केजीएमयू लखनऊ के रेस्परेटरी मेडिसिन डिपार्टमेंट में तनाव प्रबंधन पर हुई कार्यशाला
लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन डिपार्टमेंट में मंगलवार को तनाव प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ। सूर्यकांत ने कहा कि आज काम के बोझ के चलते जहां चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी तनाव में रहते हैं। वहीं, बीमारी के कारण रोगी भी तनाव के शिकार हो जाते हैं। कार्यशाला में मुंबई से आईं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट व साइकोथेरेपिस्ट डॉ। प्राची त्रिपाठी ने कुछ ऐसे रोचक टिप्स दिए, जिसको अपनाकर चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और रोगी तनाव से बच सकते हैं।समय रहते पहचान जरूरी
सेमिनार के दौरान डॉ। प्राची त्रिपाठी ने कहा कि काम के बोझ के साथ ही लगातार मरीजों के संपर्क में रहने से चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों में एक समय के बाद चिड़चिड़ापन, घबराहट व बेचैनी जैसी समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इन समस्याओं को शुरू में ही पहचान कर उनको दूर करने के उपाय न किये गए तो वे आगे चलकर बड़ी समस्या पैदा कर सकते हैं। इन परिस्थितियों से बचने के लिए चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को अपने खानपान और आराम के साथ ही शारीरिक श्रम का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए। मन के अंदर पनपने वाले नकारात्मक विचारों को अपने परिवार वालों या साथियों के साथ साझा करने से तनाव में कमी आ सकती है।
परिवार के लिए समय निकालें
डॉ। प्राची ने आगे बताया कि व्यक्तिगत और व्यावसायिकता के दायरे को समझना बहुत जरूरी है। अस्पताल और मरीज को समय देने के साथ ही अपने परिवार के लिए भी समय जरूर निकालना चाहिए। परिवार को भी उनका पूरा समर्थन करना चाहिए, ताकि वह घर-परिवार के साथ अपने रोजमर्रा के काम में आसानी से तालमेल बैठा सकें। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को कुछ वक्त के लिए बॉडी स्कैन की भी जरूरत होती है, इसके तहत वह आंख बंद कर शरीर के किसी भी हिस्से में हो रहे दर्द या तनाव को जरूर महसूस करें फिर उसके समाधान का उपाय करें।ऐसे करें तनाव कम
डॉ। प्राची त्रिपाठी ने तनाव प्रबंधन के फोर-ए यानि एवाइड, आल्टर, एक्सेप्ट और एडाप्ट पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अपने रोजाना के काम के दौरान समस्याओं से घिरे रहने के बजाय उन चीजों को कुछ वक्त के लिए नजरअंदाज कर देना चाहिए, जब तक उसका कोई स्थायी समाधान न मिल जाए। दूसरा यह कि समस्या पर एक्शन लेना न कि समस्या से घिरे रहना। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को अपने जीवन में आर्ट या स्पोर्ट्स जैसी कुछ हैबिट को अवश्य अपनाना चाहिए। नियमित रूप से योगा और शारीरिक श्रम अपनाकर भी तनाव को आसानी से दूर कर सकते हैं।