लखनऊ के शिवरी प्लांट में वेस्ट से बिजली बनने का काम नहीं हो सका शुरू
लखनऊ (ब्यूरो)। करीब चार साल पहले वेस्ट से बिजली बनाने की तैयारी की गई थी। उम्मीद थी कि जल्द प्रोजेक्ट रफ्तार पकड़ेगा, लेकिन गुजरते वक्त के साथ यह प्रोजेक्ट कागजों में ही सिमट कर रह गया। अब नगर निगम नए सिरे से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने जा रहा है। हालांकि, इस प्रोजेक्ट को इंप्लीमेंट होने में समय लग सकता है।शिवरी में थी तैयारीपूरे शहर का वेस्ट शिवरी प्लांट भेजा जाता है। निगम प्रशासन की ओर से करीब चार साल पहले प्रोजेक्ट बनाया गया था कि शिवरी में आने वाले वेस्ट के माध्यम से बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन की जिम्मेदारी संभाल रही ईकोग्रीन कंपनी को जिम्मेदारी दी गई थी। कंपनी की ओर से प्लांट में काम भी शुरू कराया गया और सेटअप भी स्थापित किया गया।प्रोजेक्ट नहीं शुरू हुआ
जिस रफ्तार से कंपनी की ओर से प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा था, उससे संभावना था कि जल्द ही वेस्ट से बिजली बनने लगेगी, लेकिन गुजरते वक्त के साथ तकनीकी कारणों की वजह से प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो सका और शिवरी में लगा सेटअप शोपीस बनकर रह गया। अब फिलहाल ईकोग्रीन कंपनी से डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन की जिम्मेदारी ले ली गई है, ऐसे में साफ है कि अब यह प्रोजेक्ट कागजों में ही सिमट कर रह गया है।अब नए सिरे से प्लाननिगम प्रशासन की ओर से अब नए सिरे से शिवरी में वेस्ट से बिजली बनाने की कवायद की जा रही है। निगम प्रशासन का प्रयास यही है कि यहां पर वेस्ट से बिजली बने लेकिन अभी इस दिशा में ग्राउंड लेवल पर काम शुरू होना बाकी है। टेंडर प्रक्रिया की दिशा में कदम जरूर आगे बढ़ा दिए गए हैैं। वेस्ट से बिजली बनने का फायदा यह है कि इस बिजली से पूरे प्लांट को संचालित किया जा सकेगा साथ ही जरूरत पड़ने पर आसपास के एरिया में भी कारपोरेशन के माध्यम से बिजली सप्लाई हो सकेगी।प्रतिदिन 1600 मीट्रिक टन वेस्टवर्तमान समय में प्रतिदिन पूरे शहर से 1600 मीट्रिक टन वेस्ट शिवरी प्लांट पहुंचता है। यहां पर जो वेस्ट आता है, उसकी प्रोसेसिंग की जाती है। इसके साथ ही प्लांट में पहले से ही लाखों मीट्रिक टन वेस्ट का ढेर लगा हुआ है। उसकी भी प्रोसेसिंग का काम तेज कर दिया गया है। जिसके बाद अब वेस्ट से बिजली बनने का काम ज्यादा आसान हो गया है।