वंडर गर्ल को नहीं मिलेगा नौवीं में एडमिशन
- बाल संरक्षण आयोग की टीम ने किया बच्ची का परीक्षण
- टीम ने माना, बच्ची नौंवी में एडमिशन के लिए तैयार नहीं - स्कूल और डीआईओएस लेवल से हुई चूक - अब आईक्यू टेस्ट के बाद तय होगा भविष्य - बाल अधिकार आयोग ने वंडर किड विवाद पर लगाया विराम LUCKNOW: चार साल आठ महीने की उम्र में नौंवी क्लास में एडमिशन पाने का सपना देख रहीं वंडर गर्ल अन्नया वर्मा को बाल संरक्षण आयोग की टीम ने परिक्षण में योग्य नहीं पाया है। बता दें कि विवाद के बढ़ने पर आयोग ने वंडर गर्ल की बौद्धिक जांच के लिए कमेटी बनाई थी। टीम ने बच्ची का आईक्यू टेस्ट लेकर उसे योग्य क्लास में एडमिशन दिलाने की बात कही है। ऐसे में टीम ने वंडर गर्ल का नौवीं क्लास में एडमिशन का विवाद भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया।आईक्यू टेस्ट के बाद तय होगी क्लास
आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह की अगुवाई में विनिका कारोली और पूजा अवस्थी की टीम मंगलवार सुबह वंडर गर्ल अनन्या के घर पहुंची। टीम ने एक घंटे तक बच्ची से विभिन्न लेवल पर परीक्षण कर उसका आकलन किया। इसके बाद टीम ने बच्ची का आईक्यू टेस्ट कराने को कहा है। इसी के बाद बच्ची किस क्लास में पढ़ेगी, यह तय किया जाएगा।
बच्ची के जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई टीम आयोग अध्यक्ष जूही सिंह ने बताया कि बच्ची हिंदी और अंग्रेजी के सभी शब्दों को अच्छे से पढ़ सकती है, लेकिन वह उन शब्दों का अर्थ बता नहीं सकी। ऐसे में उसेनौंवी में डायरेक्ट एडमिशन देने पर उसके बौद्धिक विकास पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा वह विज्ञान और मैथ्स के सवालों के जवाब भी नहीं दे सकी। इसके बाद ही आयोग ने नौंवी में एडमिशन को गलत ठहराया। नौवीं में सीधे एडमिशन देने पर डीआईओएस को नोटिस जारी कर पांच सितंबर तक जवाब देने को कहा है। नहीं पढ़ सकी 15 का पहाड़ाजूही सिंह ने बताया कि यह बच्ची गुणा व बराबर का चिन्ह नहीं पहचान सकती है। टीम ने उसे जब 15 का पहाड़ा दिखाकर पढ़ने को कहा तो नंबर्स की पहचान तो कर गई, मगर बीच में दिए गए गुणा व बराबर के चिन्ह के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकी। इसके अलावा आइ गो टू स्कूल का इंग्लिश में सही से उच्चारण किया मगर उसका मतलब नहीं बता सकी। इसके अलावा उसने रामचरित मानस की चौपाइयां बखूबी पढ़ी, लेकिन उसका भी अर्थ नहीं बता सकी। वहीं कंसल्टेंट डॉ। पूजा अवस्थी उससे ड्राइंग बनाने को कहा, जिस पर अन्नया ने उन्हें चिडि़या बनाकर दिखाया। इसके बाद उसे डॉल का चित्र बनाने को कहा गया, मगर वह नहीं बना सकी।
'26 को ही रद्द कर दिया था प्रवेश' सेंट मीराज स्कूल प्रबंधन का दावा है कि उन्होंने 26 अगस्त को ही इस छात्रा का दाखिला रद्द कर दिया था। प्रबंधक विनोद रात्रा ने बताया कि डीआईओएस ने 24 अगस्त को अनन्या का दाखिला निरस्त करने के आदेश जारी किए थे। 25 अगस्त को अवकाश के कारण पत्र समय पर नहीं मिल सका। 26 अगस्त को जब उनके पास पत्र आया तब तक वह बोर्ड को अनुमति के लिए पत्र भेज चुके थे। उन्होंने बताया कि पिता तेज बहादुर वर्मा ने खुद ही उसका दाखिला रद्द करने के लिए कहा था। डीआईओएस बोले, कमेटी ने की थी जांचवहीं डीआईओएस उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने दो जुलाई को इस बच्ची के एडमिशन के लिए आवेदन किया था। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने बच्ची से मुलाकात कराई थी। उस दौरान बच्ची ने श्लोक और सुंदरकांड पढ़ कर सुनाए। 9वीं कक्षा में पंजीकरण की डेट नजदीक थी। इसलिए स्कूल के आवेदन पर 20 अगस्त को बच्ची के एडमिशन की अनुमति दे दी गई। इसके बाद शिकायतें सामने आने पर 24 अगस्त को एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। राजकीय हुसैनाबाद इंटर कॉलेज के शिक्षक एसडी यादव, राजकीय स्कूल बेहटा के केके शुक्ल और जुबली इंटर कॉलेज के शिक्षक एनके सक्सेना ने स्कूल में जाकर परीक्षण किया। कमेटी की रिपोर्ट में बच्ची को सिर्फ हिंदी का ज्ञान होने की बात सामने आई। अन्य विषयों में उसकी जानकारी आठवीं पास करने वाले बच्चों के स्तर की नहीं थी। इसके बाद ही उसी दिन बच्ची का दाखिला रद्द कर दिया था।
मीडिया में बच्ची की खबर को लेकर कर काफी गलत संदेश दिया गया है। मैं खुश हूं कि आयोग ने मेरी बेटी के भविष्य की चिंता करते हुए उसके सही क्लास के चयन में हमारा सहयोग किया। - तेज बहादुर वर्मा, वंडर गर्ल के पिता बच्ची हिंदी और इंग्लिश में वाक्यों को सही से पढ़ सकती है, मगर उसका ज्ञान आठवीं क्लास की भी नहीं है। मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - जूही सिंह, अध्यक्ष, बाल सरंक्षण आयोग