Lucknow News: मेट्रो के सेकंड कॉरिडोर का रूट बदला-बदला नजर आएगा। इस रूट पर न तो आपको तारों का मकड़जाल नजर आएगा न ही पतंगबाजी में यूज होने वाले मांझे से मेट्रो की रफ्तार पर असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि नए कॉरिडोर के लिए थर्ड-रेल सिस्टम लाने की तैयारी की जा रही है और इस बाबत डीपीआर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट में भी जिक्र किया गया है।


लखनऊ (ब्यूरो)। मेट्रो के सेकंड कॉरिडोर का रूट बदला-बदला नजर आएगा। इस रूट पर न तो आपको तारों का मकड़जाल नजर आएगा न ही पतंगबाजी में यूज होने वाले मांझे से मेट्रो की रफ्तार पर असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि नए कॉरिडोर के लिए थर्ड-रेल सिस्टम लाने की तैयारी की जा रही है और इस बाबत डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में भी जिक्र किया गया है। प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।कानपुर की तर्ज पर काम
कानपुर में थर्ड-रेल सिस्टम पर ही मेट्रो दौड़ रही है। लखनऊ में जो मेट्रो चल रही है, उसके फर्स्ट कॉरिडोर में इसका यूज नहीं किया गया है। इसकी वजह से फर्स्ट कॉरिडोर के रूट पर तारों के मकड़जाल को देखा जा सकता है। इसके साथ ही अक्सर यह भी देखने में आता है कि पतंगबाजी में यूज होने वाले मांझे की वजह से ओएचई लाइन ट्रिप हो जाती है, जिसकी वजह से मेट्रो की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। मेट्रो प्रशासन की ओर से कई बार अपील भी की जाती है कि रूट के आसपास पतंगबाजी न की जाए, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता है।अब थर्ड-रेल कांसेप्ट


मेट्रो के रूट को खूबसूरत बनाने और ओएचई लाइन व्यवस्था को समाप्त करने के लिए ही थर्ड रेल कांसेप्ट लाया गया है। इस कांसेप्ट में ओएचई की तरह तारों का मकड़जाल नहीं होता है, बल्कि ट्रैक के समानांतर ही एक पीले रंग की लाइन होती है। यहां कंडेक्टर के माध्यम से ट्रेन को इलेक्ट्रिक सप्लाई होती है। इस तरह की व्यवस्था में मांझे की कोई समस्या भी नहीं रहती है। ऐसे में मेट्रो की रफ्तार पर भी कोई असर नहीं रहता है।ट्रेन भी दूसरी रहेंगीअगर इस कांसेप्ट को लागू किया जाता है तो इसमें पहले कॉरिडोर की तरह मेट्रो नहीं चलेगी बल्कि उसके लिए ट्रैक के हिसाब से डिजाइन मेट्रो लाई जाएगी। हालांकि, अगर यह प्रोजेक्ट क्लीयर होता है तो इसकी वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट में भी इजाफा हो सकता है।इस कॉरिडोर में जरूरतफर्स्ट कॉरिडोर के मुकाबले दूसरे कॉरिडोर में अंडरग्राउंड स्टेशंस ज्यादा हैैं। इसकी वजह से भी इस प्रस्तावित रूट पर थर्ड-रेल कांसेप्ट की जरूरत महसूस की जा रही है। इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए ही इस ट्रैक पर उक्त कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है और इसे डीपीआर में भी शामिल किया गया है।सेफ्टी भी रहेगी

थर्ड रेल कांसेप्ट के चलते एक तो मेट्रो की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगेगी, वहीं अगर कोई व्यक्ति ट्रैक पर आ भी जाता है तो वो सेफ रहेगा। हालांकि, अभी तक फर्स्ट कॉरिडोर में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। थर्ड रेल कांसेप्ट के लागू होने के बाद सेफ्टी और भी बेहतर होगी। इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए सर्वे इत्यादि का कार्य भी जल्द शुरू हो सकता है।

Posted By: Inextlive