में घनी आबादी के बीच से गुजर रहे छोटे-बड़े 257 नालों को कवर करने की योजना बनाता है। ये योजनाएं केवल डीपीआर तक सीमित हैं, जबकि पूरी तरह परवान नहीं चढ़ पाती। जिस कारण से आज तक शहर के 257 नाले लावारिस की तरह खुले हुए गंदगी से अटे पड़े हैं।

नाले के साथ बहती है गंदगी
हर साल शहर में सबसे ज्यादा जलभराव ओडियन नाला क्षेत्र में है। यह नाला शहर के बीचों-बीच से गुजरता है। सबसे अधिक आबादी इस नाले के आसपास ही है। ऐसे में सबसे अधिक गंदगी इसी नाले में बहाई जाती है। इस नाले की ऊंचाई भी आसपास के क्षेत्र की गलियों से अधिक है इसलिए यहां बरसात में नाले का पानी आसपास के क्षेत्र में ही भर जाता है। वहीं भूमिया पुल से लेकर पिलोखड़ी पुल, शादी महल पुलिया, हापुड़ रोड तक जगह-जगह इस नाले की बाउंड्री क्षतिग्रस्त है। बरसात में नाले का पानी ओवरफ्लो होने के कारण टूटी बाउंड्रियों से होकर आसपास के मोहल्लों में भर जाता है।
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जानिए आखिर कब-कब बनाई गई योजनाएं

4 जून 2012
तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने 407 करोड़ से शहर के 30 पुराने नालों के ऊपर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की योजना बनाई थी। एमएलसी डॉ। सरोजनी अग्रवाल की मांग पर उनके हॉस्पिटल व आवास के सामने खुले नाले का करीब 400 मीटर हिस्सा ढका गया था।
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साल 2015
निगम ने नालों के ऊपर जाल लगाकर उन्हें ढकने और दीवार ऊंचा करने की योजना बनाई थी। इसके तहत 431 करोड़ की योजना थी, जो कागजों तक रही।
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साल 2017-18
शहर के 27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेसिग लगाने का प्लान था।इसके तहत 31.850 किमी लंबी फेंसिंग लगाने पर करीब 20 करोड़ रुपया का बजट था, लेकिन यह फेंसिंग अधूरी है।
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साल 2019
14 वां वित्त आयोग के बजट से नाला निर्माण और सुधार के लिए 15 करोड़ से अधिक की योजना तैयार थी, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ। करीब 111. 43 करोड़ रूपए का प्रस्ताव बनाकर निर्माण विभाग ने शासन को भेजा गया।
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साल 2021
नगर निगम ने करीब 200 किमी लंबे नालों पर स्लैब डालकर कवर करने की योजना बनाई थी। कुछ नालों पर पक्के स्लैब हटाकर फोल्डिंग स्लैब तो डाले गए लेकिन अधिकतर नाले आज भी पूरी तरह खुले हैं।
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अगर नाले ढके हों तो क्या होगा
जलभराव नहीं होगा
- नाले कवर होने से उनमें कूड़ा नहीं डलेगा, जिससे जलभराव की स्थिति नहीं बनेगी।

पार्किंग की सुविधा
- शहर में पार्किंग की समस्या काफी हद तक दूर होगी। नाला ढकने पर पार्किंग के लिए उपयोग हो सकता है।

अस्थाई बाजार
- ढके नाले का उपयोग फुटपाथ और पैदल आवागमन या अस्थाई बाजार के लिए किया जा सकता है।

मैनहोल बनाए जा सकेंगे
नाला ढकने के बाद नाले में गिरने से मौत होने का खतरा कम होगा।नालों पर स्लैब डालकर मैनहोल बनाया जाएगा। ताकि समय से नालों की सफाई की जा सके।
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इन नालों को कवर करने की जरूरत
नाले कवर होने से शहर के कई प्रमुख क्षेत्रों से अतिक्रमण और गंदगी की समस्या दूर हो जाएगी। इसके तहत ओडियन, कोटला नाला, फिल्मिस्तान नाला, आबूनाला, नंगलाताशी वाला नाला, माधवपुरम नाला, पांडवनगर नाला, बच्चा पार्क नाला, मोहनपुरी नाला, साकेत में सेंट ल्यूक्स अस्पताल वाला नाला, मकाचीन नाला, खटकाना पुल से मवाना रोड पुल तक आबूनाला दो, राधा गार्डन वाला नाला, रेलवे क्रासिग से सोफीपुर नाला, मोहम्मदपुर से कासमपुर नाला आदि प्रमुख है।
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नालों की कवरिंग के लिए निर्माण विभाग के स्तर पर योजना बनाई जाती है। इसके तहत कई जगह काम जारी है। कोटला नाला, छतरी वाला पीर क्षेत्र के नाले कवर कराए जा चुके हैं। लेकिन अभी भी कई जगह प्राथमिकता के स्तर पर नाले कवर होने जरुरी हैं इसमें ओडियन नाला प्रमुख है। ताकि उसमें कूड़ा ना गिरे।
- हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Inextlive