World Breast Feeding Week: ब्रेस्ट फीडिंग ही है बच्चे के लिए 'बेस्ट फीडिंग'
लखनऊ (ब्यूरो)। जन्म के बाद पहले एक घंटे में मां का गाढ़ा व पीला दूध नवजात के लिए किसी अमृत से कम नहीं माना जाता। यह दूध नवजात को कई तरह की बीमारियों से तो बचाता ही है, साथ ही उसकी ओवरऑल प्रोग्रेस में भी मददगार साबित होता है। यहां चिंता की बात यह है कि इसके बावजूद जन्म के तुरंत बाद ब्रेस्ट फीडिंग के आंकड़े काफी कम हैं। डॉक्टर्स की माने तो महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है।पोषक और रोग निवारक होता है
वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक हर साल अगस्त माह के 1-7 तारीख तक मनाया जाता है। इसबार इसकी थीम 'क्लोजिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल' है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, प्रदेश में लगभग 60 फीसद शिशुओं ने छह माह तक केवल स्तनपान किया था, जबकि सर्वे-4 में यह आंकड़ा 41.6 फीसदी था। संजय गांधी पीजीआई में चाइल्ड पीडियाट्रिशियन डॉ। पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि प्रसव के बाद जन्मे नवजात को मां के द्वारा एक घंटे के भीतर ही ब्रेस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। मां का पहला गाढ़ा व पीला दूध, जिसे कोलस्ट्रम या खीस कहते हैं, बेहद पोषक एवं रोग निवारक होता है। यह एक प्रकार से नवजात के लिए पहला वैक्सीनेशन की तरह होता है। यदि किसी कारणवश मां ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पा रही है तो वह अपना ही दूध निकालकर कटोरी और चम्मच से पिलाये। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बोतल से दूध बिल्कुल नहीं देना है। क्योंकि इससे कई तरह के इंफेक्शन और बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।छह माह तक ब्रेस्ट फीडिंग बेहद जरूरी
डफरिन अस्पताल में सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। इमरान बताते हैं कि कई रिसर्च में यह भी देखने को मिला है कि जो बच्चे केवल स्तनपान नहीं करते हैं, उनमें केवल स्तनपान करने वाले बच्चों के मुकाबले डायरिया होने की नौ गुना ज्यादा संभावना होती है। ऐसे में मां को चाहिए कि छह माह तक की आयु के बच्चों को केवल अपना ही दूध पिलाएं। गर्मी के मौसम में भी ऊपर से पानी पिलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि मां के दूध में लगभग 90 फीसद पानी होता हैं। इसके आलावा बच्चे का पेट छोटा होता है और जल्दी जल्दी खाली भी होता है। ऐसे में हमें बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर स्तनपान कराना चाहिए। मां के दूध में रोग प्रतिरोधक एवं 400 तरह के पोषक तत्व उचित मात्रा में होते हैं। जो बच्चे के फिजिकल और मेंटल हेल्थ को सही रखने और संपूर्ण विकास में मदद करते हैं। मां के दूध में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो बच्चे के मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं। ये कई तरह की बीमारियों और इंफेक्शन से लड़ने में भी मदद करते हैं।जन्म के एक घंटे के भीतर मां को अपने बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवानी चाहिए। मां का पीला व गाढ़ा दूध बच्चे के लिए बेहद लाभकारी होता है।-डॉ। पियाली भट्टाचार्य, पीजीआईमां के दूध में कई पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए बेहद जरूरी हैं। बच्चे को छह माह तक केवल ब्रेस्ट फीडिंग ही करानी चाहिए।-डॉ। इमरान, डफरिन अस्पताल